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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

ताकेदा ने भारत में वेडोलिजुमैब लांच की 

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चंडीगढ,सुनीता शास्त्री। ग्लोबल वैल्यू बेस्ड और आर एंड डी संचालित बायोफार्मास्युटिकल सेक्टर की अग्रणी फर्म ताकेदा फार्मास्युटिकल लिमिटेड की ताकेदा इंडिया ने आज अपने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) पोर्टफोलियो के तहत (जेनरिक नाम: वेडोलिजुमैब) की लॉन्चिंग के साथ भारत में मरीजों के लिए अपने बेहद इनोवेटिव पोर्टफोलियो को विस्तार देने का एलान किया है।

रेयर डिजीज (हेमेटोलॉजी, जेनेटिक डिजीज और इमयूनॉलजी) के बाद भारत में जीआई ताकेदा का दूसरा अहम क्षेत्र है, जिसमें कंपनी दवाएं उपलब्ध कराती है। इस लॉन्च के मौके पर ताकेदा इंडिया के कंट्री हेड कोकीसातो ने कहा, ताकेदा में हम लगातार मरीजों के जीवन स्तर को बेहतर करने के लिए इनोवेटिव दवाएं विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारे बेहद इनोवेटिव जीआई पोर्टफोलियो की लॉन्चिंग भारत और यहां के यूसी व सीडी जैसी बीमारियों के शिकार लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मरीजों की पहुंच से यूसी व सीडी का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के पास एक अतिरिक्त और इनोवेटिव विकल्प उपलब्ध हो सकेग के बारे में ताकेदा इंडिया के मेडिकल अफेयर्स हेड डॉ. संदीप अरोड़ा ने कहा, एशिया के देशों में भारत में आईबीडी के सबसे ज्यादा मामले हैं। दुनिया के सर्वाधिक मामले वाले देशों में भी भारत शुमार है। तेजी से हो रहे शहरीकरण, खानपान एवं जीवनशैली में बदलाव के कारण लोग इसके शिकार हो रहे हैं। काम करने के अपने खास तरीके के कारणचुनिंदा तरीके से इंटेस्टाइनल इन्फ्लेमेशन को कम करती है, जिससे लंबे समय तक आराम मिलता है। यह यूसी और सीडी के मरीजों के लिए सुरक्षित व प्रभावी इलाज है। जबर्दस्त और व्यापक क्लीनिकल ट्रायल और बड़े पैमाने पर जुटाए गए प्रमाणों के आधार पर की सुरक्षा व दक्षता स्थापित एवं प्रमााणित है। इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि इसकी मदद से संक्रमण का खतरा बढ़े बिना जीवन स्तर सुधरता है।भारत में अभी 15 लाख से ज्यादा आईबीडी के मरीज हैं।गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) बीमारियों जटिल, थकाने वाली और जिंदगी को बदल देने वाली हो सकती हैं। इससे संबंधित जरूरत को समझते हुए ताकेदा और हमारे सहयोगी 25 साल से ज्यादा  वक्त से इनोवेटिव दवाओं और डेडिकेटेड पेशेंट डिजीज सपोर्ट प्रोग्राम मरीजों के जीवन स्तर को सुधार रहे हैं। ताकेदा बीमारी से लडऩे की मरीजों की क्षमता को बढ़ाना चाहती है। साथ ही, ताकेदा इन्फलेमेटरी बाउल डिजीज, एसिड रिलेटेड डिजीज और मोटिलिटी डिसऑर्डर्स से संबंधित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी है। हमारी जीआई रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम से लिए कडिजीज और लिवर डिजीज के इलाज की दिशा में भी काम कर रही है, साथ ही माइक्रोबियम थेरेपी के जरिये वैज्ञानिक क्षेत्र में आगे भी बढ़ रही है।अल्सरेटिवकोलिटिस और क्रॉन्सडिजीज से शरीर के पाचनतंत्र में इन्फालेमेशन होता है। यूसी से कोलन और रेक्टम समेत बड़ी आंत प्रभावित होती है। यूसी के सबसे सामान्य लक्षणों में पेटदर्द और खूनीदस्त शुमार हैं। सीडी से पाचनतंत्र का कोई भी हिस्सा प्रभावित हो सकता है और इसके लक्षणों में पेटदर्द, डायरिया, रेक्टल ब्लीडिंग और वजन कम होना आदि हैं।