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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

डिमेंशिया से प्रभावित लगभग 70-80 फीसदी लोगों में अल्जाइमर रोग का पता चलता हैः डॉ. अमित शंकर सिंह

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डिमेंशिया से प्रभावित लगभग 70-80 फीसदी लोगों में अल्जाइमर रोग का पता चलता हैः डॉ. अमित शंकर सिंह

दवा, पारिवारिक सहयोग, शारीरिक और बोधात्मक पुनर्वास रोग प्रबंधन में महत्वपूर्ण

चंडीगढ़ , 21 सितंबर, 2023ः जैसे-जैसे बुढ़ापा बढ़ता है, डिमेंशिया, जिसे भूलने की बीमारी भी कहा जाता है, बुजुर्गों का पर्याय बन जाती है। हालाँकि, डिमेंशिया की घटना केवल उम्र तक सीमित नहीं है। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम रूप है और डिमेंशिया से प्रभावित लगभग 70-80 फीसदी लोगों में इस बीमारी का निदान किया जाता है। अल्जाइमर रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे जुड़ी गलतफहमियों को दूर करने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। विश्व अल्जाइमर दिवस-2023 का विषय – डिमेंशिया को जानो, अल्जाइमर को जानो -है तथा चेतावनी संकेतों और चिकित्सा स्थिति के निदान पर जोर दिया गया है।

फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के न्यूरोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. अमित शंकर सिंह ने एक एडवाइजरी में अल्जाइमर रोग के कारणों, लक्षणों, रोकथाम और उपचार के विकल्पों के बारे में चर्चा की।

डॉ. अमित शंकर सिंह ने कहा कि यह मस्तिष्क का एक न्यूरो-डीजेनेरेटिव विकार है जिसके कारण मस्तिष्क सिकुड़ जाता है और मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं। इस बीमारी की विशेषता व्यक्ति की सीखने, याददाश्त, भाषा, ध्यान, मोटर और सामाजिक कौशल जैसी बोधात्मक क्षमताओं में गिरावट है, जिसके कारण रोगी के जीवन की दैनिक गतिविधियों पर काफी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि 3 में से 1 बुजुर्ग की मृत्यु अल्जाइमर या किसी अन्य डिमेंशिया के कारण होती है। इसलिए बीमारी को समझना और बीमारी के बारे में जागरूकता पैदा करना महत्वपूर्ण है।

डॉ. अमित ने बताया कि भले ही अल्जाइमर के कारण स्पष्ट नहीं हैं, आनुवंशिक वंशानुक्रम इस बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है। यह मस्तिष्क में प्रोटीन – अमाइलॉइड प्रोटीन और न्यूरिटिक प्लाक – के असामान्य जमाव के कारण भी होता है, जिससे मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं। 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अल्जाइमर से प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस बीमारी की घटना भी अधिक होती है।

लक्षण पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अल्जाइमर रोग के चेतावनी संकेत जो आसानी से पहचाने जा सकते हैं वे हैं-याददाश्त, सोचने, तर्क करने और समझने में कठिनाई होती है। व्यवहार में परिवर्तन भाषा, बोलने में कठिनाई तथा दैनिक कार्यों को पूरा करने में असमथर्रू मरीजों की सोच धीमी हो जाती है और इसका असर उनकी संज्ञानात्मक क्षमताओं पर पड़ता है। अल्जाइमर रोग व्यक्ति की दूसरों पर निर्भरता बढ़ा देता है क्योंकि वह अपनी जरूरतों को बताने में असमर्थ होता है।

समस्या के निवारण के लिए डाॅ अमित शंकर ने बताया कि न्यूरोलॉजिस्ट बीमारी का पता लगाने के लिए मस्तिष्क इमेजिंग, निदान और मानसिक क्षमता परीक्षण आदि करते हैं। ये मस्तिष्क हानि के संभावित कारणों की पहचान करने में मदद करते हैं।

अल्जाइमर रोग पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. शंकर ने कहा कि भले ही इस बीमारी को रोकने के कोई सिद्ध तरीके नहीं हैं, नियमित शारीरिक गतिविधि, ध्यान, संतुलित आहार, स्वस्थ वजन बनाए रखना और रक्तचाप को नियंत्रण में रखना मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

रोकथाम रणनीतियों पर चर्चा करते हुए डाॅ अमित ने बताया कि नियमित कार्डियो-वैस्कुलर व्यायाम में संलग्न रहें, इससे संज्ञानात्मक गिरावट में देरी करने में मदद मिलती है। बोधात्मक गिरावट की रोकथाम के लिए शिक्षा एक बहुत महत्वपूर्ण उपकरण है, इसलिए उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले लोग कम प्रभावित होते हैं। धूम्रपान, शराब, या किसी अन्य प्रकार का नशीला पदार्थ से दूर रहना चाहिए। परामर्श, समस्या समाधान दृष्टिकोण विकसित करके और योग ध्यान द्वारा तनाव से बचा जा सकता है। व्यक्ति को मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसे हृदय संबंधी जोखिम कारकों का ध्यान रखना चाहिए। स्वस्थ भोजन लेना चाहिए, पर्याप्त नींद अति आवश्यक है, इसलिए 6-8 घंटे की गहरी नींद लेनी चाहिए।