पटना, सनाउल हक़ चंचल-
पटना। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार सोमवार को पहली बार मीडिया से रूबरू हुए. उन्होंने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अपनी बात कही थी. मैंने महागठबंधन सरकार चलाने की पूरी कोशिश की, लेकिन नहीं चल पायी. इसकारण गठबंधन तोड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था. मध्यावधि चुनाव बिहार के हित में नहीं था. इसलिए बिहार के हित में जो भी सही था, मैंने किया. नीतीश कुमार ने कहा कि मैंने राजद के आरोपित नेता को बस इतना कहा था कि जो भी आरोप लगे हैं, जनता के सामने स्पष्टीकरण दे दीजिए. इस मुद्दे पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी कुछ साफ नहीं किया. लालू जी भी तेजस्वी यादव पर कुछ नहीं बोले.
मुख्यमंत्री से जब पूछा गया कि क्या आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नेता मानते हैं. वर्ष 2019 में उन्हें आप साथ देंगे? इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आज की तारीख में नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने की क्षमता देश के किसी दूसरे नेता में नहीं है और न ही कोई उनके मुकाबले कोई खड़ा नजर आ रहा है. नीतीश के बयान को विपक्ष पर हमले की नजर से देखा जा रहा है, जो महागठबंधन बनाकर भाजपा के खिलाफ वर्ष 2019 में चुनाव लड़ने की तैयारी में है.
लालू परिवार पर कहा, कानून अपना काम करेगा
राजद सुप्रीमो लालू यादव और उनके परिवार पर ईडी, आयकर और सीबीआई की कार्रवाई पर नीतीश कुमार ने कहा कि सीबीआई रेड के बाद मैंने कई बार लालू यादव से बात की. इस पर लालू यादव ने भाजपा को नया पार्टनर मिलने की बात कहते हुए शुक्रिया कहा, जिसका गलत संदेश जनता के बीच गया.
तेजस्वी को स्पष्टीकरण देने की बात कही
नीतीश कुमार ने कहा कि कैबिनेट की मीटिंग के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव मिले थे. करीब 40 मिनट हुई बातचीत के दौरान ‘तेजस्वी ने मुझसे पूछा कि आप ही बता दें कि क्या सफाई दूं. मैंने उनसे तथ्यों के साथ स्पष्टीकरण देने को कहा, लेकिन ऐसा लगा कि उनके पास स्पष्टीकरण देने के लिए कुछ नहीं था. शायद वह स्पष्टीकरण देने की स्थिति में नहीं थे.’ तेजस्वी यादव भ्रष्टाचार के लगे आरोपों पर जो सफाई दी, वह जनता को संतुष्ट नहीं कर पायी. उनका यह कहना कि मेरे ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप उसवक्त के हैं, जब मैं नाबालिग था. यह तर्क उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए समझा जा सकता है, लेकिन आम जनता के लिए नहीं. जब मुझे लगा कि इनके पास स्पष्टीकरण के लिए तथ्य नहीं है और राजद सुप्रीमो भी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैं, तब मैंने तय किया कि मैं महागठबंधन की सरकार नहीं चला सकता. पार्टी विधायकों के समर्थन से ही मैंने इस्तीफा देने का मन बनाया. हालांकि, इस्तीफा देने से पहले मैंने लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के प्रभारी सीपी जोशी से बात कर सारी बातें स्पष्ट कर दीं. इस्तीफे के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मुझसे संपर्क साधा और सरकार चलाने के लिए समर्थन देने व सरकार में शामिल होने का आश्वासन दिया. इसके बाद मैंने राज्यपाल के पास विधायकों की सूची सौंपी, जिसके बाद मुझे सरकार बनाने के लिए बुलाया गया.