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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

72 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री द्वारा दिए गये भाषण का मूल पाठ

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मेरे प्‍यारे देशवासियों,

आज़ादी के पावन पर्व की आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

आज देश एक आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ है। सपनों को संकल्‍प के साथ परिश्रम की पराकाष्‍ठा कर-करके देश नई ऊंचाईयों को पार कर रहा है। आज का सूर्योदय एक नई चेतना, नई उमंग, नया उत्‍साह, नई ऊर्जा ले कर आया है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, हमारे देश में 12 वर्ष में एक बार नीलकुरिंजी का पुष्‍प उगता है। इस वर्ष दक्षिण की नीलगिरी की पहाडि़यों पर यह हमारा नीलकुरिंजी का पुष्‍प जैसे मानो तिरंगे झंडे के अशोक चक्र की तरह देश की आज़ादी के पर्व में लहलहा रहा है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, आज़ादी का यह पर्व हम तब मना रहे हैं, जब हमारी बेटियां उत्‍तराखंड, हिमाचल, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश – इन राज्‍यों की हमारी बेटियों ने सात समंदर पार किया और सातों समंदर को तिरंगे रंग से रंग करके वह हमारे बीच लौट आईं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, हम आज़ादी का पर्व आज उस समय मना रहे हैं, जब एवरेस्‍ट विजय तो बहुत हुए, अनेक हमारे वीरों ने, अनेक हमारी बेटियों ने एवरेस्‍ट पर जा करके तिरंगा झंडा फहराया है। लेकिन इस आज़ादी के पर्व में मैं इस बात को याद करूंगा कि हमारे दूर-सुदूर जंगलों में जीने वाले नन्‍हें-मुन्‍ने आदिवासी बच्‍चों ने इस बार एवरेस्‍ट पर तिरंगा झंडा फहरा करके तिरंगे झंडे की शान और बढ़ा दी है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, अभी-अभी लोकसभा, राज्‍यसभा के सत्र पूरे हुए हैं। आपने देखा होगा कि सदन बहुत अच्‍छे ढंग से चला  और एक प्रकार से संसद के यह सत्र पूरी तरह सामाजिक न्‍याय को समर्पित था। दलित हो, पीडि़त हो, शोषित हो, वंचित हो, महिलाएं हो उनके हकों की रक्षा करने के लिए हमारी संसद ने संवेदनशीलता और सजगता के साथ सामाजिक न्‍याय को और अधिक बलतर बनाया।

ओबीसी आयोग को सालों से संवैधानिक स्थान के लिए मांग उठ रही थी। इस बार संसद ने पिछड़े, अति पिछड़ों को, उस आयोग को संवैधानिक दर्जा दे करके, एक संवैधानिक व्‍यवस्‍था दे करके, उनकी हकों की रक्षा करने का प्रयास किया।

हम आज उस समय आज़ादी का पर्व मना रहे हैं, जब हमारे देश में उन खबरों ने देश में नई चेतना लाई, जिनसे हर भारतीय जो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहता हो, आज इस बात का गर्व कर रहा है,कि भारत ने विश्‍व की छठी बड़ी Economy में अपना नाम दर्ज करा दिया है। ऐसे एक सकारात्‍मक माहौल में, सकारात्‍मक घटनाओं की श्रृंखला के बीच आज हम आज़ादी का पर्व मना रहे हैं।

देश को आज़ादी  दिलाने के लिए पूज्‍य बापू के नेतृत्‍व में लक्षावधि लोगों ने अपना जीवन खपा दिया, जवानी जेलों में गुज़ार दी। कई क्रांतिकारी महापुरुषों ने फांसी के तख्‍ते पर लटक करके देश की आज़ादी के लिए फांसी के फंदों को चूम लिया। मैं आज देशवासियों की तरफ से आज़ादी के इन वीर सेनानियों को हृदयपूर्वक नमन करता हूं, अंत:पूर्वक  प्रणाम करता हूं जिस तिरंगे झंडे की आन-बान-शान, हमें जीने-जूझने की, मरने-मिटने की प्रेरणा देता है,जिस तिरंगे की शान के लिए देश की सेना के जवान अपने प्राणों की आहूति दे देते हैं,  हमारे अर्धसैनिक बल जिंदगी खपा देते हैं, हमारे पुलिस बल के जवान सामान्‍य मानवी की रक्षा के लिए दिन-रात देश की सेवा में लगे रहते हैं।

मैं सेना के सभी जवानों को, अर्धसैनिक बलों को, पुलिस के जवानों को, उनकी महान सेवा के लिए, उनकी त्‍याग-तपस्‍या के लिए, उनके पराक्रम और पुरुषार्थ के लिए आज तिरंगे झंडे की साक्ष्य़ में लालकिले की प्राचीर से शत-शत नमन करता हूं और उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

इन दिनों देश के अलग-अलग कोने से अच्‍छी वर्षा की खबरें आ रही हैं, तो साथ-साथ बाढ़ की भी खबरें आ रही हैं। अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण जिन परिवारों को अपने स्‍वजन खोने पड़ें हैं, जिन्‍हें मुसीबतें झेलनी पड़ी हैं, उन सबके प्रति देश पूरी शक्ति से उनकी मदद में खड़ा है और जिन्‍होंने अपनों को खोया है, उनके दुख में मैं सहभागी हूं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, अगली बैसाखी हमारे जलियावालां बाग के नरसंहार को सौ वर्ष हो रहे हैं। देश के सामान्‍य लोगों ने देश की आज़ादी  के लिए किस प्रकार से जान की बाजी लगा दी थी औऱ ज़ुल्‍म की सीमाएं कितनी लांघ चुकी थी। जलियावालां बाग हमारे देश के उन वीरों के त्‍याग और बलिदान का का संदेश देता है। मैं उन सभी वीरों को हृदयपूर्वक, आदरपूर्वक नमन करता हूं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, ये आज़ादी  ऐसे ही नहीं मिली है। पूज्‍य बापू के नेतृत्‍व में अनेक महापुरुषों ने, अनेक वीर पुरुषों ने, क्रांतिकारियों के नेतृत्‍व में अनेक नौजवानों ने, सत्‍याग्रह की दुनिया में रहने वालों ने जवानी जेलों में काट दी। देश को आज़ादी दिलाई, लेकिन आज़ादी  के इस संघर्ष में सपनों को भी संजोया है। भारत के भव्‍य रूप को भी उन्‍होंने मन में अंकित किया है। आज़ादी  के कई वर्षों पहले तमिलनाडु के राष्‍ट्र कवि सुब्रह्मण्‍यम भारती ने अपने सपनों को शब्‍दों में पिरोया था।

और उन्‍होंने लिखा था-

एल्‍लारुम् अमरनिलई आईडुमनान

मुरईअई इंदिया उलागिरिक्‍कु अलिक्‍कुम

यानि कि भारत, उन्‍होंने आज़ादी के बाद क्‍या सपना देखा था? सुब्रह्मण्‍यम भारती ने कहा था- भारत पूरी दुनिया के हर तरह के बंधनों से मुक्ति पाने का रास्‍ता दिखाएगा।

मेरे प्‍यारे देशवासियो, इन महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए आज़ादी के सेनानियों की इच्‍छाओं को परिपूर्ण करने के लिए, देश के कोटि-कोटि जनों की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए आज़ादी के बाद पूज्‍य बाबा साहेब अम्‍बेडकर जी के नेतृत्‍व में भारत ने एक समावेशी संविधान का निर्माण किया। ये हमारा समावेशी संविधान एक नए भारत के निर्माण का संकल्‍प ले करके आया है। हमारे लिए कुछ ज़िम्‍मेवारियां ले करके आया है। हमारे लिए सीमा रेखाएं तय करके आया है। हमारे सपनों को साकार करने के लिए समाज के हर वर्ग को हर तबके को, भारत के हर भू-भाग को समान रूप से अवसर मिले आगे ले जाने के लिए; उसके लिए हमारा संविधान हमें मार्गदर्शन करता रहा है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, हमारा संविधान हमें कहता है, भारत के तिरंगे झंडे से हमें प्रेरणा मिलती है- गरीबों को न्‍याय मिले, सभी को, जन-जन को आगे बढ़ने का अवसर‍ मिले, हमारा निम्‍न-मध्‍यम वर्ग, मध्‍यम वर्ग, उच्‍च-मध्‍यम वर्ग, उनको आगे बढ़ने में कोई रुकावटें न आएं, सरकार की अड़चनें न आएं। समाज व्‍यवस्‍था उनके सपनों को दबोच न ले, उनको अधिकतम अवसर मिले, वो जितना फलना-फूलना चाहें, खिलना चाहें, हम एक वातावरण बनाएं।

हमारे बुज़ुर्ग हों, हमारे दिव्‍यांग हों, हमारी महिलाएं हों, हमारे दलित, पीड़ित, शोषित, हमारे जंगलों में ज़िंदगी गुजारने वाले आदिवासी भाई-बहन हों, हर किसी को उनकी आशा और अपेक्षाओं के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर मिले। एक आत्‍मनिर्भर हिन्‍दुस्‍तान हो, एक सामर्थ्‍यवान हिन्‍दुस्‍तान हो, एक विकास की निरंतर गति को बनाए रखने वाला, लगातार नई ऊंचाइयों को पार करने वाला हिन्‍दुस्‍तान हो, दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान की साख हो, और इतना ही नहीं, हम चाहते हैं कि दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान की दमक भी हो। वैसा हिन्‍दुस्‍तान बनाने के लिए हम चाहते हैं।

मेरे प्‍यारे देशवासियो, मैंने पहले भी Team India की कल्‍पना आपके सामने रखी है। जब सवा सौ करोड़ देशवासियों की भागीदारी होती है, जन-जन देश को आगे बढ़ाने के लिए हमारे साथ जुड़ता है। सवा सौ करोड़ सपने, सवा सौ करोड़ संकल्‍प, सवा सौ करोड़ पुरुषार्थ, जब निर्धारित लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए सही दिशा में चल पड़ते हैं तो क्‍या कुछ नहीं हो सकता?

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, मैं आज बड़ी नम्रता के साथ, बड़े आदर के साथ ये ज़रूर कहना चाहूंगा कि 2014 में इस देश के सवा सौ करोड़ नागरिकों ने सरकार चुनी थी तो वे सिर्फ सरकार बना करके, रुके नहीं थे। वे देश बनाने के लिए जुटे भी हैं, जुटे भी थे और जुटे रहेंगे भी। मैं समझता हूं यही तो हमारे देश की ताकत है। सवा सौ करोड़ देशवासी, हिन्‍दुस्‍तान के छह लाख से अधिक गांव आज श्री अरविंद  की जन्‍म जयंती है। श्री अरविंद ने बहुत सटीक बात कही थी। राष्‍ट्र क्‍या है, हमारी मातृभूमि क्‍या है, ये कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है, न ही ये सिर्फ संबोधन है, न ही ये कोई कोरी कल्‍पना है राष्‍ट्र एक विशाल शक्ति है जो असंख्‍य छोटी-छोटी इकाइयों को संगठित ऊर्जा का मूर्त रूप देती है। श्री अरविंद की ये कल्‍पना ही आज देश के हर नागरिक को, देश को आगे ले जाने में जोड़ रही है। लेकिन हम आगे जा रहे है वो पता तब तक नहीं चलता है जब तक हम कहां से चले थे, उस पर अगर नजर न डाले, कहां से हमने यात्रा का आरंभ किया था, अगर उसकी ओर नहीं देखेंगेतो कहां गए हैं, कितना गए हैं, इसका शायद अंदाज़ नहीं आएगा। और इसलिए 2013 में हमारा देश जिस रफ़्तार से चल रहा था, जीवन के हर क्षेत्र में 2013 की रफ़्तार थी, उस 2013 की रफ़्तार को अगर हम आधार मान कर सोचें और पिछले 4 साल में जो काम हुए हैं, उन कामों का अगर लेखा-जोखा लें, तो आपको अचरज होगा कि देश की रफ़्तार क्‍या है, गति क्‍या है, प्रगति कैसे आगे बढ़ रही है। शौचालय ही ले लें, अगर शौचालय बनाने में 2013 की जो रफ़्तार थी, उसी रफ़्तार से चलते तो शायद कितने दशक बीत जाते, शौचालय शत-प्रतिशत पूरा करने में।

अगर हम गांव में बिजली पहुंचाने की बात को कहे, अगर 2013 के आधार पर सोचें तो गांव में बिजली पहुंचाने के लिए शायद एक-दो दशक और लग जाते। अगर हम 2013 की रफ़्तार से देखें तो एलपीजी गैस कनेक्‍शन गरीब को, गरीब मां को धुंआ-मुक्‍त बनाने वाला चूल्‍हा, अगर 2013 की रफ़्तार से चले होते तो उस काम को पूरा करने में शायद 100 साल भी कम पड़ जाते, अगर 2013 की रफ़्तार से चले होते तो। अगर हम 13 की रफ़्तार से optical fibre network करते रहते, optical fibre  लगाने का काम करते तो शायद पीढि़यां निकल जाती, उस गति से optical fibre हिन्‍दुस्तान के गांवों में पहुंचाने के लिए। ये रफ़्तार, ये गति, ये प्र‍गति, ये लक्ष्‍य इस प्राप्ति के लिए हम आगे बढ़ेगें।

भाइयों-बहनों, देश की अपेक्षाएं बहुत हैं, देश की आवश्‍यकताएं बहुत हैं और उसको पूरा करना, सरकार हो, समाज हो, केंद्र सरकार हो, राज्‍य सरकार हों, सबको मिलजुल कर प्रयास करना ये निरंतर आवश्‍यक होता है और उसी का परिणाम है, आज देश में कैसा बदलाव आया है। देश वही है, धरती वही है, हवाएं वही हैं, आसमान वही है, समन्दर वही है, सरकारी दफ्तर वही हैं, फाइलें वही हैं, निर्णय प्रक्रियाएं करने वाले लोग भी वही हैं। लेकिन चार साल में देश बदलाव महसूस कर रहा है। देश एक नई चेतना, नया उमंग, नए संकल्‍प, नई स‍िद्ध‍ि, नया पुरूषार्थ, उसको आगे बढ़ा रहा है और तभी तो आज देश दोगुना Highway बना रहा है। देश चार गुना गांव में नए घर बना रहा है। देश आज Record अनाज का उपादन कर रहा है, तो देश आज Record Mobile phone का Manufacturing भी कर रहा है। देश आज Record ट्रैक्टर की खरीद हो रही है। गांव का किसान ट्रैक्टर, Record ट्रैक्टर की खरीद हो रही है, तो दूसरी तरफ देश में आज आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा हवाई जहाज खरीदने का भी काम हो रहा है। देश आज स्कूलों में शौचालय बनाने पर भी काम कर रहा है, तो देश आज नए IIM, नए IIT, नए AIIMS इसकी स्थापना कर रहा है। देश आज छोटे-छोटे स्थानों पर नए Skill Development के Mission को आगे बढ़ाकर के नए-नए Centre खोल रहा है तो हमारे tier 2, tier 3 cities में Start-up की एक बाढ़ आई हुई है, बहार आई हुई है।

भाइयों-बहनों, आज गांव-गांव तक Digital India को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तो एक संवेदनशील सरकार एक तरफ Digital हिन्दुस्तान बने, इसके लिए काम कर रही है, दूसरी तरफ मेरे जो दिव्यांग भाई-बहनें हैं, उनके लिये Common Sign, उसकी  Dictionary बनाने का काम भी उतने ही लगन  के साथ आज हमारा देशकर रहा है। हमारे देश का किसान इन आधुनि‍कता, वैज्ञानिकता की ओर जाने के लिये micro irrigation, drip irrigation , Sprinkle उस पर काम कर रहा है, तो दूसरी तरफ 99 पुरानी बंद पड़ी सिंचाई के बड़े-बड़े project भी चला रहा है। हमारे देश की सेना कही पर भी प्राकृतिक आपदा हो, पहुंच जाती है। संकट से घिरे मानव की रक्षा के लिये हमारी सेना करूणा, माया, ममता के साथ पहुंच जाती है, लेकि‍न वह सेना जब संकल्‍प लेकर के चल पड़ती है, तो surgical strike करके दुश्मन के दांत खट़टे करके आ जाती है। ये हमारा देश के विकास का canvas कितना बड़ा है, एक छोर देखिये, दूसरा छोर देखिये। देश पूरे बड़े canvas पर आज नए उमंग और नए उत्साह के साथ आगे बढ़ रहा है।

मैं गुजरात से आया हूं। गुजरात में एक कहावत है। ‘निशानचूक माफ लेकिन नहीं माफ नीचू निशान’। यानि  Aim बड़े होने चाहिए, सपने बड़े होने चाहिए। उसके लिये मेहनत करनी पड़ती है, जवाब देना पड़ता है, लेकि‍न अगर लक्ष्य बड़े नहीं होगें, लक्ष्य दूर के नहीं होगें, तो फिर फैसले भी नहीं होते हैं। विकास की यात्रा भी अटक जाती है। और इसलिये मेरे प्यारे भाइयों-बहनों,  हमारे लिये आवश्यक है कि हम बड़े लक्ष्य लेकर के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की दिशा में प्रयास करे। जब लक्ष्य ढुलमुल होते हैं, हौसले बुलंद नहीं होते हैं, तो समाज जीवन के जरूरी फैसले भी सालों तक अटके पड़े रहते हैं। MSP देख लीजिये, इस देश के अर्थशास्‍त्री मांग कर रहे थे, किसान संगठन मांग कर रहे थे, किसान मांग कर रहा था, राजनीतिक दल मांग कर रहे थे, कि किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी मिलना चाहिए। सालों से चर्चा चल रही थी , फाइलें चलती थीं, अटकती थीं, लटकती थीं, फटकती थीं, लेकिन हमने फैसला लिया। हिम्मत के साथ फैसला लिया कि मेरे देश के किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया जाएगा।

GST, कौन सहमत नहीं था, सब कोई चाहते थे GST, लेकिन निर्णय नहीं हो पाते थे, फैसले लेने में मेरा अपना लाभ, गैर-लाभ, राजनीति, चुनाव यह चीजों का दबाव रहता था। आज मेरे देश के छोटे-छोटे व्यापारियों की मदद से उनके खुलेपन से नए पन को स्वीकारने के उनके स्वाभाव के कारण आज देश ने GST लागू कर दिया। व्यापारियों में एक नया विश्वास पैदा हुआ मैं देश के व्यापा