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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

मल्हार के रंगों में भीगे सुरों से मल्हार उत्सव का शानदार आगाज

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मल्हार के रंगों में भीगे सुरों से मल्हार उत्सव का शानदार आगाज

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आज यहां टैगोर थियेटर में दो दिवसीय मल्हार उत्सव का आयोजन किया गया । जिसमें उत्कृष्ट शास्त्रीय गायिका एवं पद्मविभूषण गिरिजा देवी जी को एक सप्रेम श्रद्धाजंलि दी गई । इस कार्यक्रम में गिरिजा देवी जी की प्रमुख शिष्याओं ने अपनी खूबसूरत प्रस्तुतियों से दर्शकों को सुरों के रंगों से सराबोर किया ।
माननीय महामहिम पंजाब के राज्यपाल एवं प्रशासक,चंडीगढ़ श्री बनवारी लाल पुरोहित जी ने बतौर मुख्या अतिथि शिरकत की और इस उत्सव का उदघाटन किया । महामहिम की उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा में चार चांद लग गए और उनके आशीर्वाद भरे शब्दों से कलाकार और आयोजक कृतज्ञ हो गए । आज उत्सव के आरंभ में गिरिजा देवी जी की दो शिष्याओं रूपन सरकार सामंत एवं सुनंदा शर्मा ने बखूबी रंग जमाया ।

महामहिम द्वारा पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन के पश्चात कार्यक्रम की शुरूआत की गई । प्राचीन कला केन्द्र द्वारा महामहिम जी को सम्मानित भी किया गया । सबसे पहले रूपन सामंत सरकार ने मंच संभाला । रूपन ने कार्यक्रम की शुरूआत राग मेघ से की जिसमें उन्होंने मध्य लय में निबद्ध रचना ‘‘झीरी झीरी बरसे जियरा तरसे’’ प्रस्तुत की । सुरों के रंगों से सजी इस शाम में द्रुत ख्याल की रचना ‘‘गगन गरजे’’ से रूपन ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया ।इसके उपरांत राग खमाज से सजी ठुमरियां ‘‘झम झम के वलानी’’ और ‘‘अब के सावन घर आ’’ पेश की । इसके बाद रूपन ने बनारसी रंग में रंगे संगीत में दादरा कजरी पेश की । ‘‘भीगी जाऊं मैं पिया बचाई लियो’’ पेश करके खूब तालियां बटोरी । कार्यक्रम के अंतिम भाग में एक मिश्र पीलू कजरी ‘‘घिर घिर आई कारी बदरीया’’ पेश की गई । कार्यक्रम का अंत खूबसूरत झूले से किया गया । जिसके बोल थे ‘‘देखो सावरिया के संग री झूले का हिंडोला’’ । रूपन के साथ मंच पर उडडलक सामंत ने तबले पर,सुमित मिश्रा ने हारमोनियम एवं मुदासिर खान ने सारंगी पर बखूबी संगत की ।

कार्यक्रम के दूसरे भाग में सुनंदा शर्मा ने मंच संभाला उन्होंने सूरदासी मल्हार में निबद्ध विलम्बित रचना ‘‘गरजत आए बदरवा’’ से शुरूआत की । इसके बाद टप्पा जो कि मिश्र काफी से सजा था पेश किया इसके बोल थे ‘‘सद वे जानी वे मियां’’ । इसके बाद मिश्र देस राग में निबद्ध ठुमरी ‘‘ठाड़ी गोरी चितवत बदरा की ओर’’ प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी । इसके बाद एक खूबसूरत कजरी ‘‘कहनवा मानो ओ राधा रानी’’ प्रस्तुत करके वाहवाही बटोरी ।कार्यक्रम का अंत सुनंदा ने झूले से किया जिसके बोल थे ‘‘झूला धीरे झुलाओ बनवारी’’ । सुनंदा शर्मा के साथ मंच पर विनोद लेले तबले पर,सुमित मिश्रा हारमोनियम एवं मुदासिर खान ने सारंगी पर बखूबी संगत की । कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित किया गया । मीठे सुरों से सजे इस कार्यक्रम को दर्शकों ने खूब सराहा। दोनों कलाकारों ने अपने गुरु की दी शिक्षा को बखूबी निभाया