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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

आरटीआई डालने पर अपील की 3 फोटोकॉपी मांग रहा विभाग, जबकि प्रावधान खत्म हो चुका

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राणा रणधीर, पटियाला.राइट टू इनफॉर्मेशन (आरटीआई) एक्ट शुक्रवार को 13 साल का हो गया है। अाज हम कानून से संबंधित दो ऐसे उदाहरण अापके सामने रख रहे हैं जिससे यह साबित होता है कि इसको लागू करवाने वाले अब तक न इस कानून की सही जानकारी रख पाए हैं अौर न ही गंभीर हैं। एक उदाहरण पंजाब सूचना अायोग की मनमर्जी का तो दूसरा सेंट्रर्ल इनफॉर्मेशन कमीशन की लाचारी का है। इनके लिए पटियाला के अारटीअाई एक्टीविस्ट डीसी गुप्ता लंबी जंग लड़ रहे हैं जो अभी जारी है ।

होल्डर मर जाए तो क्लेम कौन देगा, तय नहीं :प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में हर साल 330 रुपए लिए जाते हैं लेकिन कोई पॉलिसी नहीं दी जाती है। ऐसे में संबंधित की मौत पर परिजन किस एजेंसी से संपर्क करें? कौन सी एजेंसी इसका अकाउंट रखती है? इस सवाल को लेकर पटियाला के अारटीअाई एक्टीविस्ट डीसी गुप्ता ने 27 जुलाई 2015 को केंद्रीय वित्त मंत्रालय को अारटीअाई डाली।

मंत्रालय ने चिट्ठी लेने से इंकार करते कहा, इसे सही एड्रेस पर भेजें। डीसी गुप्ता के मुताबिक चूंकि वित्त मंत्रालय के तहत 10 से 12 डिपार्टमेंट अाते हैं, इसलिए वित्त मंत्रालय को नोडल अफसर लगाना चाहिए जो अारटीअाई अाने पर उसे संबंधित डिपार्टमेंट को अागे भेज दे।

13 अगस्त को डीसी गुप्ता ने इसकी कंप्लेंट सेंट्रल इनफॉर्मेशन कमीशन (सीअाईसी) को की? ठीक दो साल बाद 30 मई 2017 को सेंट्रल इनफॉर्मेशन कमिश्नर शरत सभ्रवाल ने मंत्रालय के सेक्रेटरी फाइनेंस अशोक लवासा को नोडल अफसर नियुक्त करने के अादेश दिए।

साथ ही वित्त मंत्रालय को 30 दिन में अारटीअाई का जवाब देने को कहा। जवाब न मिलने पर डीसी गुप्ता ने 31 अगस्त 2017 को सीअाईसी को फिर चिट्ठी लिखी लेकिन जवाब नहीं आया। 31 मार्च 2018 को चीफ इनफॉर्मेशन कमिश्नर अारके माथुर को चिट्ठी लिखी।

इसका भी जवाब नहीं आया। गुप्ता ने 4 जून 2018 को दोबारा सीअाईसी को ही अारटीअाई डालकर पूछा कि वह जिस कानून के लिए पिछले 3 साल से लड़ रहे हैं उसका स्टेट्स बताया जाए। कोई सुनवाई नहीं हुई। थककर गुप्ता ने 3 अगस्त 2018 को वित्त मंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिखकर जवाब मांगा।

अब 30 सितंबर को वित्त मंत्रालय ने डीसी गुप्ता को चिट्ठी भेजकर बताया कि विभाग ने डिप्टी सेक्रेटरी फाइनांस अारके कुरील को नोडल अफसर नियुक्त कर दिया है। अब वित्त मंत्रालय को भेजी किसी भी अारटीअाई को वापस नहीं भेजा जाएगा।

तीन फोटो कॉपियों में उलझा दिया पार्किंग रेट का मसला :पटियाला के मिनी सेक्रेटिएट में प सही पार्किंग रेट्स को लेकर गुप्ता ने मई 2018 में अारटीअाई डाली। जवाब न अाने पर 9 जुलाई 2018 को स्टेट इनफॉर्मेशन कमीशन से अपील की। उनकी अपील 25 जुलाई को यह कहकर लौटा दी गई कि अपील की 3 फोटोस्टेट कापियां अटैच की जाएं।

गुप्ता के मुताबिक पंजाब राइट टू इनफॉर्मेशन एक्ट 2017 में एेसा कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने 13 अगस्त 2018 को इस एक्ट का हवाला देकर दोबारा अपील की, लेकिन 31 अगस्त को यह भी वापस कर दी गई। सितंबर में गुप्ता ने स्टेट इनफॉर्मेशन कमीशन को चिट्ठी लिखकर इस कार्रवाई का जवाब मांगा तो कमीशन ने बताया कि वो वही अपील स्वीकार करते हैं जिसके साथ 3 फोटोस्टेट कापी अटैच होती हैं।

गुप्ता ने बताया कि एक्ट में अपील प्रोसीजर रूल्स 2005 में पहले अपील के साथ उसकी दो फोटोकॉपी लगाने का नियम था, लेकिन इसे 31 जुलाई 2012 को केंद्र खत्म कर चुकी है। अब तक यह मामला विचाराधीन है। अब गुप्ता ने वकील राम जेठमलानी, प्रशांत भूषण, कपिल सिब्बल समेत नामी 9 हस्तियों को चिट्ठी लिख इस कानून को बचाने की मांग की है।

चिट्ठी का सब्जेक्ट लिखा है, अारटीअाई एक्ट-डाइंग अ स्लो डेथ इन इंडिया। अगर कोई सेकेंड अपील करता है तो सुनवाई में 18 से 20 महीने लग रहे हैं। 20 महीने बाद कमीशन यह कह केस बंद कर देता है कि डिपार्टमेंट प्राथी को 30 दिन में सूचना दे। सूचना मिली या नहीं, कोई चैक नहीं है।

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आरटीआई एक्टिविस्ट डीसी गुप्ता