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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

गाय के यूरिन से तैयार कैप्सूल-टेबलेट से होगा कैंसर का उपचार, वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद फ्रिज ड्राइंग टेक्नोलॉजी से तैयार की दवा

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  • गुजरात के प्राेफेसर ने जीजेयू में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत की रिसर्च

Dainik Bhaskar

Dec 31, 2019, 05:12 AM IST

हिसार (महबूब अली). गाय के यूरिन से फ्रिज फ्लाइंग टेक्नोलॉजी से तैयार किए कैप्सूल और टेबलेट से कैंसर की दूसरी स्टेज, किडनी समस्या का इलाज होगा। हार्ट के मरीज के लिए भी यह टेबलेट कारगर है। खून का शुद्धिकरण करती है। 

गुजरात के एसवी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्राेफेसर डाॅ. भारत धाेलकिया ने कई साल की कड़ी मेहनत की रिसर्च के बाद टेबलेट और कैप्सूल तैयार किया है। उन्होंने साेमवार काे जीजेयू में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन शोध प्रस्तुत किया।

डाॅ. भारत ने बताया कि उनके दिमाग में आया कि गाय के यूरिन से भी विशेष प्रकार की दवाई तैयार की जा सकती है। सहयोग से उन्होंने फ्रिज ड्राइंग टेक्नोलॉजी से -20 से 30 डिग्री टेम्प्रेचर पर गाय के यूरिन से तैयार पाउडर की टेबलेट और कैप्सूल बनाने की ठानी। कई साल की कड़ी मेहनत के बाद रिसर्च की व करीब छह माह पहले ही टेबलेट और कैप्सूल बनाने में सफलता प्राप्त की।

देखने में आया कि किसी भी तरह के कैंसर की दूसरी स्टेज तक यूरिन से तैयार दवाई उपचार में कारगर है। गुजरात में दवाई काे बेचना शुरू कर दिया है। प्राेफेसर भारत ने बताया कि यूरिन से तैयार टेबलेट काे सुबह और शाम सेवन किया जा सकता है। इससे शरीर चुस्त रहता है। दवाई के अंदर पोटेशियम से लेकर कैल्शियम, ओमेगा 6 और 9 भी हाेता है।

प्रदूषण मुक्ति को रिएक्टर से तैयार किया बायाेडीजल

प्राे. भारत ने वातावरण काे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए रिएक्टर से बायाेडीजल भी तैयार किया है। बायाेडीजल के संबंध में भारत ने बताया कि बायोडीजल वानस्पतिक तेलों से प्राप्त अन्य वैकल्पिक ईंधनों से भिन्न है। इसको बिना किसी परिवर्तन किए ही डीजल इंजनों में प्रयोग कर सकते हैं, जबकि वनस्पति तेलों से प्राप्त ईंधनों को केवल ‘इग्निशन कम्बस्शन’ वाले इंजनों में ही प्रयोग ला सकते हैं और वह भी कुछ परिवर्तनों के बाद।

इस कारण बायोडीजल प्रयोग में सर्वाधिक आसान ईंधनों में से एक है। खेती में काम आने वाले उपकरणों को चलाने के लिए सबसे उपयुक्त है। बायोडीजल जिस प्रक्रिया द्वारा निर्मित किया जाता है उसे ट्रान्स-इस्टरीफिकेशन कहा जाता है। इसमें वनस्पति तेल या वसा से ग्लीसरीन को निकालना होता है। इस प्रक्रिया में मेथिल इस्टर और ग्लीसरीन आदि सह-उत्पादभी मिलते हैं। बायोडीजल में सल्फर और अरोमैटिक्स नहीं होते, जो परंपरागत ईंधनों में पाए जाते हैं। बताया कि बायोडीजल के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह दूसरे ईंधनों की भांति पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है। यह प्रदूषण करने वाला धुआं नहीं करता।