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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

नई कैबिनेट में 3 भारतवंशी: प्रीति पटेल गृह मंत्री, नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि को भी जगह

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  • प्रीति 2010 में पहली बार एसेक्स के विथेम से कंजरवेटिव सांसद बनी थीं
  • ब्रेग्जिट को लेकर थेरेसा मे की नीतियों की मुखर आलोचक थीं प्रीति
  • नारायणमूर्ति के दामाद ऋषि सुनाक और आलोक शर्मा को भी मंत्रिमंडल में अहम प्रभार मिला

Dainik Bhaskar

Jul 26, 2019, 09:12 AM IST

लंदन. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कैबिनेट में तीन भारतवंशियों को भी जगह मिली है। प्रीति पटेल को गृह मंत्री बनाया गया है। वहीं इन्फोसिस के सहसंस्थापक एनआर नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनाक को ट्रेजरी मिनिस्टर और आलोक शर्मा को अंतरराष्ट्रीय विकास मामलों का विदेश मंत्री बनाया गया है। जॉनसन ने उन सभी लोगों को पदोन्नत किया है, जिन्होंने ब्रेग्जिट मुद्दे पर उनका साथ दिया था।

प्रीति (47) इस पद पर पहुंचने वालीं भारतीय मूल की पहली महिला हैं। वे गुजराती मूल की हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी समर्थक मानी जाती हैं। वे ब्रेग्जिट को लेकर थेरेसा मे की नीतियों की मुखर आलोचक थीं। इससे पहले ब्रिटेन के गृह मंत्री पाकिस्तानी मूल के साजिद जाविद थे। उन्हें अब वित्त मंत्री बनाया गया है। 

कैबिनेट में 60 साल में सबसे बड़ा बदलाव
जॉनसन बीते 60 साल में कैबिनेट में बदलाव करने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं। उन्होंने ब्रेग्जिट मामले पर साथ देने वालों को जमकर प्रमोशन दिया। 11 मंत्रियों को उन्होंने बर्खास्त कर दिया। 4 मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा, वहीं 2 को जबरन रिटायर किया गया।

इस बार कैबिनेट में 31 मंत्री बनाए गए हैं। थेरेसा मे के समय यह संख्या 29 थी। मंत्रियों की औसत उम्र 48 साल है। पहले यह 51 साल थी। कैबिनेट में महिलाओं की संख्या में कमी आई है। पिछली बार के 31% के मुकाबले कैबिनेट में महिलाओं की संख्या अब 26% रह गई।

‘देश की सुरक्षा के लिए काम करूंगी’
कार्यभार संभालने के बाद प्रीति ने कहा, ‘‘अपने कार्यकाल के दौरान मेरी पहली कोशिश यही होगी कि हमारा देश और यहां के लोग सुरक्षित रहें। बीते कुछ समय से सड़कों पर भी काफी हिंसा देखी गई है, हम इस पर भी रोक लगाएंगे। हमारे सामने कुछ चुनौतियां जरूर हैं लेकिन हम सबसे निपटेंगे।’’ पद संभालने के कुछ घंटे पहले प्रीति ने कहा था कि यह जरूरी है कि कैबिनेट केवल नए ब्रिटेन ही नहीं बल्कि नई कंजरवेटिव पार्टी की भी अगुआई करे।

कंजरवेटिव पार्टी में मे को हटाकर बोरिस जॉनसन को प्रधानमंत्री बनाने के लिए ‘बैक बोरिस’ कैम्पेन चला था, प्रीति इसका अहम हिस्सा थीं। जॉनसन के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनको अहम जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा था। प्रीति लंबे समय से ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन (ईयू) से बाहर निकलने की पक्षधर रही हैं। इसके लिए उन्होंने जून 2016 से ‘वोट लीव’ कैम्पेन भी चलाया था।

थेरेसा मे ने प्रीति को कैबिनेट से हटा दिया था
नवंबर 2017 में थेरेसा ने प्रीति को अंतरराष्ट्रीय विकास मामलों की मंत्री पद से हटा दिया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने ब्रिटेन के विदेश विभाग को बगैर सूचना दिए इजराइल के अफसरों से चर्चा की थी। प्रीति ने सफाई में कहा था कि वे निजी दौरे पर इजराइल गई थीं। तब विदेश मंत्री रहे जॉनसन ने उन्हें कैबिनेट में वापस लाने की अपील भी की थी।

9 साल पहले सांसद बनी थीं
प्रीति 2010 में पहली बार एसेक्स के विथेम से कंजरवेटिव सांसद बनी थीं। डेविड कैमरन की अगुआई वाली सरकार में उन्हें भारतीय समुदाय से जुड़ी जिम्मेदारी मिली। 2014 में ट्रेजरी मिनिस्टर (जूनियर मिनिस्टीरियल पोस्ट) और 2015 में एम्प्लॉयमेंट मिनिस्टर बनाया गया। 2016 में थेरेसा मे ने उनका प्रमोशन कर डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट में विदेश मंत्री बना दिया। 2017 में उन्हें पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया। 

कौन हैं ऋषि सुनाक
ऋषि सुनाक (38) का जन्म ब्रिटेन में ही हुआ। उनकी मां फार्मासिस्ट हैं, जबकि पिता ब्रिटिश नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) में जनरल प्रैक्टिसनर हैं। सुनाक ने ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। सुनाक रिचमंड (यॉर्कशायर) से कंजरवेटिव पार्टी के टिकट पर 2015 में चुनाव जीते। ब्रेग्जिट समर्थक होने की वजह से सुनाक को पिछले साल ही थेरेसा ने कैबिनेट में शामिल किया था। उन्हें हाउसिंग कम्युनिटीज विभाग में जूनियर मिनिस्ट्री दी गई थी। वे ब्रिटेन के कॉमनवेल्थ देशों के साथ रिश्तों के भी बड़े समर्थक रहे हैं।

कौन हैं आलोक शर्मा 

आलोक शर्मा को जॉनसन कैबिनेट में अंतरराष्ट्रीय विकास मामलों का राज्य मंत्री बनाया गया हैं। वे पिछले पांच सालों में इस मंत्रालय को संभालने वाले चौथे नेता होंगे। आलोक पहले निर्माण-पेंशन विभाग में रोजगार मंत्री और हाउसिंग कम्युनिटीज मिनिस्ट्री संभाल चुके हैं। 2016 में आलोक ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में ब्रिटिश डेलिगेशन के साथ भारतीय उद्योगपतियों, निवेशकों और नेताओं से मिलने भारत भी आए थे। 2017 में आलोक के हाउसिंग मिनिस्टर रहने के दौरान ही ग्रेनफेल टॉवर अग्निकांड हुआ था। इस मामले में धीमी प्रतिक्रिया के लिए उनकी काफी आलोचना हुई थी। आलोक 2010 में पहली बार संसद पहुंचे। इसके लिए उन्होंने अपना अकाउंटिंग और बैंकिंग का करियर छोड़ा था।