- चीफ जस्टिस समेत 3 जजों की बेंच ने खेमका को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
- खेमका की एसीआर पर सीएम की टिप्पणी मामला
Dainik Bhaskar
Jul 18, 2019, 06:01 AM IST
पानीपथ/चंडीगढ़. सीनियर आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की एसीआर की लड़ाई को लेकर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सरकार ने इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से खेमका के पक्ष में मार्च में दिए गए फैसले के खिलाफ अपील की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत तीन जजों की बेंच ने खेमका को नोटिस जारी जवाब मांगा है। इस मामले में सरकार की ओर से एसजी तुषार मेहता, एडिशनल एडवोकेट जनरल अरुण भारद्वाज, एडवोकेट आशी पांडे और एओआर विश्वपाल सिंह सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे।
कैट में खेमका के खिलाफ तो हाईकोर्ट ने पक्ष में दिया फैसला: सीएम की ओर से अंक कम किए जाने व टिप्पणी के खिलाफ खेमका कैट पहुंचे। वहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई। फिर उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि अप्रेजल से टिप्पणी को हटाया जाए।
सरकार की दलील- सीएम के पास अपने विवेक से अंक देने का अधिकार
सरकार की ओर से दलील दी गई कि सीएम के पास यह पावर होती है कि वे अपने विवेक व अधिकार से अंक दे सकते हैं। वे सभी आईएएस का काम देखते हैं। इसलिए हाईकोर्ट की ओर से रिव्यू अथॉरिटी द्वारा दिए अंक और टिप्पणी को लागू कैसे किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि एसीआर मामले में हाईकोर्ट ने खेमका के पक्ष में फैसला दिया था। बाद में सरकार ने खेमका का खेल विभाग के प्रधान सचिव पद से साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग में तबादला कर दिया था।
सीएम ने अंक कम कर लिखा था- मंत्री ने बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया
1991 बैच के आईएएस अशोक खेमका ने 7 जून 2017 को साल 2016-17 के लिए अप्रेजल भरा था। इसमें उनके रिपोर्टिंग अथॉरिटी एवं तत्कालीन मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने 10 में से 8.22 अंक दिए। 27 जून को खेल मंत्री अनिल विज ने रिपोर्टिंग अथॉरिटी की ओर से दिए अंकों में बढ़ोतरी कर 10 में से 9.92 अंक दिए। साथ ही लिखा कि कैबिनेट मंत्री के रूप में 3 साल में 20 से ज्यादा आईएएस अफसरों के साथ काम किया, लेकिन कोई भी अधिकारी खेमका के करीब नहीं था। खेमका की योग्यता, सच्चाई और ईमानदारी का कोई सानी नहीं। लेकिन आखिर में फाइनल अथॉरिटी सीएम मनोहर लाल के पास अप्रेजल पहुंचा तो उन्होंने अंक घटाकर 9 कर दिए। साथ ही लिखा कि रिव्यू अथॉरिटी मंत्री की टिप्पणी में थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है।