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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

जकरबर्ग ने 12 की उम्र में मैसेजिंग प्रोग्राम, 16 की उम्र में ऐप बनाया; आज 4.90 लाख करोड़ की नेटवर्थ

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  • फेसबुक के को-फाउंडर जकरबर्ग 35 साल के हुए, भास्कर प्लस ऐप पर पढ़ें उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से 
  • जकरबर्ग ने पिता के क्लिनिक के लिए पेशेंट इन्फॉर्मेशन का मैसेजिंग ऐप बनाया था
  • जब वे हाईस्कूल में थे, तब उनके बनाए म्यूजिक ऐप को माइक्रोसॉफ्ट और एओएल खरीदना चाहती थीं

नई दिल्ली. मार्क जकरबर्ग आज 35 साल के हो गए। जकरबर्ग की नेटवर्थ 4.9 लाख करोड़ रुपए है और वे दुनिया के 8वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। जकरबर्ग ने 20 साल की उम्र में फेसबुक की शुरुआत की थी, लेकिन यह उनका पहला एक्सपेरिमेंट नहीं था। इससे पहले वे 12 साल की उम्र में पिता के क्लिनिक के लिए मैसेजिंग प्रोग्राम और 16 साल की उम्र में हाईस्कूल के प्रोजेक्ट के तौर पर म्यूजिक ऐप बना चुके थे। हाईस्कूल में ही उन्हें कई कंपनियों ने ऐप खरीदने और जॉब के ऑफर दिए, लेकिन जकरबर्ग ने उन्हें ठुकरा दिया। आज वे 38 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैप वाली फेसबुक के सीईओ और चेयरमैन हैं। उनके जन्मदिन पर दैनिक भास्कर प्लस ऐप उनसे जुड़े किस्से साझा कर रहा है…

पेशेंट क्लिनिक पर आता था तो रिसेप्शनिस्ट मैसेजिंग प्रोग्राम इस्तेमाल करती थी
जकरबर्ग ने 12 साल की उम्र में इंस्टैंट मैसेजिंग प्रोग्राम बनाया था। इसे वे जकनेट कहते थे। उनके डेंटिस्ट पिता इसका उपयोग अपने क्लिनिक पर करते थे। जब भी कोई पेशेंट क्लिनिक पर आता था, तो रिसेप्शनिस्ट आवाज लगाने की बजाय इस मैसेजिंग प्रोग्राम से डॉक्टर को सूचना देती थी। जकरबर्ग के घर में भी कम्युनिकेशन के लिए यह मैसेजिंग प्रोग्राम यूज होता था। स्कूल टाइम में वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर वीडियो गेम भी बनाया करते थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया भी था कि मेरे कुछ दोस्त आर्टिस्ट थे। वे डिजाइन बनाते थे और मुझे उस पर गेम बनाना होता था। यह हम अपने मजे के लिए करते थे।

हाईस्कूल में ही माइक्रोसॉफ्ट से जॉब ऑफर आया था
जकरबर्ग ने न्यू हैम्पशायर स्थित फिलिप्स एक्जेटर एकेडमी में हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान साल 2000 में अपने दोस्तों के साथ एक म्यूजिक ऐप ‘सिनाप्स मीडिया प्लेयर’ बनाया था। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड ऐप था। यह यूजर की पंसद के हिसाब से एमपी3 प्ले लिस्ट बनाता था। माइक्रोसॉफ्ट और एओएल जैसी बड़ी कंपनियों ने उन्हें इसके बदले 10 लाख डॉलर ऑफर किए थे। दोनों ही कंपनियां उन्हें हायर भी करना चाहती थी, लेकिन जकरबर्ग ने नौकरी की जगह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई को तरजीह दी। हाईस्कूल के दौरान ही उन्होंने कई कंपनियों के जॉब ऑफर ठुकराए थे।

फेसबुक से पहले ‘फेसमैश’ और ‘कोर्समैच’
जकरबर्ग ने हार्वर्ड में पढ़ाई के दौरान फेसबुक से पहले एक प्रोग्राम ‘फेसमैश’ बनाया था, जो यह खोजने में मदद करता था कि कैंपस में सबसे आकर्षक लड़के, लड़कियां कौन हैं? इसमें यूजर्स छात्र-छात्राओं के फोटोज़ की तुलना कर बताते थे कि उन्हें सबसे ज्यादा अच्छा कौन लगता है। बाद में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसे बंद करा दिया था। अपने इस प्रोग्राम के चलते जकरबर्ग पर यूनिवर्सिटी से बाहर होने तक की नौबत तक आ गई थी। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने ‘कोर्समैच’ प्रोग्राम भी बनाया था। इसमें यूजर्स यह बताते थे कि वे कौन-कौन सी क्लास अटेंड कर रहे हैं ताकि दूसरे छात्र अपने इंटरेस्ट के साथ कोर्स और क्लासेस का सिलेक्शन कर सकें।

 

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20 साल की उम्र में फेसबुक शुरू की, सोशल मीडिया किंग बने
14 मई 1984 को जन्मे मार्क जकरबर्ग जब 20 साल के थे तब उन्होंने अपने तीन दोस्तों डस्टिन मोस्कोविट्ज, क्रिस ह्यूज और एडुआर्डो सेवेरिन के साथ फेसबुक की शुरुआत की। उस वक्त नाम ‘द फेसबुक’ रखा गया। इसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए 4 फरवरी 2004 को लॉन्च किया गया। कुछ ही समय में इसकी पहुंच अमेरिका के कई कॉलेजों में हो गई। जकरबर्ग ने फेसबुक को आगे बढ़ाने के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी छोड़कर कैलिफॉर्निया के पालो अल्टो में किराए का घर लिया। इसी दौरान पेपाल के को-फाउंडर पीटर थील ने फेसबुक में 355 करोड़ रुपए का निवेश किया। दिसंबर 2004 तक फेसबुक का एक्टिव यूजर बेस 10 लाख के पार पहुंच गया। 

याहू की पेशकश ठुकराई, 6 साल बाद कंपनियों को खरीदना शुरू किया
जुलाई 2006 में याहू ने फेसबुक को 7100 करोड़ रुपए में खरीदने का प्रस्ताव दिया, लेकिन जकरबर्ग ने इसे खारिज कर दिया। अक्टूबर 2007 में माइक्रोसॉफ्ट ने 1,704 करोड़ रुपए में फेसबुक की 1.6% हिस्सेदारी खरीद ली, जिसके बाद कंपनी की मार्केट वैल्यू 10.65 लाख करोड़ रुपए हो गई। फेसबुक ने अप्रैल 2012 में 100 करोड़ डॉलर (7,100 करोड़ रुपए) में इंस्टाग्राम खरीदा। इसके बाद मार्च 2014 में वीआर हार्डवेयर और तकनीक पर काम करने वाली कंपनी ऑक्यूलस को भी 200 करोड़ डॉलर (करीब 14,000 करोड़ रुपए) में खरीदा। उसी साल अक्टूबर में कंपनी ने 1,900 करोड़ डॉलर (1.34 लाख करोड़ रुपए) में वॉट्सऐप को भी खरीद लिया। ये कंपनी की अब तक की सबसे महंगी डील थी। यही वजह है कि जकरबर्ग को अब सोशल मीडिया किंग भी कहा जाता है।

अक्सर एक जैसे कपड़े पहनते हैं, ताकि कपड़े चुनने में समय बर्बाद न हो

 

  • जकरबर्ग को अक्सर एक ही जैसे कपड़ों में देखा जाता है। जकरबर्ग चाहे ऑफिस में हों या बिल गेट्स जैसे अरबपति के साथ मीटिंग में, वे अक्सर ग्रे या डार्क ग्रे कलर की टी-शर्ट पहने दिखते हैं। काफी कम मौके होते हैं, जब उन्हें कुछ अलग कपड़ों में देखा गया हो। जकरबर्ग के पास एक ही जैसी कई टी-शर्ट्स हैं। एक इंटरव्यू में जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी में इन छोटी-छोटी बातों के लिए समय नहीं है। अगर आप अपने कपड़े या सुबह के नाश्ते जैसी छोटी चीज के बारे में भी सोचते हैं तो आप अपनी एनर्जी वेस्ट कर रहे होते हैं।’’
  • आमतौर पर ग्रे टी-शर्ट और हुडी में दिखने वाले जकरबर्ग 2009 में हर दिन ऑफिस टाई पहनकर जाते थे। अपनी एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने इसका कारण भी बताया था। जकरबर्ग ने लिखा था, ‘‘2008 में शुरू हुई आर्थिक मंदी के बाद मैंने 2009 में पूरे साल टाई पहनी, क्योंकि मैं अपनी कंपनी के कर्मचारियों को यह संकेत देना चाहता था कि मंदी के इस दौर में यह साल हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है।’’

 

वॉशरूम के लिए लगी लाइन में प्रिसिला चान से मिले
19 मई 2012 को जकरबर्ग और प्रिसिला चान की शादी हुई। पहली बार दोनों की मुलाकात 2003 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी कैंपस में एक पार्टी में हुई थी। पार्टी के दौरान वॉशरूम के लिए लगी लाइन में दोनों मिले थे। एक इंटरव्यू में प्रिसिला ने इस मुलाकात के बारे में बताते हुए कहा था कि “मार्क अपने हाथ में बियर का ग्लास लिए हुए थे, जिस पर टैग था, ‘Pound Include Beer.H’।” उन्होंने बताया था कि यह एक C++ टैग था, जो कम्प्यूटर साइंस के लिए अपील को दर्शा रहा था।

 

ग्रेजुएशन पार्टी बताकर शादी का जश्न मनाया
जकरबर्ग और प्रिसिला चान की शादी का भी एक दिलचस्प किस्सा है। जिस दिन दोनों शादी करने जा रहे थे, उस दिन मेहमानों को यह कहकर आमंत्रित किया गया था कि चान के मेडिकल स्कूल ग्रेजुएशन पूरा होने पर एक पार्टी रखी गई है, लेकिन जब मेहमान वेन्यू पर पहुंचे, तब उन्हें इस सरप्राइज वेडिंग के बारे में पता चला।

 

 

 

5 साल से सिर्फ 1 डॉलर महीने की सैलरी ले रहे, शेयर से कमाई
जकरबर्ग न सिर्फ फेसबुक के फाउंडर हैं, बल्कि कंपनी के चेयरमैन और सीईओ भी हैं। इसके बावजूद जकरबर्ग की हर महीने की सैलरी सिर्फ 1 डॉलर (70 रुपए) है। 2012 में जकरबर्ग 5 लाख डॉलर (मौजूद 3.50 करोड़ रुपए) सैलरी लेते थे, लेकिन 2013 से वे 1 डॉलर पर आ गए। उनकी ज्यादातर कमाई फेसबुक के शेयर से होती है। फेसबुक में ड्युअल क्लास शेयर स्ट्रक्चर काम करता है। इसमें क्लास-ए और क्लास-बी शेयर शामिल होते हैं। कंपनी की फाइलिंग के मुताबिक, दिसंबर 2018 तक जकरबर्ग के पास क्लास-ए के 1,21,78,053 और क्लास-बी के 39,83,19,062 शेयर हैं। 

2004 से ही विवादों में रहे, भारतीय मूल के व्यक्ति ने भी मुकदमा किया
फेसबुक की शुरुआत होते ही मार्क जकरबर्ग विवादों से जुड़ गए। फरवरी 2004 में जब जकरबर्ग ने फेसबुक शुरू की तो उनके साथ ही हार्वर्ड में पढ़ने वाले तीन छात्र- टाइल विंकलेवॉस, कैमरून विंकलेवॉस और दिव्य नरेंद्र ने जकरबर्ग पर आइडिया चुराने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर कर दिया। दिव्य नरेंद्र भारतीय मूल के हैं, जिनका जन्म न्यूयॉर्क में ही हुआ। तीनों ने अमेरिका की एक अदालत में जकरबर्ग के खिलाफ मुकदमा दायर कर दावा किया कि फेसबुक के पीछे असल आइडिया जकरबर्ग का नहीं, बल्कि उन तीनों का था। 2008 में अदालत ने फेसबुक और जकरबर्ग के खिलाफ फैसला देते हुए तीनों छात्रों को 650 लाख करोड़ डॉलर देने का आदेश दिया। इसके बाद भी मामला सुलझा नहीं और तीनों ने 2011 में फिर मुकदमा दायर कर दिया। बाद में समझौता हो गया। फिलहाल दिव्य नरेंद्र के पास फेसबुक में 0.022% शेयर हैं।

पिछला साल फेसबुक के लिए सबसे खराब रहा 
2018 फेसबुक के 15 साल के इतिहास का सबसे खराब साल रहा। मार्च 2018 में कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल सामने आया। इसमें ब्रिटिश पॉलिटिकल कंसल्टेंसी फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक के 8.7 करोड़ यूजर्स का डेटा चोरी करने का आरोप लगा, जिसका इस्तेमाल 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में किया गया। इसके बाद सितंबर में एक बार फिर फेसबुक के 5 करोड़ यूजर्स का डेटा हैक होने की बात सामने आई। दिसंबर में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया कि फेसबुक ने अपने यूजर्स का डेटा 150 से ज्यादा कंपनियों के साथ साझा किया। इसी साल इंस्टाग्राम के को-फाउंडर केविन सिस्ट्रोम और माइक क्रीगर, ऑक्यूलस के को-फाउंडर ब्रैंडन इराइब और वॉट्सऐप के को-फाउंडर जॉन कॉम ने फेसबुक और जकरबर्ग से मतभेद के चलते कंपनी छोड़ दी।