Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

प्रेस विज्ञप्ति: आईसीएमआर की नयी गाइडलाइन दोषपूर्ण, डॉ. बिस्वरूप की नयी किताब लॉन्च

0
248

प्रेस विज्ञप्ति

आईसीएमआर की नयी गाइडलाइन दोषपूर्ण, डॉ. बिस्वरूप की नयी किताब लॉन्च
आईसीएमआर की नयी गाइडलाइन के अनुसार भारत में हर मौत कोरोना मृत्यु है: डॉ. बिस्वरूप
कोरोना मामले और कोविड रोगी दो अलग बातें: डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी
डॉ. बिस्वरूप की किताब ‘कोविड-19/आईएलआई षड्यंत्र से समाधान तक’ का विमोचन
कोविड-19/आईएलआई षड्यंत्र से समाधान तक’ लॉन्च, अपना डॉक्टर खुद बनने की सलाह
नाइस नेटवर्क ने बिना दवा या खर्च के ठीक किये कोविड के 50 हजार मरीज
पैरासीटामोल एक घातक दवा, फेल हो सकता है लीवर: डॉ. बिस्वरूप

जाने-माने लेखक एवं स्वास्थ्य शोधकर्ता, डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी की नयी किताब ‘कोविड-19/आईएलआई : षड्यंत्र से समाधान तक’ का हाल ही में विमोचन किया गया। गांधी जयंती पर हुए विशेष कार्यक्रम में डॉ. बिस्वरूप ने उदाहरण देकर बताया कि कोरोना टैस्ट एक भ्रामक व्यवस्था है। कोविड मरीजों का निर्णय साइकल थ्रेसहोल्ड के जरिए किया जाता है, जबकि इसके लिए कोई मानक निर्धारित नहीं हैं। इस टैस्ट प्रणाली को एफडीए ने भी मान्यता नहीं दी है। इसमें एक स्वस्थ व्यक्ति को भी कोरोना पॉजिटिव बताया जा सकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद–आईसीएमआर भारत में होने वाली प्रत्येक मौत को कोविड मौत मानती है।

चार माह पूर्व डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने एनआईसीई – नेटवर्क ऑफ इन्फ्लुएंजा केअर एक्सपर्ट्स – की शुरुआत की थी, जिसमें शामिल देश भर के 500 से अधिक विशेषज्ञों को कोविड मरीजों की चिकित्सा विधि के बारे में प्रशिक्षित किया था और यह भी सिखाया था कि आपातकालीन स्थिति में क्या करना चाहिए। नाइस विशेषज्ञों की मदद से उन्होंने अब तक 50 हजार से अधिक कोविड मरीजों को सफलतापूर्वक ठीक किया है, वो भी बिना खर्च, बिना दवा और बिना एक भी मृत्यु के।

उपरोक्त 50 हजार मरीजों को ठीक करने के दौरान बहुत सारे चौंकाने वाले तथ्य सामने आये, जिनका जिक्र डॉ. बिस्वरूप ने पुस्तक विमोचन के दौरान किया। उन्होंने कोरोना काल से जुड़े चार बेहद महत्वपूर्ण तथ्य लोगों के सामने रखे। उन्होंने कहा कि सार्स-कोवि-2 एक नया वायरस है, यह साबित करने के लिए अभी तक कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। मृत्यु दर व प्रसार दर के हिसाब से कोविड-19 का मामला सामान्य फ्लू जैसा है और यह किसी भी आयु वर्ग के लिए जानलेवा नहीं होता है।

उन्होंने आगे कहा कि इन दिनों मास्क लगाने पर जोर है, जबकि मास्क ऊपरी श्वसन तंत्र के संक्रमण से नहीं बचा सकता, बल्कि गंभीर बीमार जरूर कर सकता है। इस बात के भी प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं कि सामाजिक दूरी और लॉकडाउन से किसी महामारी को रोका जा सकता है। साथ ही, सार्स-कोवि-2 या अन्य किसी वायरस के कारण महामारी फैलने का भी कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। यह भी बताया गया कि बच्चों में कोविड-19 का इलाज करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इनमें बहुत हल्के लक्षण दिखते हैं और वे खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पैरासीटामोल एक घातक दवा है, जो लीवर फेल कर सकती है। इसका खुलासा यूरोप जर्नल ऑफ पेन में 2014 में किया गया था।

कार्यक्रम में देश भर से आये प्रतिष्ठित चिकित्सकों के एक मेडिकल पैनल की बैठक हुई। मेडिकल पैनल में नागपुर से आये छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. केबी तुमाने, डॉ. ओंकार मित्तल (एमबीबीएस, एमडी), होम्योपैथ व पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार, प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. बीबी गोयल तथा डॉ. विकास जगदाले शामिल थे। चिकित्सकों ने एकमत से कहा कि कोरोना के नाम पर फर्जी महामारी का हौवा खड़ा किया गया है, जिसकी आड़ में जनाधिकारों का हनन हो रहा है और लोगों को परेशान किया जा रहा है।

डॉ. जगदाले ने कहा कि लांसेट मेडिकल जर्नल ने कोविड को महामारी नहीं माना है। डॉ. तुमाने का दावा था कि दिन में दो-तीन बार गुनगुने पानी के साथ हल्दी पावडर के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कोविड मरीज भी इससे ठीक हो जाते हैं। डॉ. बिस्वरूप ने बताया कि जिस कोरोना वैक्सीन का इंतजार हो रहा है, कितने लोगों को पता है कि उसे बनाने में जो फीटल बावाइन सीरम इस्तेमाल होता है, वो गर्भवती गायों के पेट में पल रहे बच्चों को तड़पा-तड़पा कर प्राप्त किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि वेंटीलेटर पर गये कम ही मरीज जीवित लौटते हैं, जबकि उनकी प्रोन वेंटीलेशन पोजीशन तकनीक से लगभग मुफ्त में घर पर ही कोविड मरीज ठीक हो जाता है।

आयोजन में कपिल बजाज और सत्य प्रकाश सहित एक सोशल पैनल भी मौजूद था। पैनल डिस्कशन में ज्यादातर की राय थी कि कोरोना के नाम पर लोगों के मन में भय पैदा किया जा रहा है, ताकि उन्हें वेक्सीनेशन के लिए मानसिक तौर पर तैयार किया जा सके। दरअसल, वैक्सीन के नाम पर एक बहुत बड़ा बजट इस्तेमाल किया जाना है। ईयूए के तहत संपूर्ण आबादी को वैक्सीन लगायी जानी है, जिसकी संरचना और दूरगामी असर बहस का एक विषय है। यह हमें रोबोट बनाने जैसा हो सकता है।

पूरा कार्यक्रम सोशल मीडिया के विविध प्लेटफार्मो पर लाइव दिखाया गया, जिसका लाभ देश-विदेश के लाखों दर्शकों ने लिया। डॉ. बिस्वरूप की 25 से ज्यादा पुस्तकें बाजार में मौजूद हैं। नयी किताब बिस्वरूप डॉट कॉम वेबसाइट पर उपलब्ध है। biswaroop.com