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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

क्या कमाई के गलत हिसाब ने किया शाहरुख को फोर्ब्स टॉप 10 से बाहर

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मुंबई (अमित कर्ण).साल 2012 में फोर्ब्स मैग्जीन ने पहली बार ‘फोर्ब्स इंडिया सेलेब्रिटी 100’ सूची जारी की थी। पहली लिस्ट में शाहरूख खान टॉप पर थे। इसके बाद अगले पांच साल तक वहटॉप 3 बने रहे। इस साल जारी हुई लिस्ट में वहटॉप 10 में भी जगह नहीं बना पाए। उनकी रैंकिंग इस तरह गिरना बॉलीवुड और एड इंडस्ट्री के गले नहीं उतर रहा है और इसे एकतरफा बताया जा रहा हैै। भास्कर ने इस बात की पड़ताल की कि महज एक साल में ऐसा क्या हुआ कि शाहरुख टॉप 10 में भी जगह नहीं बना पाए।

फोर्ब्स इंडिया का हिसाब गलत

एड गुरू प्रह्लाद कक्कड़ कहते हैं, ‘यह हैरत की बात है। फोर्ब्स इंडिया ने इस बार गलत हिसाब लगाया है। उन्होंने एकतरफा सिर्फ फिल्मों और विज्ञापनों से हुई कमाई के आधार पर लिस्ट जारी कर दी है। असल में जबकि टोटल नेटवर्थ और टर्नओवर के आधार पर रैंकिंग तय होनी चाहिए।’उधर फोर्ब्स इंडिया के एसोसिएट एडीटर सलिल पांचाल कहते हैं, ‘हमारी रैंकिंग का पैमाना किसी के टोटल नेटवर्थ और पर्सनल एसेट की बेसिस पर नहीं होता। हम एक टाइम फ्रेम में ‘फ्रंट ऑफ कैमरा’ से होने वाली कमाई के ब्यौरे से लिस्ट जारी करते हैं।’

दाे साल में विज्ञापन भी कम

सलिल आगे बताते हैं कि इस बार हमारा टाइम फ्रेम अक्टूबर 2017 से अब तक का था। इस अवधि में शाहरुख की कोई फिल्म नहीं आई थी। एंडोर्समेंट से उनकी कमाई 56 करोड़ थी। पिछले साल अगस्त से पहले तक उनकी कमाई 175 करोड़ रु. से ज्यादा थी। सलमान खान के 253 और आमिर की 95 और अक्षय कुमार की 185 करोड़ रुपए है। उस हिसाब से उनकी रैकिंग तय हुई थी। जाहिर है आगे जीरो और उनकी आने वाली फिल्मों से वे वापस टॉप टेन में आ सकते हैं। एक चीज यह भी हुई है कि शाहरुख के पिछले दो सालों में विज्ञापन कम हुए हैं। उससे भी उनकी कमाई पर असर पड़ा है। पहली कमाई और फेम का मिश्रण होता था लेकिन 2017 के बाद से हम सेलेब्रिटी की सिर्फ कमाई को पैमाना बनाते हैं।

किसी ने रकम वैलिडेट नहीं की

कक्कड़ का कहना है कि शाहरुख के प्रोडक्शन, ड्रिस्ट्रीब्यूशन, आईपीएल टीम, एंटरटेनमेंट सेंटर्स जैसे न जाने कितने इंवेस्टमेंट हैं। ऐसे में सवाल ही नहीं उठता कि उनकी नेटवर्थ से किसी को टक्कर मिलती। तो क्या जो रकम फोर्ब्स इंडिया कोट करता है, उसे स्टार्स से वैलिडेट कर कंफर्म नहीं किया जाता है। जवाब में सलिल बताते हैं, ‘हम स्टार्स को अपने फिगर्स मेल करते हैं। कई बार वे वैलिडेट करते हैं। चंद मौकों पर रकम रिवाइज करने को कहते हैं। इस साल किसी ने रकम वैलिडेट नहीं की। न रिवाइज करने को कहा।’तो क्या, लिस्ट में नाम ऊपर नीचे होने से ब्रैंड वैल्यू अफेक्ट होती है?

एड वर्ल्ड में ब्रैंड वैल्यू बरकरार

एडगुरू पीयूष पांडे बताते हैं, ‘लिस्ट से तो फर्क नहीं पड़ता। सेलेब्रिटी रेलेवेंट कितना है, उससे सारी चीजें तय होती हैं। अपनी फीस, मैच और जरूरत के हिसाब से सेलिब्रेटी को ब्रांड एंडोर्समेंट कहते हैं। काम की तादाद पर तो कोई असर नहीं पड़ता। शाहरुख, अमिताभ जैसों की रेलेवेंस तो बनी ही हुई है।’ एड वर्ल्ड में उनकी ब्रैंड वैल्यू का तो वह आज भी बरकरार है।

एक्टर के साथ एक कंप्लीट बिजनेसमैन

आमिर के बाद सबसे ज्यादा फीस उनकी है। सलमान से भी ज्यादा। शाहरुख सिर्फ एक्टर नहीं हैं,वे एक कंप्लीट बिजनेसमैन हैं। वे एक्टिंग करना बंद भी कर दें तो उनकी कमाई तो उनकी इनवेस्टमेंट से होती रहेगी। वे बड़े स्केल पर फिल्में बना रहे हैं। हैप्पी न्यू ईयर के बाद जीरो इस बात की गवाह है। तो जब मामला कमाई का है तो वह इन टोटैलिटी में देखा जाना चाहिए। न कि सिर्फ एक्टिंग और विज्ञापनों तक सीमित होना चाहिए। फोर्ब्स ने ही जलाई 2017 में इंटरनेशनल लिस्ट में शाहरुख को दुनिया के सबसे ज्यादा कमाने वाले स्टार्स की लिस्ट में 65वें नंबर पर रखा था। इस साल इस लिस्ट से भी शाहरुख बाहर हैं।

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Shah Rukh Khan out of top 10 in Forbes India celebrity