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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

ग्रोज बैकर्ट एशिया कंपनी द्वारा 37 पक्के कर्मचारियों को निकाले जाने के खिलाफ किया धरना प्रदर्शन

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चंडीगढ़ सुनीता शास्त्री। इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 मे स्थित चण्डीगढ़ ग्रोज बैकर्ट एशिया कंपनी द्वारा 37 पक्के कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जिस पर भडक़े कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया व नौकरी वापिस देने की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये सभी कर्मी पिछले 8 से 20 सालों से पूरी निष्ठा व लगन से काम कर रहे हैं। इस जर्मन कंपनी ने अचानक 1 दिसंबर 2020 को कोविड-19 का सहारा लेकर रिट्रेंचमेंट पत्र देकर इन सभी सबको कंपनी से बाहर कर दिया और बोल दिया कि कल से ड्यूटी नहीं आना। यह सभी लोग मध्यवर्ग परिवारों से हैं और इनके वेतन से ही इनका परिवार का गुजारा चलता है।यहाँ लोगो से बात करने से पता चलता है की इन सभी का कहना है की हमारी कंपनी में उच्च अधिकारियों की तनख्वाह लाखों रुपए प्रति माह है और हमारी सैलरी पूरी कंपनी में सबसे कम है हमें पता चला है कि कंपनी ने वियतनाम में काफी बड़े स्तर पर प्रोडक्शन शुरू करी है जिस कारण कंपनी जानबूझकर यहां की सेल कम दिखा रही है क्योंकि वियतनाम में लेबर सस्ती है और सरकार टैक्स में काफी छूट दे रही है। परंतु हम सब यहां कंपनी के लिए इतने सालों से काम कर रहे हैं और कंपनी ने एक झटके में हमें बाहर कर दिया हम सब रोजाना सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक कंपनी के बाहर यह फरियाद लेकर आते हैं कि हमारी नौकरी हमें वापस दे दी जाए।ये कंपनी नीडल प्रोडक्शन में विश्व के पहले स्थान पर है। इन्होंने अपने प्रतियोगी समूह को खरीदा है जिसमें लगभग 700 कर्मचारी काम करते हैं ग्रोज बैकर्ट का 2019 में टर्नओवर वेबसाइट के हिसाब से 60 अरब से अधिक दिखा रहा है कंपनी ने 2015-16 में स्वेच्छिक सेवा निवृति की योजना लगाई थी जिसमें इन्होंने 15 से 20 लाख रुपए प्रत्येक कर्मचारी चाहे वर्कर या स्टाफ को दिया था। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक उन्होंने अपनी जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण 10 साल इस कंपनी में लगाए हैं। उन्होंने भारत सरकार से से भी मांग की है कि हमें हमारी नौकरी वापस दिलवा दी जाए।