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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

महिलाओं से शिक्षा में न हो कोई भेदभाव – राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय

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महिलाओं से शिक्षा में न हो कोई भेदभाव – राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय

वारित्रा फाउंडेशन की ओर से महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से आयोजित टेकड़ी-संवाद से शुरूआत कार्यक्रम में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने बतौर मुख्य अतिथि की शिरकत उपस्थित महिलाओं को किया संबोधित
चण्डीगढ़, 10 अगस्त – हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि समाज व राष्ट्र की प्रगति के लिये महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी है। उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिये। एक महिला के शिक्षित होने से दो परिवार शिक्षित होते हैं। शिक्षा से महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ता है। आज देश में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहां महिलायें अग्रणी न हों।
राज्यापाल आज करनाल में डा. मंगलसेन आडिटोरियम में वारित्रा फाउंडेशन की ओर से महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से आयोजित टेकड़ी-संवाद से शुरूआत कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी, अनंत राज लि. के एमडी अमित सरीन, मेयर रेणू बाला गुप्ता और पैरा तैराकी में स्वर्ण पदक विजेता आयुषी ठकराल ने भाग लिया। परिचर्चा सत्र में आयकर विभाग अमृतसर की मुख्य आयुक्त जहांजेब अख्तर, हिपा की ओएसडी एवं प्रेरक वक्ता अनीता कुंडू, किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य डॉ. सुमन मंजरी और मीडिया प्रोफेशनल अनन्या गौड ने शिरकत की। इससे पहले राज्यपाल ने ऑडिटोरियम में आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया और उसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की।
श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि वारित्रा संस्था 5 साल से प्रदेश के गांवों में शिक्षा, महिला कल्याण व कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रही है। महिलाओं में विश्वास जगाने के लिये ऐसे कार्यक्रम जारी रहने चाहियें। पुरूष प्रधान समाज के वर्चस्व को कम करने के लियेे महिलाओं को ग्राम सभाओं में भी भागेदारी बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि देश की महिलायें दूरदर्शिता, उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ चुनौतियों का सामना कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि महिलायें अनादिकाल से मानवता की प्रेरणा का स्रोत रही हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक महिलाओं ने समाज में बदलाव के बड़े उदाहरण स्थापित किये हैं। यह गर्व की बात है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी एक महिला हैं जो एक छोटे से गांव से उठकर त्याग और तपस्या के बल पर देश के सर्वाेच्च पद तक पहुंची हैं। बैंकिंग, अंतरिक्ष, विज्ञान, सिविल सेवा जैसे क्षेत्रों में महिलायें खुद को रोल मॉडल के रूप में स्थापित कर चुकी हैं।
राज्यपाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने महिलाओं के कल्याण के लिये अनेक योजनायें शुरू की हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिंगानुपात में सुधार के लिये हरियाणा से शुरू की गई बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के सार्थक नतीजे सामने आये हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सराहना करते हुए कहा कि आपकी बेटी हमारी बेटी योजना के तहत अनुसूचित जाति व गरीब परिवारों को पहली बेटी के जन्म पर 21 हजार रुपये भारतीय जीवन बीमा निगम में जमा कराये जाते हैं जो 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर करीब एक लाख रुपये के रूप में वापस मिलते हैं। बेटियों के प्रति सोच को बदलना होगा। नासा से जुड़ी डा. स्वाति मोहन और संयुक्त राज्य अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस मेहनत के बल पर इस पद तक पहुंची हैं।
इससे पूर्व कौशल विकास मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि समाज में पुरानी जटिल व्यवस्थायें धीरे-धीरे बदल रही हैं। महिला सशक्तिकरण के लिये कौशल विकास को बढ़ावा दयिा जाना चाहिये। महिलाओं से अपील की कि वे कौशल विकास की विभिन्न योजनाओं का फायदा उठायें। इससे वे आर्थिक रूप से भी मजबूत होंगी।
महिलायें के सवालों का दिया जवाब
इस मौके पर पैनेलिस्ट में शामिल जहांजेब अख्तर, अनीता कुंडू, अनन्या गौर और डॉ. सुमन मंजरी ने महिलाओं द्वारा पूछे गये सवालों का सटीक जवाब दिया। महिला परमिंदर कौर ने सवाल पूछा कि कैसे सार्वजनिक स्थलों पर महिलायें सभा अथवा बैठकें आयोजित करें? इस पर अनीता कुंडू ने कहा कि महिलाओं से सबसे पहले अपनी शक्ति को जगाना होगा। पुरुषों को भी चाहिए कि वे बेटियों को आगे बढ़ने का मौका दें। किरण ने सवाल किया कि अधिकतर गालियां महिलाओं पर ही क्यों बनी हैं, इस पर अनन्या ने कहा कि शायद पुरूषों को लगता है कि महिलाएं कमजोर हैं। पर ऐसा नहीं है। महिलाओं के श्रम को पुरूषों के मुकाबले कम क्यों आंका जाता है? बबीता के इस प्रश्न पर अख्तर ने कहा कि विद्वान भी इस प्रश्र से जूझ रहे हैं। महिलाओं के घर और खेत के काम की कोई कीमत नहीं समझी जाती देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं के कामकाज की समीक्षा की जानी चाहिये। महिलाएं अपने काम का मूल्यांकन खुद करें और एकजुट होकर आवाज उठायें। सरकार को भी उनके काम की कीमत समझनी चाहिये। कमलेश ने पूछा कि घरेलू हिंसा, छेड़छाड़, बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से बचने के लिये क्या करें, इस पर पूर्व आईजी सुमन मंजरी ने कहा-महिलाओं को अपनी शक्ति जगानी होगी। यह शक्टि टेकड़ी जैसे स्थानों से मिलेगी। संगठन बनाकर आवाज बुलंद करनी होगी।
एक अन्य सवाल पर विधायक हरविंद्र कल्याण ने कहा कि वे बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं समझते। हालांकि घर में बेटी पैदा होने पर समाज से कई तरह की बातें सुननी पड़ती हैं। कहा कि बेटियों किसी भी सूरत में बेटों से कम नहीं है। उन्हें बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
इस अवसर पर वारित्रा फाउंडेशन की संस्थापक ऐशना कल्याण ने मुख्यातिथि व अन्य अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि उनका फाउंडेशन महिलाओं के उत्थान को लेकर निरंतर कार्य कर रहा है और आत्मनिर्भर बनाने के लिए 5 हजार महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दे रही है।
इस मौके पर घरौंडा के विधायक हरविंद्र कल्याण, भाजपा हरियाणा संगठन मंत्री फणींद्र शर्मा, असम व त्रिपुरा के रवींद्र राजू, प्रांत संयोजक मंजुल पालीवाल, जिला अध्यक्ष योगेंद्र राणा, वारित्रा फाउंडेशन की संस्थापक ऐशना कल्याण व बलजीत यादव, हरियाणा राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के उपाध्यक्ष आजाद सिंह, उपायुक्त अनीश यादव, एसपी शशांक कुमार सावन, एसडीएम करनाल अनुभव मेहता, एसडीएम घरौंडा अदिति आदि मौजूद थे। मंच संचालन प्रो शालिनी शर्मा ने किया।