पठानकोट (पंजाब)। पुलवामा हमले में शहीद हुए गांव रौली के सैनिक कुलविंदर सिंह के पार्थिव शरीर को जब सलामी देने के बाद चिता को मुखाग्नि देने का वक्त आया तो एक घटना ने सभी को रुला दिया। हुआ यूं कि जब शहीद के बुजुर्ग पिता ने सलामी देने आई टुकड़ी से पूछा कि मेरा बेटा कहां है… जवाब में नम आंखों से सैनिकों ने शहीद के शव के ऊपर से तिरंगा उठाकर पिता दर्शन सिंह को थमाते हुए कहा- आज से इसी में अपने कुलविंदर को देखना। सिसकते हुए शहीद के पिता ने तिरंगे को जोर से सीने से लगा लिया और बोला- आज से यही मेरा कुलविंदर है। यह देख हर किसी की आंखें आंसुओं से डूब गईं।
शहीद के पिता दर्शन सिंह ने कहा कि अफसोस सिर्फ इतना है कि कुलविंदर के हाथ पीले नहीं कर पाया। अच्छा होता दुश्मन कायराना हमले की बजाय सीधी टक्कर लेता तो उसे कुलविंदर छठी का दूध याद दिला देता। नूरपुरबेदी से रौली के करीब 2 किलोमीटर रोड पर जगह-जगह लोगों ने नम आंखों से सड़कों पर उतरकर शहीद कुलविंदर के पार्थिव शरीर को सलामी दी। हर चौक-चौराहे पर लोगों ने शहीद को लेकर आ रहे वाहन पर फूल बरसाए। सड़क पर हजारों लोग थे। इलाके का हर कोना वंदे मातरम, भारत माता की जय, हिंदोस्तान जिंदाबाद, भारतीय सेना जिंदाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद, कर्नल बाजवा मुर्दाबाद, इमरान खान मुर्दाबाद के नारे से गूंज रहा था।
मुझे कुलविंदर सेे मिल तो लेने दो…
गांव रौली के शहीद कुलविंदर सिंह (28) की कुछ दिन पहले ही मंगनी हुई थी और 8 नवंबर को शादी थी। जैसे ही उनका शरीर पहुंचा तो उनकी मंगेतर का रो रोकर बुरा हाल हो गया। उनकी जुबां से एक ही बात निकल रही थी मेरा कुलविंदर तू कित्थे चला गया। कोई मेरे कुलविंदर नूं लौटा दे। अरे मुझे एक बार देख लैण दो। दरअसल कुलविंदर िसंह की पहचान हाथ में पहनी अंगूठी से हुई थी। वहीं शहीद के पिता ने अब तक अपने बेटे कुलविंदर की जर्सी नहीं उतारी है। पिता दर्शन सिंह का भी रो रोकर बुरा हाल था।
रिट्रीट में जवानों के तेवर और सख्त, दर्शकों में भी गुस्सा
हमले के बाद बाॅर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी में बीएसएफ जवानों के तेवर के अलावा दर्शकों के हाव-भाव में गुस्सा देखा जा सकता है। वहीं बार्डर पर पिछले दो दिन से 30 हजार के करीब सैलानी पहुंचे हैं, जबकि आम दिनों में एक दिन में यहां 22 से 25 हजार सैलानी आते हैं। दर्शक इस दौरान पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते भी दिख रहे हैं। वे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे तो नहीं लगा पा रहे, क्योंकि बीएसएफ उन्हें ऐसा करने से रोकती है, इसलिए पाकिस्तान के खिलाफ सैलानियों का गुस्सा हिंदोस्तान जिंदाबाद की जोरदार आवाज में साफ जाहिर हो रहा है। वहीं रिट्रीट सेरेमनी का हिस्सा बने बीएसएफ जवानों के चेहरों के हावभाव भी बदले हुए हैं। उनके हर कदम में गुस्सा व तेवर देखने को मिल रहा है।
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