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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

*प्रशासन अगर ये भी कहें के कचरा प्लांट से सोने के ईंटे निकलेंगी। तब भी दद्दु माजरा में प्लांट लगाना स्वीकार्य नहीं : प्रेम गर्ग*

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*प्रशासन अगर ये भी कहें के कचरा प्लांट से सोने के ईंटे निकलेंगी। तब भी दद्दु माजरा में प्लांट लगाना स्वीकार्य नहीं : प्रेम गर्ग*
*पब्लिक सर्वे करवाये प्रशासन*
* कांग्रेस द्वारा प्लांट लगाने का पहले विरोध और अब समर्थन जनता के साथ एक धोखा*
आप नेता प्रेम गर्ग का ये कहना है कि प्रशासन द्वारा पार्षदों को या कुछ लोगों को गोवा भेजने का प्रलोभन देकर प्लांट लगाने के लिए स्वीकृति लेना, रिश्वत देने के समान है। पार्षदों को ऐसे लोभ से बचना चाहिए। आजकल कल इंटरनेट पर सारी टेक्नोलॉजी के बारे में सब कुछ उपलब्ध है और गोवा प्लांट से वीडियो इंटरनेट पर लोड की जा सकती है सिर्फ़ सैर सपाटे के लिए सरकारी पैसे का दुरुपयोग करना ग़लत है।
अगर प्रशासन किचन वेस्ट को सही तरीक़े से अलग करने में क़ामयाब हो जाता है, तो इतनी ज़्यादा क़ीमत का प्लांट दादू माजरा में लगाना सर्वथा व्यर्थ है। किचन बेस्ट को अलग करने के बाद, ये कचरा क़ीमती हो जाता है। जिससे कंपोस्ट या जैविक खाद आसानी से बनाया जा सकता है। कोई भी कंपनी या संस्था इसको ख़रीदने कर प्रोसेस करने को एकदम तैयार रहेंगे। शिमला में एलीफैंट एनर्जी नाम की कंपनी किचन वेस्ट को बिना कोई पैसा लिए घर घर से इकट्ठा भी करती है और प्रोसेस भी करती है। इस तरह की बहुत सी कंपनियां फ्री में कचरा प्रोसेस करने को तैयार होंगी। पहले भी जेपी कंपनी बिना कोई पैसा लिए कचरा प्रोसेस करती थी। उनके सिर्फ़ एक ही माँग थी, कि कचरे को अलग अलग करके दिया जाए और उसको कुछ टिपिंग चार्जेस दिये जायें। कृभको इस खाद को जेपी कम्पनी से शायद एक रुपये प्रति किलो ख़रीदती थी।
जब तक डंप पर नया कचरा जाना बंद नहीं होगा तब तक कचरे का ये पहाड़ ख़त्म नहीं हो सकता।प्रशासन को लोगों को किचन वेस्ट को कंपोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। गोवा जैसे सेर सपाटे के प्रोग्रामों और पैसा व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
प्रेम गर्ग का ये भी कहना है, कि एक बार यहाँ प्लांट लग गया, तो अगले कई दशकों तक दद्दु माजरा की जनता को दुख झेलने पड़ेंगे। प्रशासन पहले से लगे मलबा प्रोसेस करने, हार्टिकल्चर वेस्ट प्रोसेस करने और जो लेगेसी वेस्ट के दो ठेके दिये गये हैं, उनकी गुणवत्ता की जाँच करे।
गर्ग का ये भी कहना है कि अब जो कोई भी निर्णय हो वो दद्दु माजरा के लोगों से पूछ कर ही लिया जाये।