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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

नेताजी सुभाषचंद्र बोस रखते थे इनका बच्चों की तरह ध्यान, कभी डांटते-कभी मनाते… कभी अपने हाथों से खिलाते थे खाना, जानिए कौन है आजाद हिंद फौज का ये जवान

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झज्जर/नई दिल्लीदेश आज 70वां गणतंत्र दिवस (Republic Day 2019) मना रहा है। इस मौके पर सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजपथ पर ध्वजारोहण किया। लांस नायक नजीर अहमद वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया। वहीं146 महिला जवानों की पूरी टुकड़ी और आजाद हिंद फौज के 4 सैनिक पहली बार परेड में शामिल हुए। आजाद हिंद फौज (Indian National Army) के इन 4 सैनिकों में से एक हैं हरियाणा के 98 वर्षीयललती राम। आइए जानते हैं इनके बारे में कुछ रोचक बातें….

हरियाणा में जन्म और 1941 में आईएनए में हुए भर्ती

– स्वतंत्रता सेनानी ललती राम का जन्म 1 जनवरी 1921 को हरियाणा के झज्‍जर जिले के बेरी क्षेत्र के गांव दुबलधन में हुआ था। नेताजी की फौज में रहते हुए इन्होंने कई देशों में युद्ध किया।

– 98 साल के ललती राम इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) में साल 1941 में भर्ती हुए थे। भर्ती के कुछ दिन पहले ही उनकी सगाई चांदकौर के साथ हुई थी। हालांकि आजादी की लड़ाई लड़ते हुए वे कुछ समय के लिए लापता हो गए।
– लापता होने के करीब 5 साल बाद जब ललती राम लौटे तब वे वर्ष 1946 में वैवाहिक गठबंधन में बंधे। आज उनकी पत्नी चांदकौर 92 वर्ष की हैं।

अपने हाथों से खाना खिलाते थे सुभाष चंद्र बोस(Netaji Subhas Chandra Bose)

– ललती राम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो नेता जी के बेहद नजदीक थे। वे कहते हैं कि नेताजी मेरा बच्‍चों की तरह ही ख्‍याल रखते थे।
– गलती करने पर नेताजी डांट देते थे तो कभी प्‍यार से बात करके मनाते थे। कई बार तो उन्‍होंने अपने हाथों से खाना भी खिलाया।

सिंगापुर-हांगकांग की जेल में रहे ललती राम

– गुजरे जमाने को याद करते हुए ललती राम बताते हैं कि आजाद हिंद फौज(INA) में रहते हुए बहादुरी के लिए 3 मेडल मिले थे। वे अम्बाला, सिंगापुर, हांगकांग, थाईलैंड, जापान, कोलकाता (जगरकचा) जेल में रहे।
– ललती राम के पांच बेटे हैं जो सेना में भर्ती हुए। यही नहीं उनके 9 पौत्रों में से 5 फौज में हैं, जबकि एक पौत्री पुलिस सेवा में हैं। जबकि एक पौत्र विपक कुमार हमेशा उनके साथ रहते हैं।

जब साथी सिपाहियों ने तोड़े ताले

– ललती राम नेताजी की सेना के उन बहादुर सिपाहियों में हैं जिनको ब्रिटिश सरकार ने कोलकता जेल में रहते हुएरेलगाड़ी में गुप्त तौर पर 16 अप्रैल 1946 को दिल्ली भेजा था।
– तब उनके साथियों ने ललती राम समेत अन्य को इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर गाड़ी के डिब्बों के ताले तोड़कर छुड़ा लिया था और खूब पेटभर खाना खिलाकर दिल्ली रवाना किया था।

राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक कर चुके हैं सम्मानित

– स्वतंत्रता सेनानी ललती राम को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम दो बार, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द एक-एक बार सम्मानित कर चुके हैं।
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उन्हें विशेष सम्मान मिल चुका है। पिछले साल 9 अगस्त 2018 को भी उन्हें सम्मानित किया गया था। उम्र के 98वें पड़ाव में भी वे पैदल चल लेते हैं।
– हरियाणा स्वतंत्रा सेनानी समिति का चेयरमैन होने के नाते वे स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के हितार्थ कार्य करने में जुटे हुए हैं। ये पहली दफा है जब किसी स्वतंत्रता सेनानी को समिति का चेयरमैन बनाया गया है।

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