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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

उप विदेश मंत्री ने कहा- एशिया को बदलना चाहता है चीन, इसे रोकने में भारत-अमेरिका की साझेदारी जरूरी

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  • अमेरिका के उप विदेश मंत्री जॉन सुलीवान शुक्रवार को दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिले
  • सुलीवान ने चीन की नीतियों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए खतरा बताया 
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की गुप्त बैठक में कश्मीर पर भारत को घेरने की कोशिश कर चुका है चीन 

Dainik Bhaskar

Aug 17, 2019, 09:42 AM IST

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को चीन का साथ मिलने के बाद अब अमेरिका ने भी भारत का साथ देने के इरादे जाहिर कर दिए हैं। यूएन सुरक्षा परिषद की गुप्त बैठक के दिन ही अमेरिका के उप विदेश मंत्री जॉन सुलीवान ने दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। सुलीवान ने कहा कि भारत और अमेरिका अब 2+2 डॉयलॉग जैसी अहम वार्ताओं में शामिल हो रहे हैं, ताकि एशिया का ढांचा बदलने के चीन के इरादों को भांपकर उनसे निपटा जा सके। सुलीवान ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद के खात्मे के लिए भी साथ काम कर रहे हैं। 

सुलीवान ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के संदेश को आगे बढ़ाते हुए कहा- “हम दोनों देशों के पास साथ बढ़ने के मौके हैं। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र का ही भला होगा। लेकिन दक्षिण प्रशांत से लेकर हिंद महासागर तक चीन का विकास मॉडल इस क्षेत्र की शांति को खत्म करने में जुटा है। वह अपने हितों के लिए एशिया का ढांचा बदलना चाहता है।” 

उप विदेश मंत्री ने कहा, “हम चाहते हैं कि चीन कुछ अहम अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करे। लेकिन हम उसे ऐसा करने के लिए अकेले मजबूर नहीं कर सकते। हमें इसके लिए एक जैसी सोच वाले साथी चाहिए। चीन अपने मतलब के लिए एशिया का ढांचा बदलना चाहता है और यहीं भारत और अमेरिका की साझेदारी अहम साबित होती है। हम दोनों देश इस बात को अच्छी तरह समझते हैं।” 

अफगानिस्तान मुद्दे पर हुई बातचीत

सुलीवान ने जयशंकर से अफगानिस्तान के लिए जारी शांति प्रक्रिया की कोशिशों पर भी बातचीत की। दरअसल, लंबे समय तक अमेरिका इस मुद्दे पर सिर्फ रूस, चीन और पाकिस्तान से ही चर्चा करता रहा है। लेकिन अफगानिस्तान के अहम व्यापारिक साझेदार के तौर पर अमेरिका ने अब भारत को भी इस मुद्दे में शामिल करना शुरू किया है। इसके अलावा दोनों के बीच व्यापार और निवेश के मामले पर भी बात हुई।