- सूबे में कोरोना के मामले बढ़े तो नाभा के गांव अगेता के लोगों ने खुद के लिए कठोर नियम बनाए
- 750 लोगों की आबादी वाले गांव के लोगों ने जनता कर्फ्यू के अगले दिन मीटिंग कर अगेता को सुरक्षित करने का निर्णय लिया
दैनिक भास्कर
Mar 25, 2020, 09:04 AM IST
नाभा ( राकेश कुमार ) . काेराेनावायरस के खतरे काे लेकर जहां लाेग इंसानियत भूलकर नियमाें का उल्लघंन कर रहे हैं। वहीं, नाभा के तहत आने वाला गांव अगेता के ग्रामीणों ने खुद बाहरियों से दूरी बनाई है। 750 लोगों की आबादी वाले इस गांव में 10 फीसदी ही पढ़े लिखे हैं। यहां के लोगों ने वायरस के खतरे को समझते हुए खुद गांव को बचाने की ठान ली है। जनता कर्फ्यू के अगले दिन गांव के लोगों ने मीटिंग की कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया। सभी लोगों ने चंदा जोड़ा और फिर उस पैसे से बाजार से सैनिटाइजर से भरे कैन लाए और गांव की हर गली, मंदिर, गुरुद्वारे आदि में इसका छिड़काव किया। लोगों को मास्क भी दिए गए।
मिशन कमांडर क्रांतिकारी किसान यूनियन ब्लाॅक प्रधान हरविंदर सिंह अगेता ने बताया कि पूरे गांव की सहमति के बाद गांव को नाभा शहर से जोड़ती सभी सड़कें खुद ही बेरिकेड्स लगाकर बंद कर दी हैं। आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखी है। इसके अलावा लोगों के लिए नियम भी बनाए गए हैं।
सब कुछ गांव में ही- नियम बनाए हैं कि इमरजेंसी में दवा लेने गांव से बाहर जा सकते हैं बशर्तें उन्हें कोरोना वायरस को लेकर लगाए रजिस्टर में जाने की वजह, समय और वापसी आने की समय सीमा दर्ज करानी होगी। अगर किसी को कोई जरूरी सामान, नकदी या दूसरी सेवा चाहिए तो वह गांव के अंदर मुहैया कराई जाएंगी।
ये बनाए नियम…
1. गांव से बाहर रिश्तेदारों के आने और उनके पास जाने पर पाबंदी लगाई गई है।
2. इमरजेंसी में कोई जाएगा तो जाने और आने पर सैनिटाइजेशन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।
3. गांव से बाहर जाने और वापसी की आमद रजिस्टर में दर्ज होगी।
4. गांव के तीन पब्लिक नाकों पर ग्रामीण शिफ्ट के हिसाब से पहरा देंगे। इनके लिए सेवादार लंगर मुहैया कराएंगे।
5. गांव के बाहर मजदूरी पर जाने वाले लोगों को खाना और दवाएं गांव में ही मुहैया कराई जाएंगी।