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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

झुग्गी के बच्चों की फुटबॉल टीम ‘इंडियन चीताज’ टॉप स्कूली टीमों में, एक बच्चा नेशनल टीम में पहुंचा, खेल ऐसा कि हर टूर्नामेंट में फ्री एंट्री

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  •  बस्ती के 50 बच्चे दिखा रहे हैं कमाल, ठंडी रोटी इनकी प्रोटीन डाइट 
  • फुटपाथ पर बिकने वाली टी-शर्ट और साधारण 200-300 रुपए वाले जूते पहनते

Dainik Bhaskar

Mar 09, 2020, 09:37 AM IST

चंडीगढ़ (मनीषा भल्ला ) . ‘इंडियन चीताज’ यही नाम दिया है चंडीगढ़ फुटबॉल एसोसिएशन ने स्लम के बच्चाें की टीम को। इस टीम में चंडीगढ़ और आसपास की कच्ची बस्ती के 50 बच्चे खेलते हैं। चीताज नाम इसलिए, क्योंकि जब ये दौड़ते हैं तो लगता है जैसे हवा से बातें कर रहे हैं। यह टीम प्रोटीन डाइट और महंगे जूते, टी-शर्ट इस्तेमाल करने वाली कई कॉन्वेंट स्कूलों की टीमों पर भारी पड़ रही है। इनका खेल देखकर एसोसिएशन किसी भी इवेंट में इनसे एंट्री फीस नहीं लेता। घर से लाई मां के हाथ की बनी रोटियां इनकी ताकत बनती है। फुटपाथ पर बिकने वाली टी-शर्ट और साधारण 200-300 रुपए वाले जूते पहनते हैं। इस टीम के कुछ बच्चे आज भी नंगे पैर हैं।

जो बच्चे लगातार अच्छा खेल रहे हैं उन्हें एसोसिएशन ने फुटबॉल किट दी है। कुछ की मदद अन्य टीमों के बच्चों ने भी की है। वे अपने जूते और दूसरे सामान इन्हें दे देते हैं। हाल ही में इस टीम का शुभम अंडर 15 राष्ट्रीय टीम में चुना गया है। शुभम अभी 14 साल का है और उसके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। इसी तरह 12 साल का चंदनपाल 3 साल से टीम में है। पांचवीं में पढ़ता है। उसके पिता ददन कुमार दूध बेचते हैं। टीम के सईम और आदित्य के पिता सब्जी बेचते हैं। टीम के ज्यादातर बच्चों के घर के हालात ऐसे ही हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष केपी सिंह बताते हैं कि ये बच्चे चंडीगढ़ के टॉप स्कूलों की टीम के साथ खेलते हैंं। हमने चंडीगढ़ में बीते साल बेबी लीग करवाया था, जिसमें इस टीम का प्रदर्शन शानदार रहा था। 

फुटबॉलर नहीं बन सके शिवेंद्र तो बच्चों को सिखाने लगे

इन बच्चों के कोच शिवेंद्र अरोड़ा हैं। फुटबॉलर बनने का सपना खस्ता आर्थिक हालात के कारण पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने स्लम के बच्चों को सिखाना शुरू किया। वे ही बच्चों की इस टीम को पहली बार एसोसिएशन के मैदान तक लेकर गए थे। बच्चों की छोटी-मोटी जरूरत वे अपने स्तर पर पूरी करते हैं।