- एशेज सीरीज इंग्लैंड में आज से शुरू हो रही, पहला टेस्ट बर्मिंघम में
- इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दो-दो कप्तानों ने बताया एशेज का दबाव
Dainik Bhaskar
Aug 01, 2019, 09:42 AM IST
खेल डेस्क. द एशेज गुरुवार से इंग्लैंड में शुरू हो रही है। पहला टेस्ट बर्मिंघम में है। एशेज में खिलाड़ियों पर दबाव किसी भी दूसरी सीरीज से ज्यादा होता है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की ओर से एशेज में कप्तानी कर चुके दो-दो कप्तानों से जानते हैं कि एशेज कितना अहम है। इसके दबाव से निपटने के लिए खिलाड़ी क्या तरीके अपनाते हैं।
एंड्रयू स्ट्रॉस ने इंग्लैंड को घर और ऑस्ट्रेलिया दोनों जगह एशेज जिताई
2009 में हमने अपने देश में एशेज जीता था, लेकिन 2010 में एक बड़ा चैलेंज हमारा इंतजार कर रहा था- ऑस्ट्रेलिया में जाकर एशेज जीतना। टीम इसे लेकर काफी दबाव में थी। डिफेंडिंग चैंपियन होने के नाते ये दबाव और भी ज्यादा था। ऐसे में मैंने एक दांव खेला। मैंने बोर्ड से अनुरोध किया कि वे खिलाड़ियों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स को टूर पर उनके साथ जाने दें। इजाजत मिल गई। मैंने ऑस्ट्रेलिया पहुंचकर इन सभी लेडीज से बात की। कहा- आप जानती हैं कि हम सभी दबाव में हैं। एशेज जीतने में आपको भी बहुत बड़ी भूमिका निभानी है। आपको बस ये तय करना है कि आपका पार्टनर मैदान की बात मैदान पर ही छोड़कर आए। वह दबाव में ना रहे। तनाव कम करने के लिए परिवार के साथ से बेहतर कुछ नहीं। नतीजा- हमने ऑस्ट्रेलिया में जाकर सीरीज जीती। साथ ही ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान एलन बॉर्डर की 1989 एशेज के वक्त दी गई वह धारणा भी गलत साबित हुई कि परिवार के साथ रहने पर खिलाड़ी का ध्यान भटकता है।
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने ऑस्ट्रेलिया की लगातार आठ एशेज जीत का सिलसिला तोड़ा
नासिर हुसैन की एशेज थ्योरी थी कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से मैदान के बाहर कोई बात नहीं। उनके साथ कोई पार्टी नहीं। ताकि वे अपनी बातों से मनोवैज्ञानिक दबाव ना बना सकें। मैंने 2005 एशेज से पहले टीम से कहा- ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से खूब बात करें, उनके माइंडसेट को समझिए, उनके साथ बीयर पीने जाइए, ताकि आप समझ सकें कि उनके रिकॉर्ड भले एलियन जैसे हों, लेकिन वो भी इंसान ही हैं। उन्हें हराना नामुमकिन नहीं है। ये तरकीब काम भी आई। हमने ऑस्ट्रेलिया के लगातार आठ एशेज जीत के सिलसिले को तोड़ा और 2-1 से सीरीज जीती। जीतने के बाद देश ने हमें जिस तरह सिर-आंखों पर बैठाया, वो अद्भुत था। ओपन बस में बैठकर हमने रोड शो किया। महारानी ने भी टीम को मिलने के लिए बुलाया। वो शानदार वक्त था। खैर, एशेज का सारा खेल माइंडसेट का है। इसमें कप्तान का किरदार अहम होता है। उसे चश्मा और आगे की ओर झुकी टोपी लगा लेनी होती है, ताकि साथियों को इमोशन दिखने ना पाएं।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान एलन बॉर्डर ने लगातार तीन बार सीरीज जिताई
1987 की एशेज में हमें 1-2 से हार मिली। ये हमने लगातार दूसरी एशेज हारी थी। अब इसे खुशकिस्मती कहें या बदकिस्मती कि जिस दिन हमारी सीरीज खत्म हुई, उसी दिन ऑस्ट्रेलिया के टेनिस खिलाड़ी पैट कैश ने डेविस कप फाइनल जीता। मैच खत्म होने के बाद हमारी टीम भी अपने देश को टेनिस में जीतते हुए टीवी पर देख रही थी। हम सभी उस जीत का लुत्फ भी उठा रहे थे। तभी पैट की जीत के बाद ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री बॉब हॉक प्रजेंटेशन सेरेमनी में आए और बोले- ‘काश हमारे पास क्रिकेट के मैदान पर भी 11 पैट कैश होते।’ हमारी पूरी टीम में ये बात सुनकर सन्नाटा छा गया। जब देश के पीएम की ओर से आपको ताना मिले तो ये लाजिमी भी था। ये ताना किसी और हार पर नहीं, एशेज हारने पर था। खैर हमने उनके इस ताने का मान भी रखा। असर ये रहा कि ऑस्ट्रेलिया ने इसके बाद लगातार आठ बार एशेज सीरीज जीती। ये वो दौर था, जब हमने वनडे क्रिकेट में भी बादशाहत कायम की।
पूर्व कप्तान इयान चैपल ने ऑस्ट्रेलिया को दो बार एशेज जिताई
करीब 1930 के आस-पास की बात है, जब मेरे दादा जी विक रिचर्डसन ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेलते थे। इंग्लैंड की तेज, बाउंस लेती घातक गेंदबाजी ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों में डर पैदा कर दिया था। उस वक्त टीम में सर डॉन ब्रैडमैन भी थे। इंग्लैंड की उस गेंदबाजी ने एक बार को तो सर डॉन को भी बैकफुट पर ला दिया था। दादा जी ने उस वक्त टीम के सामने सुझाव रखा कि हमारे गेंदबाज भी उसी अंदाज में जवाब दें, लेकिन टीम के बाकी सदस्यों ने इसे खेल की मर्यादा के खिलाफ माना। 1974 में मैंने एशेज में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की। खुशकिस्मती से अब हमारे पास डेनिस लिली और जेफ थॉमसन जैसे तेज गेंदबाज थे। उनकी जबरदस्त रफ्तार और उछाल के आगे इंग्लैंड 1-4 से सीरीज हारा। दादाजी एशेज में ऑस्ट्रेलिया की ऐसी खौफनाक गेंदबाजी देखने के लिए जिंदा नहीं थे। होते, तो मैं उनसे कहता- देखिए, आपका 40 साल पुराना सपना आज हमने पूरा कर दिया।