चंडीगढ़ । 170 करोड़ रुपये की कर्ज माफी व 580 करोड़ रुपये से 1.15 लाख किसानों को जनवरी में कर्ज मुक्त करने की घोषणा के बावजूद कांग्रेस सरकार की झोली खाली है। किसानों का कर्ज माफ करने के लिए सरकार कर्ज के बोझ तले दबती जा रही है। वहीं, किसानों में सरकार की छवि बिगड़ती जा रही है। इसे लेकर अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी परेशान हो गए हैं। समस्या का हल ढूंढने के लिए कैप्टन ने अब विधायकों व पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी सौंप दी है। किसानों में सरकार की छवि बिगड़ने को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अधिकारियों, कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ और विधायकों के साथ बैठक की।
मुख्यमंत्री के पास लगातार यह सूचना पहुंच रही थी कि कर्ज माफी का सर्टिफिकेट जारी करने के बावजूद किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है। वहीं, कर्ज माफी की सूची को लेकर उठ रहे सवालों को देखते हुए सरकार ने कर्ज माफी के दूसरे चरण में कई बड़े बदलाव करने का भी फैसला कर लिया है। सरकार ने कर्ज माफी के लिए बनी टी. हक कमेटी की सिफारिश को स्वीकार करते हुए किसानों से स्वघोषणा पत्र लेने के अलावा सरकारी नौकरी, पेंशन धारकों को कर्ज माफी से बाहर कर दिया है।