Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

ऑटोमेटिक एंबू बैग से मरीज को बिजली जाने पर 6 से 8 घंटे तक मिलेगी कृत्रिम सांस

0
215

  • पीजीआई के डॉक्टर ने तैयार की यह डिवाइस, फिलहाल शहर में उपलब्ध नहीं
  • डिवाइस तैयार करने में लगा एक साल का वक्त, आईआईएस बेंगलुरु का भी याेगदान

दैनिक भास्कर

Mar 26, 2020, 07:40 AM IST

चंडीगढ़ (मनोज अपरेजा). कोरोनावायरस के चलते अगर कोई इमरजेंसी की स्थिति आती है और ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। जो कि फिलहाल शहर में उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में पीजीआई के डिपार्टमेंट एनेस्थीसिया एंड इंटेंसिव केयर के असिस्टेंट प्रो. राजीव चौहान ने ऑटोमेटिक एंबू बैग डिवाइस तैयार किया है।

प्रो. राजीव चौहान मूलरूप से हिमाचल के कोटगढ़ के रहने वाले हैं। डॉ. चौहान ने बताया कि उन्हें इस डिवाइस तैयार करने में एक साल का वक्त लगा। इनके साथ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के दो इंजीनियर इशान धर और आकाश का भी बहुत बड़ा योगदान है। पीजीआई के डाॅक्टर रमन शर्मा ने भी इस डिवाइस को बनाने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। 

बार-बार एंबू बैग दबाने से मिलेगी मुक्ति: इस डिवाइस की मदद से पेशेंट के अटेंडेंट को बार-बार अपने मरीज को कृत्रिम सांस देने के लिए कई घंटे और कई दिनों तक हाथ से एंबू बैग को दबाना पड़ता था। इस डिवाइस की मदद से आने वाले समय में मरीजों के परिजनों को इससे छुटकारा मिलेगा। 

डिवाइस का वजन डेढ़ किलो
परिजनों को पता नहीं होता कि एंबू बैग एक मिनट में कितनी बार और कितनी जोर से दबाना है। अगर ज्यादा जोर से दबाएंगे तो मरीज को बैरो ट्रोमा जिसमें मरीज के फेफड़ों को नुकसान होता है। लेकिन इस डिवाइस रेट, वॉल्यूम और प्रेशर तीनों का कंट्रोल है। इस डिवाइस का वजन डेढ़ किलो है और पोर्टेबल साइज के इस डिवाइस को मरीज के तकिये के पास रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस डिवाइस बिजली से चलता है, और बिजली न होने की स्थिति में 6 से आठ घंटे का बैटरी बैकअप है।

15 से 20 हजार रुपए है इसकी कीमत
यह डिवाइस स्टेपर मोटर जो एक अपने ही तरीके की इंजीनियर्स की खोज है, उस तकनीक से एंबू बैग खुद ब खुद प्रेस होगा और मरीज को कृत्रिम सांस मिलते रहेंगे। इस डिवाइस की कीमत 15 से 20 हजार रुपए होगी। जो कि हाई एंड वेंटिलेटर जो कि बाजार में 12 से 15 लाख रुपए के मिलते हैं। उसके विकल्प के तौर पर सस्ता और सुलभ डिवाइस होगा। डॉ. चौहान ने बताया कि भारत में वेंटिलेटर की बहुत कमी है, ज्यादातर मरीजों समय पर वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं होते है और परिजनों एंबू बैग प्रेस करते-करते थक जाते हैं, एक तरह से वे विवश हो जाते हैं कई बार-बार तो अटेंडेंट्स शिफ्टों में मरीज को एंबू बैग प्रेस करने की ड्यूटी देते रहते हैंं।