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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

एलेक्जेंडर के ई-मेल का जवाब नहीं देती थीं कंपनियां, आज वो 7000 करोड़ रु का कारोबार चला रहे

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बर्लिन. इंटरनेट और ई-मेल के जमाने में हाथ से लिखे पत्रों का चलन काफी कम हो गया है। खासकर व्यावसायिक जगत में इसका उपयोग नहीं के बराबर होता है। लेकिन, जर्मनी की टेक्नोलॉजी कंपनी सेलोनिस की सफलता के पीछे हाथ से लिखे पत्रों का बड़ा योगदान रहा।

  1. साल 2011 में म्यूनिख में 22 साल के एलेक्जेंडर रिंके ने अपने दो दोस्तों मार्टिन क्लेंक और बास्तियन के साथ सेलोनिस नाम की कंपनी खोली। यह एक हाई टेक डेटा माइनिंग आधारित स्टार्ट अप था जो अलग-अलग कंपनियों को सॉफ्टवेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बिजनेस और कर्मचारियों के परफॉर्मेंस को मॉनिटर करने, उनमें मौजूद खामियों का पता लगाने और उपयुक्त समाधान सुझाने का काम करता था।

  2. एलेक्जेंडर ने कई कंपनियों को बिजनेस का प्रस्ताव देने के लिए ई-मेल भेजा। लेकिन, कोई जवाब नहीं आया। फिर उन्होंने टाइप किए पत्र भेजे। फिर भी कहीं से जवाब नहीं आया। आखिरी विकल्प के तौर पर एलेक्जेंडर ने अलग-अलग कंपनियों के सीईओ को हाथ से लिखा पत्र भेजना शुरू किया। इन पत्रों ने कमाल दिखाना शुरू किया और उन्हें मीटिंग के लिए जवाब आने लगे।

  3. एलेक्जेंडर बताते हैं, ‘हमने यह महसूस किया कि ज्यादातर कंपनियां अनजान सोर्स से आने वाले ई-मेल को ओपन तक नहीं करती हैं। टाइप किए हुए पत्र भी सेक्रेट्री स्तर से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। लेकिन, हाथ से लिखे पत्रों में पर्सनल टच होता है। इसलिए हमारे हाथ से लिखे पत्र अपने लक्ष्य तक पहुंचने लगे और हमें रिस्पॉन्स भी मिलने लगा।

  4. सेलोनिस के पास आज बीएमडब्ल्यू, एक्सोन मोबाइल, जनरल मोटर्स, लॉरियल, सीमेंस, उबर और वोडाफोन जैसे कस्टमर हैं। कंपनी की नेटवर्थ 1 अरब डॉलर (करीब 7100 करोड़ रुपए) है।

  5. बर्लिन के रहने वाले एलेक्जेंडर शुरुआत से ही उद्यमी बनना चाहते थे। उन्होंने 15 साल की उम्र में अपनी पहली कंपनी खोली थी। वह कंपनी हाईस्कूल छात्रों को ट्यूशन के लिए शिक्षक मुहैया कराती थी। इसके बाद 2011 में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करते हुए उन्हें सेलोनिस का आइडिया आया।

  6. एलेक्जेंडर एक प्रोजेक्ट के तहत मार्टिन और बास्तियन के साथ मिलकर एक कंपनी को कस्टमर सर्विस में सुधार करने के काम में जुटे। वहां काम करते हुए उन्हें पता चला कि किसी समस्या को दूर करने में कंपनी को पांच दिन तक का समय लग रहा था। लेकिन, कोई देरी की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं था। फिर उन्होंने खामी खोजने के लिए ऐसा सिस्टम बनाने का फैसला किया, जिसमें मानवीय और राजनीतिक दखल की गुंजाइश न हो। इसी से सेलोनिस का जन्म हुआ।

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      एलेक्जेंडर रिंके।