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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

सेना का पसोपेश: साथी अफसर की पत्नी का ‘प्रेम चुराना’ अपराध है या नहीं

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नईदिल्ली(मुकेश कौशिक).देश की पुरुष बहुलता वाली 14 लाख की फौज में समलैंगिकता को अपराध माना जाता है। इसी तरह एडल्टरी (किसी दूसरे की पत्नी के साथ संबंध) को भी यहां बेहद शर्मनाक कृत्य माना गया है। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों ही बातों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। ऐसे में सेना भी अब इसे लेकर पसोपेश में है।

एडल्टरी को लेकर सेना में खास टर्म इस्तेमाल की जाती है। आर्मी एक्ट में इसे साथी-बंधु अधिकारी की पत्नी का प्रेम चुराना यानी स्टीलिंग अफेक्शन ऑफफेलो ब्रदर आफिसर्स वाइफ कहा जाता है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या अब सैन्य बलों में भी इन पर यही रुख अपनाया जाएगा।

दैनिक भास्कर से सैन्य प्रमुखों की समिति के अध्यक्ष एवं नौसेनाध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि इन फैसलों पर विचारमंथन चल रहा है। एडमिरल लांबा ने कहा- माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले सुनाए हैं। हम इनकी अनदेखी कैसे कर सकते हैं। लेकिन क्या इन फैसलों को रक्षा बलों में लागू किया जाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि इन दोनों ही जजमेंट के बारे में स्टडी आॅर्डर कर दी गई है। उसके आधार पर ही सैन्य बल अपनी सिफारिश सरकार को देंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को सैन्य बलों में लागू करना किस हद तक अनिवार्य है, इस बारे में भास्कर ने पड़ताल की।

सेना में सात साल तक जज एडवोकेट जनरल (जैग) के पद पर रह चुके रिटायर्ड मेजर जनरल नीलेंद्र कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले किन्हीं खास संदर्भ में आए हैं, जो सिविलियंस के लिए हैं। लेकिन यह भी सच है कि सैन्य बलों में भी तो देश के नागरिक हैं। इस लिहाज से सुप्रीम कोर्ट के दूरगामी महत्व के निर्णयों की बारीकी से पड़ताल की जाती है और देखा जाता है कि उन्हें सेना में लागू करने के क्या परिणाम होंगे।इस तरह के फैसले के अध्ययन के लिए 7 से 9 सदस्यों की टीम स्टडी करती है। स्टडी टीम अपनी सिफारिशें देती है और सैन्य कमांडर उसे रक्षा मंत्रालय के माध्यम से सरकार को भेजते हैं। इन दोनों ही मामलों में सेंसेटिव बातें जुड़ी हैं।

मेजर जनरल नीलेंद्र का कहना है कि फौज में लंबे समय तक सुदूरवर्ती इलाकों में तैनातियां होती हैं। शिप और पनडुब्बियों में महीनों तक अफसर और जवान कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। होमोसेक्सुअलिटी को अगर वहां अपराध के दायरे से निकाल दिया गया तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। पूर्व जैग ने कहा कि इसी तरह एडल्टरी का मामला भी ऐसा ही है। इसमें किसी तरह की ढील देना संभव नहीं है।

मेजर जनरल नीलेंद्र ने माना कि होमोसेक्सुअलिटी और एडल्टरी के मामले सैन्य बलों में बहुत रेयर होते हैं लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में स्टडी टीम को देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर क्या रुख लिया जाए। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों की फौजों में लेस्बियन, गे, ट्रांसजेंडर और बाई सेक्सुअल की अनुमति है। ऐसे में स्टडी के दौरान उनके अनुभवों को भी देखा जा सकता है।

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Army in Dilemma on adultery Law