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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

एमसीएम में आनंद पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

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एमसीएम में आनंद पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

मेहर चंद महाजन डीएवी महिला महाविद्यालय, चंडीगढ़ में ‘द सोल इन सिम्फनी: जर्नी ऑफ हैप्पीनेस थ्रू सेल्फ एक्चुअलाइजेशन एंड सेल्फ रियलाइजेशन’- विषय पर दो दिवसीय बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आज शुभारंभ हुआ। उच्च शिक्षा विभाग, चंडीगढ़ प्रशासन के तत्वावधान में आयोजित, यह सम्मेलन आनंद पर किए गए सम्मेलनों की श्रृंखला में दूसरा आयोजन है, पहला सम्मेलन कॉलेज के स्वर्ण जयंती वर्ष 2018 में किया गया था । कॉलेज का परिचय और संकल्पना नोट के बाद दीप प्रज्वलन के साथ सम्मेलन का शुभारंभ हुआ जिसमें आनंद के विभिन्न प्रतिमानों पर प्रकाश डाला गया । सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने सम्मेलन के आयोजन में सहयोग के लिए उच्च शिक्षा विभाग को धन्यवाद दिया। आत्म-बोध को मनोवैज्ञानिक विकास के उच्चतम स्तर के रूप में संदर्भित करते हुए, डॉ. भार्गव ने आत्म-बोध पर स्वामी परमहंस योगानंद जी के विचार साझा किए और सभी से आत्मिक शक्ति का अनुभव करने का आह्वान किया। डॉ. भार्गव ने अपनी स्वरचित कविता ‘सपनों का घर’ के माध्यम से इस तथ्य पर जोर दिया कि आत्म बोध द्वारा हमारे सपने वास्तविकता में बदल जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सच्चा सुख आत्मबोध और आत्मानुभूति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है, उन्होंने आनंद पर अपनी एक अन्य स्व-रचित कविता पाठ से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अध्यक्षीय भाषण (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर डॉ. राजीव सेठी, आईसीएफएआई समूह के सलाहकार द्वारा ‘लीडरशिप लेसन्स: ए पाथ टू सेल्फ- एक्चुलाइज़ेशन विषय पर दिया गया। कैप्टन विक्रम बत्रा (पीवीसी) के शौर्य का उदाहरण देते हुए डॉ सेठी ने जोर देकर कहा कि कैप्टन बत्रा ने एक ऐसे मिशन का नेतृत्व किया, जिसमें मौत निश्चित थी, उच्च कोटि का नेतृत्व ही किसी को ऐसे हमलों से जूझने की योग्यता प्रदान करता है। उन्होंने यह भी कहा कि परिवर्तनकारी नेतृत्व में सभी को एक परिवार का अंग माना जाता है, जो आत्मबोध का मार्ग प्रशस्त करता है। अपना प्रेरक भाषण समाप्त करते हुए डॉ. सेठी ने दर्शकों को ऐसे नेता बनने के लिए प्रोत्साहित किया जो दूसरों का समर्थन करते हैं और उन्हें उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास कराने में मददगार होते हैं। शूलिनी विश्वविद्यालय, सोलन से वरिष्ठ नेता निदेशक एवं प्रोफेसर समदु छेत्री द्वारा ‘हार्मोनाइजिंग हैप्पीनेस: इंटीग्रेटिंग ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस विद सेल्फ एक्चुलाइज़ेशन’ विषय पर मुख्य भाषण दिया गया। आनंद को लक्ष्य न बनाने की सलाह देते हुए प्रोफेसर छेत्री ने कहा कि इसमें कुशल बनने के लिए आनंदित रहने का अभ्यास, कल्पना एवं आत्मानुभव करना आवश्यक है। एक राजा और उसकी चार पत्नियों (शरीर, संपत्ति, मित्रगण, परिवार और आत्मा का प्रतीक) की कहानी से , प्रोफेसर छेत्री ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि हम अपनी आत्मा का ख्याल नहीं रखते। उन्होंने यह भी कहा कि हमें आत्मानुभूति के लिए, अपने भीतर परिवर्तन लाना आवश्यक है । प्रकृति और दूसरों के साथ जुड़ने का आग्रह करते हुए, प्रोफेसर छेत्री ने बताया कि स्वयं को स्वयं से, दूसरों से और पर्यावरण से अलग करने से दुख की अनुभूति होती है। उन्होंने दृढ़ आत्म स्वीकृति पर प्रकाश डालते हुए इस बात पर जोर दिया कि कोई भी व्यक्ति आत्मानुभूति के बिना आत्मबोध की यात्रा नहीं कर सकता है। इस अवसर पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल 13 बीएन से कमांडेंट कमल सिसौदिया, और सेवानिवृत्त प्रो. सतीश वर्मा थिएटर निदेशक सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कमांडेंट सिसौदिया ने जीवन के उतार-चढ़ाव से जुड़ी अपनी कहानी और उनसे जूझने के अपने मंत्र साझा किए। उन्होंने सभी से परम सत्ता से जुड़ने का आग्रह करते हुए कहा कि आत्म स्वीकृति भीतर से आती है और आनंद मन की एक अवस्था है। उन्होंने दर्शकों को आत्मानुभूति और आत्मबोध प्राप्त करने के लिए सरल उपाय बताए, जिसमें अपनी शक्तियों पर विश्वास, हर परिस्थिति में मुस्कुराना, नकारात्मक सोच से दूर रहना, दूसरों की मदद करना और परम सत्ता पर अटूट विश्वास शामिल थे। प्रो.सतीश वर्मा ने पुनः दोहराया कि आनंद स्वयं में निहित है, हमें इसे बाहर नहीं खोजना चाहिए। इस तथ्य पर जोर देते हुए कि किसी को अपना जीवन स्वयं जीना पड़ता है, उन्होंने कहा कि आनंद कोई ऐसी वस्तु नहीं जिसे प्राप्त किया जाए बल्कि वह एक अवस्था है। उद्घाटन सत्र के बाद ‘सेल्फ एंड क्रिएटिविटी’ पर समृद्ध पैनल चर्चा हुई जिसमें प्रख्यात पैनलिस्ट सूफी और ग़ज़ल गायक, सुश्री इंदिरा नाइक, फिल्म लेखक और फ़िल्म निर्माता, श्री जस ग्रेवाल, लेखक, निर्देशक व अभिनेता सुश्री बलप्रीत कौर और चंडीगढ़ ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष श्री रविंदर शर्मा बतौर पैनलिस्ट शामिल थे। चर्चा में विभिन्न पहलुओं पर सूक्ष्म विचारों का आदान-प्रदान किया गया, रचनात्मक प्रक्रिया में दर्द को सौंदर्य बोध के रूप में परिवर्तित करने एवं रचनात्मकता को सहज यात्रा के रूप में शामिल करते हुए स्पष्ट किया गया कि यह केवल यहाँ तक सीमित नहीं है। उद्घाटन दिवस पर दर्शन एवं आनंद प्राप्त करने के सरल तरीकों के व्यापक विषय पर ऑनलाइन सत्रों ने भी दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। ऑनलाइन सत्र में वरिष्ठ संचार अधिकारी, डॉ. सरब कोचर, यूएसए, सिएटल फाउंडेशन से बिल एंड मेलिंडा गेट्स, चाइल्ड इंटरवेंशन प्रैक्टिशनर, अलबर्टा सरकार, कनाडा से डॉ. आस्था शर्मा, ऑस्ट्रेलियन हेल्थ प्रैक्टिशनर रेगुलेशन एजेंसी से मनोवैज्ञानिक डॉ. आशिमा सोनी, व्रोकला यूनिवर्सिटी ऑफ बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स, पोलैंड से प्रोफेसर बारबरा मिरोज गोरगेन, वेस्टर्न कनेक्टिकट राज्य, कनेक्टिकट विश्वविद्यालय, यूएसए में प्रोफेसर ऑफ जस्टिस एंड लॉ एडमिनिस्ट्रेशन से डॉ. दिव्या शर्मा सहित कई अंतर्राष्ट्रीय वक्ता शामिल थे । फैटलॉस ट्रांसफॉर्मेशन स्पेशलिस्ट और संस्थापक, श्री रोहित शर्मा, ने ‘हैप्पीनेस प्लेट’ विषय पर सत्र आयोजित किया, जिसमें सकारात्मक खान-पान पर प्रकाश डाला गया। दिन का समापन डांस डाचा की संस्थापक और मोटिवेशनल स्पीकर सुश्री जस के शान द्वारा ‘हैप्पीयर-नेस : अनलीश योर इनर जॉय’ विषय पर कार्यशाला के साथ हुआ।