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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री चंद्रमोहन ने केन्द्र सरकार द्वारा आज गन्ने की खरीद के लिए एफ आर पी में 5 रुपए प्रति क्विंटल की दर से  बढ़ोतरी की गई है।

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पंचकूला 25 अगस्त- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री चंद्रमोहन ने केन्द्र सरकार द्वारा आज गन्ने की खरीद के लिए एफ आर पी में 5 रुपए प्रति क्विंटल की दर से  बढ़ोतरी की गई है। यह फैसला प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय केबिनेट कमेटी की बैठक में लिया गया है। इस बढ़ोतरी को  किसानों के साथ भद्दा मजाक बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा देश के किसानों के सामने आ गया है।                               ‌          उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि एक किसान के गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी का आकलन इस एफ आर पी के आधार पर किया जाए तो हर रोज की बढ़ोतरी लगभग डेढ़ पैसा बैठती है। यह ऊट के मुंह में जीरे के समान है और यही एक किसान की असली कीमत है, जो भारतीय जनता पार्टी ने देश के गन्ना उत्पादक किसानों की लगाई है। पिछले वर्ष गन्ने का एफ आर पी ‌285 रुपए प्रति क्विंटल था, जिससे आज बढ़ाकर 290 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।                                        ‌                             श्री चन्द्र मोहन ने केन्द्र सरकार के इस दावे की  खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि इससे 5 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यह नहीं बताया कि पिछले एक साल में डीजल के दाम 20 रुपए प्रति लीटर बढ़ने से एक गन्ना किसान को कितना नुक्सान झेलना पड़ेगा।  आज खाद और बीज तथा डीजल के दामों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने किसानों की आशाओं पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने तुषारापात किया है। गन्ने की एक एकड़ की लागत 20 हजार रुपए बढ़ गई है।                          ‌                                   पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार को किसानों की चिंता नहीं, उसे तो चिंता केवल कारपोरेट घरानों की है, जो देश को कंगाल बनाने पर तुले हुए हैं। इस सरकार में किसान, मजदूर और गरीब की सुनने वाला कोई नहीं है। वह तो केवल राम भरोसे ही  अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस प्रकार से मानटाईजेशन के नाम पर देश की सम्पत्ति को खूर्द- बूर्द करने में लगी हुई है उसे आने वाले समय में देश में बड़ी-बड़ी कम्पनियों का राज होगा और लोकतंत्र की दुहाई देने वाली सरकार आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद करने के श्रीगणेश करने की भागीदार होगी। इस लिए अभी भी समय है कि एक जूट होकर सरकार की जनविरोधी नीतियों का डट कर विरोध करें ताकि देश के लोकतंत्र को बचाया जा सके।