लाल डोरा के बाहर निर्माण नियमित किया जाए – प्रेम गर्ग*
आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने मांग की है कि चंडीगढ़ में लाल डोरा के बाहर के गांवों में सभी निर्माणों को पानी और लाइट कनेक्शन के साथ नियमित किया जाए।
प्रेम गर्ग पूछते हैं कि जब अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से इस तरह के निर्माण किए जा रहे थे, तब प्रशासन क्यों सोता रहा?
अब इतने सालों के बाद इन घरों को गिराना कहाँ तक न्यायोचित है?
चंडीगढ़ मूल रूप से केवल 4 से 5 लाख की आबादी के लिए बनाया गया था। लेकिन इन वर्षों में, यह आबादी आज बढ़कर 12 लाख हो गयी है और एक या दो दशक में 20 लाख को पार करने की ओर अग्रसर है। शिक्षा, नौकरी, दिहाड़ी मज़दूर, डेप्युटेशन पर दूसरे राज्यों से आए अधिकारी, वेंडर आदि, जो भी कोई यहाँ एक बार आ जाता है, यहीं का हो जाता है। चंडीगढ़ आने वाला कोई भी व्यक्ति कभी वापस नहीं जाता, बल्कि यहीं बस जाता है। चंडीगढ़ की जीवंत संस्कृति के कारण लोग अपने बच्चों की शादी चंडीगढ़ में करना पसंद करते हैं। चंडीगढ़ अब एक महानगरीय शहर बन गया है जिसमें सभी धर्मों, समुदायों और राज्यों के लोग शामिल हैं, चाहे वह पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड या यहां तक कि दक्षिणी राज्य, कहीं के भी हों। क्योंकि अब घड़ी को पीछे ले जाना असंभव है इसलिये अब हमें बढ़ती आबादी की मांगों को पूरा करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और सहूलतों की भविष्य की जरूरतों का ख्याल रखने के लिए 20 लाख आबादी की योजनायें बनानी चाहिए।
इसलिए, शहर के हेरिटेज चरित्र पर जोर देने के बजाय, लोगों की आकांक्षाओं के अनुसार एक समग्र दृष्टिकोण की कल्पना करने की आवश्यकता है, न कि हेरीटेज के खोखले आदर्शों के नाम पर बहाने बनाने की। बढ़ते परिवारों की आवश्यकता को देखते हुए, प्रशासन को मौजूदा घरों की फ़्लोर के अनुसार बिक्री की अनुमति देने की व्यवस्था पर काम करना चाहिए। विशेष रूप से उत्तरी सेक्टरों में संतुलित विकास के लिए अपार्टमेंट अधिनियम को शहर पर लागू किया जाना चाहिए। मध्य मार्ग के दोनों ओर उत्तरी और दक्षिणी सेक्टरों के बीच बिलकुल असंतुलन है। दक्षिणी सेक्टरों की तुलना में उत्तरी सेक्टरों में प्रति हेक्टेयर बहुत कम लोग रहते हैं।
हर शहरवासी अपने सिर पर छत का हकदार है, चाहे वह उसका अपना घर हो या प्रशासन द्वारा प्रदान किया गया हो। अगर प्रशासन इस बढ़ती हुई आबादी को सस्ते घर नहीं उपलब्ध करा सकता है तो हम अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने के नाम पर शहर के निवासियों को बेघर करने का जोखिम नहीं उठा सकते। लाल डोरा के बाहर तोड़फोड़ करने का आदेश देने से पहले प्रशासन को ऐसे विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के लिए योजना बनाने की जरूरत है, जो अगर असंभव नहीं तबभी एक अति कठिन कार्य होगा।
प्रशासन को इन निवासियों के बिजली और पानी के कनेक्शन को नियमित करना चाहिए। बिजली, सीवरेज, सड़कों, स्ट्रीट लाइटिंग आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए बेतरतीब निर्माणों को व्यावहारिक रूप से ठीक करवाया जाना चाहिए।
हमें ये याद रखना होगा कि *हर कोई चाहता है, एक मुठी आसमान, जो सीने से लगाले, हो ऐसा एक जहान