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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

चार टर्म में प्रधान पद पर वैश्य समाज की रही चौधर, सैनी और जाट भी 1-1 बार रहे प्रधान

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नगरपालिका के चुनाव 30 साल पहले 1987 में शुरू हुए थे। इससे पहले कमेटी में सर्वसम्मति से शीर्ष पद संभाले जाते थे। अगर जातिगत आंकड़ों का हिसाब देखें तो शहर की सरकार बनाने व चलाने में वैश्य समाज की बड़ी भूमिका रही है। 1987 से लेकर 2005 तक लगातार चार प्रधान वैश्य समाज के ही रहे हैं। परिषद के पहले प्रधान भी वैश्य समाज से ही थे और पहली मेयर भी वैश्य समाज से ही रहीं।

3 साल तक डीसी ने कमिश्नर के रूप संभाला निगम निगम

नगर निगम बनने से पहले आखिरी दौर में यानी 2010 से पहले सैनी समाज से व इससे पहले जाट समाज से भी प्रधान रहे हैं। हालांकि जाट समाज के प्रधान का कार्यकाल केवल एक साल तक ही रहा। इसके बाद सैनी को प्रधान चुना गया और फिर नगर निगम का गठन हो गया। तीन साल तक डीसी ही कमिश्नर के रूप में निगम चलाते रहे। इसके बाद 2013 में पहली बार नगर निगम के चुनाव हुए। इसमें भी वैश्य समाज से ही मेयर बनीं। प्रधान व मेयर को पार्षद चुनते थे। जिस पार्षद को सबसे अधिक पार्षदों का समर्थन हासिल होता वही प्रधान बनते रहे।

ये भी जानिए… पंजाबी समाज से 3 बार कार्यकारी प्रधान रहे

<img src=\"images/p3.png\" शहर की सरकार के इतिहास में अभी तक पंजाबी समाज के पास सीधे रूप में कभी चौधर नहीं आई। पंजाबी समाज को तीन बार कार्यकारी प्रधान बनने का मौका मिला। ये भी तब जब अविश्वास आया।

<img src=\"images/p3.png\" 1977 में बलदेव तायल सर्वसम्मति से चुने हुए प्रधान थे, इसके बाद 10 साल तक प्रशासक ने संभाली बागडोर

<img src=\"images/p3.png\" वर्ष 1977 में बलदेव तायल कमेटी के प्रधान थे। वर्ष 1987 से पहले सर्वसम्मति से प्रधान चुने जाते थे। इन वर्षों के बीच यानी 1977 से 1987 तक प्रशासक ने ही कार्यभार संभाला था। 1962 में नंद राम सैनी भी कमेटी के प्रधान थे।

कार्यकारी प्रधान के रूप में रहीं वीना झांब व मंजू अरोड़ा

हनुमान ऐरन के पद छोड़ने के बाद वीना झांब दो से तीन महीने के लिए कार्यकारी प्रधान बनीं। यशवीर गोयल के बाद कुछ समय के लिए अविश्वास प्रस्ताव पास कर मंजू अरोड़ा और श्याम आर्य प्रधान बनीं। फिर बिहारी लाल राड़ा प्रधान बने इसके बाद मामला कोर्ट में पहुंच गया और मंजू अरोड़ा के बाद श्याम आर्य फिर कार्यकारी प्रधान बने। कुछ समय बाद फिर बिहारी लाल राड़ा प्रधान बने थे।

नगर निगम में अब फिर चुनाव की तैयारी।

चुनावी प्रक्रिया से चुने प्रधान…. जानिए कब कौन रहा कुर्सी पर काबिज

1. नगर परिषद प्रधान पहले : रामभगत गुप्ता (1987 से 1992 तक)

नोट: इसके बाद तीन साल तक प्रशासक ने कार्यभार संभाला।

2. कृष्ण टीटू :1995 से फरवरी 2000 तक।

3. हनुमान ऐरन : 2000 से 2003- तीन बच्चों के मामले में उन्हें प्रधान पद छोड़ना पड़ा।

4. यशवीर गोयल : 2003 से 2005

5. अरविंद खरींटा : 2005 से 2006 तक

6. बिहारी लाल राड़ा : वर्ष 2006 से 2010 तक

नोट: इसके बाद नगर निगम बन गया। तीन साल तक डीसी ने कमिश्नर के रूप में निगम की बागडोर संभाली।

नगर निगम बनने के बाद

1. मेयर शकुंतला राजलीवाला : 2013 से जुलाई 2018 तक

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