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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने आयोजित किया ‘कवि कोकिल विद्यापति स्मृति पर्व संग मैथिल मिलन समारोह’

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मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने आयोजित किया ‘कवि कोकिल विद्यापति स्मृति पर्व संग मैथिल मिलन समारोह’
 
कवि कोकिल विद्यापति स्मृति समारोह में ट्राईसिटी के लोगों देखी मैथिली संस्कृति की झलक

चंडीगढ़ 30 अक्टूबर 2023ः मिथिला स्टूडेंट यूनियन चंडीगढ़ ट्राईसिटी द्वारा ‘कवि कोकिल विद्यापति स्मृति पर्व संग मैथिल मिलन समारोह’ का आयोजन शिव शिव मानस मंदिर फेज 2  चंडीगढ़  किया गया। जिसमें मशहुर मैथिली गायको ने मैथिली गीत गाकर मिथिला की संस्कृति का गुणगान किया। इतना ही नही गायकों द्वारा कवि कोकिल विद्यापति की कुछ रचनाओं की प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर भारतीय सेना में सेवानिवृत कर्नल व समाजसेवी डॉ डीएन झा ने शिरकत की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में युवा टूर एंड ट्रेवल्स व्यवसायी कृष्णा झा उपस्थित रहे। इस दौरान उनके साथ तथा यूनियन के संरक्षक आदित्य झा, अध्यक्ष सुरजीत झा, महासचिव सुनील कुमार, समन्वयक कृष्णदेव विद्यार्थी, उपाध्यक्ष नितिश कुशवाह, कोषाध्यक्ष माधव दास तथा सदस्य मंजीत झा, माधव दास, हेमंत झा भी उपस्थित थे। इस अवसर पर यूनियन द्वारा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर की गई, तत्पश्चात महाकवि विद्यापति रचित प्रसिद्ध देवी गीत जय जय भैरवी असूर गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम में उपस्थित प्रसिद्ध मैथिल गायकों में विकास झा, सोनी चैधरी झा, निखिल महादेव झा, मधुलता मिश्रा, संजीव झा आदि ने अपने गायन में कवि कोकिल विद्यापति की रचनाएं ‘राम जी पूछे जनकपूर के नारी’, ‘हे हर हमरो किन दिय गहना’, ‘चलू भैया मिथिला धुमै लै’, ‘हम मिथिला की बेटी’, ‘जग जननी सिया’, ‘मोर रे अंगनवा चंदन केर गछीया’ व अन्य रचनाओं को बखूबी प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
यूनियन अध्यक्ष सुरजीत झा ने महाकवि विद्यापति के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विद्यापति मैथिली और संस्कृत कवि, संगीतकार, लेखक, दरबारी और राज पुरोहित थे। उन्हें ‘मैथिल कवि कोकिल’ (मैथिली के कवि कोयल) के नाम से भी जाना जाता है। महाकवि विद्यापति संस्कृत, अबहट्ठ, मैथिली आदि अनेक भाषाओं के प्रकाण्ड पंडित थे। शास्र और लोक दोनों ही संसार में उनका असाधारण अधिकार था। कर्मकाण्ड हो या धर्म, दर्शन हो या न्याय, सौन्दर्य शास्र हो या भक्ति रचना, विरह व्यथा हो या अभिसार, राजा का कृतित्व गान हो या सामान्य जनता के लिए गया में पिण्डदान, सभी क्षेत्रों में विद्यापति अपनी कालजयी रचनाओं के बदौलत जाने जाते हैं।
संरक्षक आदित्य झा ने इस अवसर पर मिथिला स्टूडेंड यूनियन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अभिषेक मिश्रा, पप्पू झा, केशव झा, जीतू मिश्रा आदि के लिए आभार व्यक्त किया और प्रति वर्ष इस प्रकार का आयोजन करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।