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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

अमेरिकी सेटेलाइट लुधियाना भेज रहे खेत का खसरा नंबर-फोटो, पराली जलाने वालों के कट रहे चालान

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जालंधर/अमृतसर.तंदुरुस्त पंजाब मिशन के तहत इस बार खेतों में पराली जलाने वालों पर अमेरिका के सुओमी और मोडिस सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है। इसी की मदद से जिला प्रशासन ने 30 सितंबर से 24 अक्टूबर तक 285 लोगों के चालान काटे हैं। सेटेलाइट के जरिए 656 शिकायतें पहुंची, जिनमें से प्रशासन ने 404 का मुआयना किया और उक्त लोगों को पराली जाते पाया गया। इन्हें 7 लाख 62 हजार 500 रुपए जुर्माना किया गया है। इसमें से 3.15 लाख वसूले जा चुके हैं। वहीं 252 शिकायतों का अभी मुआयना किया जाना बाकी है। इस टेक्नोलाॅजी के जरिए रोजाना औसतन 11 केस पकड़े जा रहे हैं।

पिछले साल पंजाब और हरियाणा में पराली व धान की नाड़ जलाने के कारण इसके धुएं ने दिल्ली और एनसीआर तक जनजीवन को प्रभावित किया था। उसके बाद केंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निगरानी में सेटेलाइट की मदद लेने की योजना बनाई।

नोडल अफसर मौका चेक करके करते हैं कार्रवाई :अमृतसर जिले के 750 गांवों में इतने ही नोडल अफसर नियुक्त हैं। सेटेलाइट के बाद रिमोट सेंसिंग सेंटर से जो जानकारी नोडल अफसर को आती है, उसमें खेत का नक्शा, उसका खसरा नंबर और मालिक का नाम रहता है। जानकारी मिलते ही नोडल अफसर तुरंत मौके पर पहुंचकर उसे वेरिफाई करके खेत मालिक पर कार्रवाई करता है।

दोनों अमेरिकन सेटेलाइट से पराली जलाने की तस्वीरें ली जाती हैं। इन सेटेलाइट में हाई रेजुल्यूशन कैमरे लगे हैं। इनका संचालन अमेरिका की नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की ओर से किया जाता है। यह सेटेलाइट धरती पर किसी जगह का तापमान असामान्य रूप से बढ़ने पर उसे ट्रैक कर लेते हैं। इसी तकनीक से पराली जलाने वालों को पकड़ा जा रहा है। अमेरिकी सेटेलाइट ऐसे एरिया को आईडेंटीफाई कर उसका रिकॉर्ड लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर को भेज देते हैं। सेंटर से आगे इन्हें जिलास्तर पर बनए गए मॉनीटरिंग सेंटर में मेल के जरिये भेजा जाता है। सेंटर से ही एेप के जरिए ये जानकारी गांव स्तर पर नियुक्त नोडल अफसर को फाॅरवर्ड कर दी जाती है।

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पांच विभागों की टीमें मिलकर करती हैं कार्रवाई :आग किसी ने लगाई हो और या किसी भी कारण से लगी हो, जिम्मेदार जमीन मालिक होगा। इसमें ढाई एकड़ के लिए 2500 रुपए के हिसाब से जुर्माना लगाया जाता है। साथ ही भविष्य में ऐसा न करने की हिदायत भी दी जाती है। नाड़ जलाने से रोकने के लिए पांच अलग-अलग विभागों की टीमें बनाई गई हैं। इनमें खेतीबाड़ी, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, पुलिस, रेवेन्यू और पाॅवरकाम शामिल हैं। इनके सहयोग के लिए सरकार ने आठ हजार नोडल अफसर नियुक्त किए हैं।

इस साल नाड़ जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत तक कमी आई :जिला स्तर के प्रोग्राम एग्रीकल्चर टेक्नॉलाजी मैनेजमेंट एजेंसी (आत्मा) कोआॅर्डिनेट करती है। आत्मा के डायरेक्टर डॉ. मनदीप पुजारा ने बताया कि इस तकनीक की मदद लेने के बाद नाड़ जलाने की घटनाएं 60% कम हो गई हैं। अमृतसर में हर साल धान कटने के बाद शुरुआती 15 दिन में 1000 मामले आते थे, इस बार सिर्फ 300 केस आए हैं।

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