- परिजन बोले- पहले पंचायती तौर पर मामला निपटाने की कोशिश की, पुलिस को भी 21 मई को शिकायत दी पर पुलिस आरोपी का ही पक्ष ले रही
दैनिक भास्कर
May 27, 2020, 07:45 AM IST
यमुनानगर. अगर कोई दूसरा आपके छोटे बच्चे को ज्यादा ही प्यार जता रहा है तो संभल जाएं। हो सकता है कि उसकी बच्चे पर बुरी नजर हो। ऐसा ही गांव सरावां में एक श्रमिक परिवार के साथ देखने को मिला है। पीड़ित महिला व उसके पति ने बताया कि एक पड़ोसन डिलीवरी के समय अस्पताल गई। जच्चा-बच्चा की सेवा करती रही, लेकिन जन्म देने वाली मां को शायद नहीं पता था कि इस सेवा के पीछे बड़ा स्वार्थ छिपा है।
आरोप है कि सेवा करने वाली महिला ने एक दिन यह बच्चा उठाया और पंजाब की एक फैमिली को दे दिया। मां ने बच्चा मांगा तो कहा कि जल्द दे दूंगी, लेकिन बच्चा नहीं दिया। गांव में पंचायत हुई, लेकिन बात नहीं बनी। इस पर मां-बाप ने अपना बच्चा पाने के लिए शिकायत पुलिस को दे दी। पुलिस ने शिकायत तो ले ली, लेकिन लॉकडाउन का हवाला देकर कहा कि बच्चा कहां है यह पता है, लेकिन लॉकडाउन में हालात ऐसे हैं कि बच्चे को नहीं बुलाया जा सकता।
उल्टा जन्म देने वाली मां को ही कहा जा रहा है कि उन्होंने तो बच्चा गोद दे दिया है। इस पर मां-बाप का कहना है कि उन्होंने बच्चा किसी को गोद नहीं दिया। उन्होंने पुलिस पर भी आरोपी का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। वहीं कानून के जानकारों की माने तो बच्चा एक कागज पर लिखकर गोद नहीं दिया जा सकता। इस तरह से यह मामला बच्चे की अवैध खरीद-फरोख्त से जोड़कर देखा जा रहा है। हमारे पास पहले दो बेटे, अब तीसरा हुआ था, सभी दस्तावेज हैं| बेटे के पिता रियासत ने बताया कि उसके पास पहले दो बेटे हैं। अब पत्नी हुसैन जहां ने तीसरे बेटे को जन्म दिया था। पड़ोस की एक महिला उनके घर पर आती जाती है।
जब से उसकी पत्नी गर्भवती हुई थी तब से उसका आना जाना ज्यादा हो गया था। जगाधरी सिविल अस्पताल में 29 जनवरी को उसकी पत्नी की डिलीवरी हुई थी। तब भी वह महिला अस्पताल में साथ रही। वह बच्चे की वीडियो बनाती थी और उसकी फोटो भी लेती थी। तीन दिन बच्चे को देखरेख के बहाने ले गई और फिर बच्चा गायब हो गया। महिला को कहा कि उनका बच्चा दे तो वह कहती है कि बच्चा अच्छे परिवार को दे दिया है। तुम तो उसकी देखभाल भी नहीं कर सकते। वह वहां पर बड़ा आदमी बनेगा। जबकि उनसे इस बारे में कुछ नहीं पूछा गया कि बच्चा गोद दे रहे हैं। वे अपने बच्चे को लेने के लिए कई बार महिला के पास जा चुके हैं। लेकिन महिला बच्चा वापस दिलाने के लिए तैयार नहीं है।
माता-पिता बच्चा पाने को भटक रहे… पुलिस बोली- लॉकडाउन के चलते अभी नहीं मंगवा सकते बच्चा
गांव सरावां निवासी हुसैन जहां ने बताया कि उसे पता चला है कि उसका बच्चा महिला ने पैसे लेकर आगे पंजाब में किसी परिवार को दे दिया गया है। जबकि उन्होंने अपने बच्चे को किसी को नहीं दिया। न ही किसी से पैसा लिया और न ही लिखित में कोई बात हुई। वे तो बार-बार कह रहे हैं कि उनके बच्चे को वापस दिया जाए, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। इसके चलते उन्हें पुलिस को शिकायत देनी पड़ी। महिला ने बताया कि पुलिस ने थाने में उन्हें, आरोपी महिला व जिसे बच्चा दिया है उस परिवार को भी बुलाया था, लेकिन वे बच्चे को लेकर नहीं आए थे। आरोप है कि थाने में उन पर तो बच्चे को गोद देने का दबाव बनाया जा रहा है। उनसे कहा जा रहा है तुम गरीब आदमी हो। पैसे ले लो, भैंस ले लो। बच्चा सही से रहेगा। किसी के घर की खुशी अब मत छीने। गांव के कुछ मौजिज लोगों पर भी उसने आरोपी का पक्ष लेने का आरोप लगाया है।
जो शिकायत आई है उस पर रिपाेर्ट दर्ज की है, जांच में पाया कि मां ने ही दिया बच्चा, लिखित करार भी हुआ
साढौरा थाना प्रभारी छोटू राम ने बताया कि बच्चा किसी और को देने की शिकायत आई है। उस पर रिपाेर्ट दर्ज की गई है। लॉकडाउन होने से बच्चा को नहीं मंगवाया गया। जांच में पता चला है कि मां ने ही अपने बच्चे को खुद दिया है। इसको लेकर लिखित में करार हुआ है। बच्चा पंजाब में किसी परिवार के पास है। लेकिन अभी तक एफआईआर क्यों नहीं की गई इस पर एसएचओ चुप हो गए।
एडॉप्शन एजेंसी के माध्यम से ही बच्चा डोनेट किया जा सकता है: रंजन शर्मा
बाल संरक्षण यूनिट के लीगल ऑफिसर रंजन शर्मा ने बताया कि बच्चे को एडॉप्शन के लिए देने और लेने का कानून बना है। अगर कोई मां-बाप अपना बच्चा किसी और को देना चाहता है तो उसे एडॉप्शन एजेंसी के यहां पर रजिस्ट्रेशन कराकर बच्चा देना पड़ेगा। दो माह तक बच्चा वहां पर रहेगा। दो माह बाद बच्चे के मां-बाप को पूछा जाएगा कि उनका फैसला वही है या फिर बदल गया। अगर वे कहें कि वे बच्चे को देना चाहते हैं तो फिर एजेंसी के माध्यम से दिया जा सकता है। इसमें ऐसा नहीं होता कि आप जिसे चाहेंगे बच्चा उसे ही मिलेगा। सिर्फ ब्लड रिलेशन में ही परिवार बच्चा अपनी मर्जी से दे सकता है। बाहरी को देने के लिए एडाॅप्शन कानून का पालन जरूरी है नहीं तो पूरी प्रक्रिया अवैध मानी जाएगी।