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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

पुसू का सर्वे: 93 फीसदी स्टूडेंट्स ने माना कोविड-19 इंफेक्शन का ट्रेवल में खतरा

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  • एग्जाम के लिए कराए गए सर्वे में 18000 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया

दैनिक भास्कर

Jun 03, 2020, 08:04 AM IST

चंडीगढ़. पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से जुलाई में एग्जाम की तैयारियों के कारण स्टूडेंट संगठनों का विरोध लगातार जारी है। कैंपस की सबसे पुरानी स्टूडेंट पार्टी पीयू स्टूडेंट यूनियन (पुसू) ने इन एग्जाम को लेकर करीब 18000 स्टूडेंट्स पर सर्वे किया है। ऑनलाइन हुए इस सर्वे की रिपोर्ट को स्टूडेंट्स ने मीडिया और यूनिवर्सिटी प्रशासन के साथ साझा किया है। 
इसके अनुसार 93 फीसदी स्टूडेंट्स का मानना है कि वह घर से यूनिवर्सिटी तक आते हुए कोविड-19 इंफेक्शन का शिकार हो सकते हैं। इस समय 17.7 प्रतिशत स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो यूनिवर्सिटी से 500 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर रह रहे हैं। करीब 56.6 फीसदी स्टूडेंट्स का एरिया इस समय रेड जोन में आता है। 61.1 फीसदी स्टूडेंट की दूरी कैंपस से 250 किलोमीटर के दायरे में है। 88.8 फीसदी ने माना कि उनके पेरेंट्स उनको इस समय एग्जाम देने के लिए नहीं भेजना चाहते।

95.4 फीस दी कहते हैं कि सिलेबस 16 मार्च तक पूरा नहीं हुआ था। सिर्फ 19.4 प्रतिशत ने माना कि टीचरों ने लॉक डाउन के पीरियड में उनका सिलेबस पूरा करवा दिया है। 79.9 फ़ीसदी मानते हैं कि उनके प्रैक्टिकल ही नहीं हुए हैं। 67.6 फीस दी ने माना कि उनको स्टडी मैटेरियल बिना किसी एक्सप्लेनेशन के भेज दिया गया। इसमें टीचर ने टॉपिक से जुड़ी एक्सप्लेनेशन नहीं दी थी।

84.9 फीसदी  का कहना है कि उनके लिए ऑनलाइन क्लासेस में दिया गया स्टडी मटेरियल नाकाफी था। 8 9.6 का मानना है कि यूनिवर्सिटी का जुलाई में एग्जाम लेने का डिसीजन ठीक नहीं है और 10.4 फीस दी इसको ठीक मानते हैं। सिर्फ 12.4 प्रतिशत ने माना कि उनके पास इतना स्टडी मैटेरियल है कि वह एग्जाम के लिए तैयारी कर सकें। 
91.7 फ़ीसदी का मानना है कि कैंपस यह हॉस्टल में सोशल डिस्टेंसिंग संभव ही नहीं है। 85.8 फ़ीसदी का मानना है कि यूनिवर्सिटी उनकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम नहीं कर पाएगी। कुछ ऐसे ही नतीजे स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से कराए गए सर्वे में आए थे। 90.8 फीस दी का मानना है कि यूनिवर्सिटी के इस फैसले से उन पर मानसिक दबाव पड़ा है। इस सर्वे में भाग लेने वाले 62.3 फीस दी स्टूडेंट्स फाइनल ईयर के थे। 83.8 फीसदी ने माना कि यूनिवर्सिटी अपनी एग्जामिनेशन फॉर्मेलिटी पूरी करने के लिए स्टूडेंट की सेहत से खिलवाड़ कर रही है।

इनसो ने औसत के आधार पर स्टूडेंट्स को प्रमोट करने के लिए लिखा

इंडियन नेशनल स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (इनसो) ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को लेटर लिखकर डिमांड की है कि पिछले सेमेस्टर में मिले औसत अंकों के आधार पर आकलन करके स्टूडेंट्स को आगे प्रमोट कर दिया जाए। उन्होंने एग्जाम लेने से पहले स्टूडेंट की  मानसिक स्थिति, पंजाब में बढ़ते मामले और परिवहन की समस्या समस्या, रेड जोन एरिया , यूजीसी की 29 अप्रैल को दी गई गाइडलाइन और इंफेक्शन फैलने के खतरे को देखते हुए डिसीजन लेने के लिए कहा है। उनका कहना है कि इन होती को एग्जामिनेशन के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।