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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

सीबीएसई अपने तुगलकी फरमान थोपने से बाज आये: प्राइवेट स्कूल  एसोसिएशन के पदाधिकारी

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सीबीएसई अपने तुगलकी फरमान थोपने से बाज आये: प्राइवेट स्कूल  एसोसिएशन के पदाधिकारी

कोर्ट का दरवाजा खटाखटाने के साथ साथ सीबीएसई की मान्यता छोड़ने पर मजबूर हो जायेगें पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ केे स्कूल प्रबंधक

सीबीएसई के नित नई शर्तो से लेकर आर्डरों का पालन करने से परेशान के प्राइवेट स्कूल

चंडीगढ, समय समय पर सीबीएसई द्वारा थोपे जा रहे फैसलों से असंतुष्ट क्षेत्र के प्राईवेट स्कूलों ने चेताया है अपने तुगलकी फरमान वापस लिये जाये वर्ना वे अदालत का दरवजा खटखटाने के लिये मजबूर हैं। प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों ने यह स्पष्ट किया कि यदि सीबीएसई का यही रवैया रहा तो वे सीबीएसई बोर्ड से कन्नी काट लेंगें।

बुद्धवार को सेक्टर 27 स्थित चंडीगढ़ प्रैस कल्ब में आयोजित एक प्रैस वार्ता के दौरान स्कूल संगठनों ने देश की सबसे बड़ी एग्जाम ऐजेंसी सीबीएसई के खिलाफ खुल कर मोर्चा खोल दिया है। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के लगभग तीन हजार स्कूलों के प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया कि सीबीएसई मात्र परीक्षा संचालन करने वाली ऐजेसी है और वे बार बार कह चुके हैं कि स्कूलों में नियम प्रदेश सरकार के लागू होंगें फिर भी सप्ताह में सीबीएसई कोई न कोई आर्डर जारी कर प्राईवेट स्कूल प्रबंधकों को परेशानियों में डाल देते हैं।

हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस (एचपीएससी) के अध्यक्ष एसएस गोंसांई व वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश चन्द्र, फेडरेशन आफ प्राईवेट स्कूल एंड ऐसोसियेशन आफ पंजाब के अध्यक्ष जगजीत ंिसह व लीगल कनवीनर संजीव कुमार सैनी और चंडीगढ़ स्थित इंडीपेंडेंट स्कूल्स ऐसोसियेशन के महासचिव आरडी सिंह ने संयुक्त रुप से पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि सीबीएसई के नियमों में साफ तौर पर लिखा गया है कि दो एकड़ में बने स्कूल संचालक 48 सेक्शन बना सकते हैं लेकिन इस साल सीबीएसई ने नया फरमान निकालते हुये कहा है कि यदि कोई स्कूल नया सेक्शन का गठन करता है तो उसे 75 हजार रुपये जमा करवाने होंगें। साथ ही सीबीएसई का यह भी कहना था कि कोविड में स्कूलों में सेक्शन कम हुये हैं और यदि अब स्कूल संचालक सेक्शन बढ़ा रहे हैं तो सीबीएसई किस मुंह से सेक्शन बढ़ाने की फीस चार्ज कर रही है। नियमों में 48 सेक्शन बनाने तक कोई फीस नहीं चार्ज किये जाने का प्रावधान है।

उन्होंनें बताया कि पहले एक सेक्शन मे 40 से 50 विद्यार्थियों को पढ़ा सकते थे लेकिन सीबीएसई ने एक अन्य आदेश जारी कर एक सेक्शन में 40 बच्चों तक को पढ़ाये जाने का प्रावधान रखा है। यदि ऐसे में  किसी कक्षा में 81 विद्यार्थी हो जाये तो स्कूल संचालकों को मजबूर होकर तीन सेक्शन बनाने होंगे जो कि एक बच्चे के लिये अतिरिक्त सेक्शन बनाना असंभव है। इस स्थिति में स्कूल संचालक बच्चे का एडमिशन कैंसिल कर देंगें और यदि ऐसा होता है तो बच्चों को उनके पसंदीदा स्कूल में एडमिशन नहीं ले पायेंगें।

स्कूल प्रबंधकों ने बताया कि सीबीएसई द्वारा पांच साल बाद अनुबंध बढ़ाने पर केवल पचास हजार रुपये लेने का प्रावधान है। साथ ही उन्होंनें कहा कि सीबीएसई के नियमों के अनुसार बिल्डिंग सेफ्टी के लिये स्कूल संचालकों को अब पीडब्ल्यूडी में सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना होग, जबकि पहले नियम था कि वह सर्टिफिकेट सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त इंजीनियर भी दे सकता है। यह सेफ्टी सर्टिफिकेट हर वर्ष लेना होगा जोकि साफ तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की पहल है।

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस बात पर भी रोष जताया कि सीबीएसई द्वारा टीचर ट्रेनिंग के नाम पर ज्यादा जोर दिया जा रहा जिसके कारण टीचर्स का ध्यान ट्रेनिंग की तरफ ज्यादा हो जाता है और क्लास के स्टूडेंट्स पर अपना ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसोसियेशन ने चेताया कि यदि सीबीएसई इसी तरह स्कूल संचालकों को परेशान करती रही तो जल्द ही वे इन नीतियों के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे और  हजारों प्राइवेट स्कूल अपना बोर्ड बदलने के लिये मजबूर हो जायेंगे।