Mirror 365 - NEWS THAT MATTERS

Dear Friends, Mirror365 launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards www.mirror365.com

Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

अधूरे वादों के बीच अगले साल की उम्मीद लगाए बैठी है जनता, थोड़ी-सी बिजली और थोड़ा-सा पानी मिल सकता है मुफ्त

0
137

  • 2022 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख बजट को लोक लुभावन बना सकती है सरकार
  • जनता पर नया बोझ डालने से परहेज किया जा सकता है, जनकल्याण योजनाओं की सहायता राशि भी बढ़ सकती है
  • केंद्र सरकार में बकाया 4100 करोड़ रुपए के जीएसटी शेयर और कर्ज लेने की बची क्षमता का सहारा है सरकार को

Dainik Bhaskar

Feb 28, 2020, 09:12 AM IST

जालंधर. पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार 28 फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए तय किए जा चुके बजटीय अनुमान का खुलासा करेगी। हर बार की तरह प्रदेश की जनता की निगाहें उस लम्हे पर टिकी हैं, जब वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बाद अगले साल का विजन प्रस्तुत करेंगे। माना जा रहा है कि राज्य सरकार इस बार के बजट को 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लोक लुभावन बनाने जा रही है। ऐसे में आम जनता पर कोई नया बोझ डालने से सरकार परहेज करेगी। वहीं, विभिन्न जनकल्याण योजनाओं में सहायता राशि में इजाफा कर सकती है। ज्यादा फोकस युवा और किसान वर्ग पर होने की उम्मीद है। प्रदेश के लोगों को दिल्ली की तरह थोड़ी सी बिजली और थोड़ा सा पानी भी मुफ्त मिल सकता है। दूसरी ओर इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि पिछले साल वित्तमंत्री द्वारा किए गए दावों की गाड़ी अभी तक ट्रैक पर नहीं आ पाई है। साथ ही सरकार कर्ज में डूबी है सो अलग। वर्तमान भविष्य पर कितना असर डालेगा, यह बात भी कुछ ही घंटों में साफ हो जाएगी।

ये हैं बड़ी बातें, जो नहीं हुई पूरी

  • शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बडे़ दावों में शामिल पटियाला में ओपन यूनिवर्सिटी की स्थापना की बात अभी तक सिरे नहीं चढ़ी है। राज्य में 10 नए डिग्री कॉलेज,15 नई आईटीआई, 2010 स्कूलों को इंगलिश मीडियम में तब्दील करना था, लेकिन हुआ कुछ नहीं
  • पिछले बजट में दलित छात्रों को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए 938.71 करोड़ का प्रावधान था, वहीं 2 वर्ष की राशि लंबित है।
  • पंजाब अनएडिड कॉलेज एसोसिएशन और फैडरेशन ऑफ सेल्फ फाइनांस्ड टैक्नीकल इंस्टीट्यूशंस के मुताबिक पिछले 4 साल का लगभग 1850 करोड़ रुपया अभी तक जारी नहीं किया गया है।
  • 130 करोड़ का बजट मंजूर किए जाने के बावजूद युवाओं को स्मार्टफोन अभी तक दिए ही नहीं जा सके हैं। साथ ही घर-घर रोजगार का वादा था, अभी कुछ ही युवाओं को रोजगार मिला है।
  • गुरदासपुर, पठानकोट व संगरूर में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का वादा पूरा नहीं हुआ।
  • होशियारपुर, फाजिल्का व अमृतसर में टर्शरी केयर कैंसर सेंटरों की स्थापना का वादा था, अभी सिर्फ फाजिल्का में ही सेंटर बन रहा है।
  • उद्योग में 57,735 करोड़ रुपए के निवेश से 1.89 लाख नौकरियों का वादा अधूरा है।
  • फोकल प्वाइंट्स पर रिहायशी प्लाटों की बिक्री के लिए बार-बार की ई-ऑक्शन में कोई रिस्पांस नहीं मिला।
  • घाटे के चलते उद्योग विकास निगम उद्योगों को स्थापित करने में निवेश नहीं कर रहा, क्योंकि पुराना कर्ज भी फंसा हुआ है।
  • कृषि ऋण माफी योजना के तहत 5 एकड़ जमीन वाले किसानों सहित हाशियाग्रस्त एवं गरीब किसानों के 2 लाख रुपए तक के फसली ऋण माफ होने थे। 2019-20 में सरकार के 3000 करोड़ रुपए आरक्षित रखने के ऐलान के बावजूद घोषणा पूरी नहीं हो पाई है। 
  • किसानों व समाज के अन्य वर्गों को नि:शुल्क बिजली आपूर्ति के बदले पावरकॉम को दी जाने वाली सब्सिडी राशि को लेकर 1513 करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान के बावजूद 31 जनवरी 2020 तक सरकार 7000 करोड़ से अधिक की डिफाल्टर है।

कर्ज में डूबी है सरकार, वित्तमंत्री खुद भी मान चुके
बजट 2019-20 में वित्त मंत्री ने पंजाब के रैवेन्यू में बढ़ौतरी का दावा किया था लेकिन आर्थिक मोर्चे पर लगातार जूझ रही पंजाब सरकार राजस्व उगाही तक में लगातार पिछड़ रही है। दिसंबर 2019 को खत्म हुई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान रैवेन्यू कलेक्शन में पिछले वर्ष के मुकाबले टैक्स में 3612 करोड़ और नॉन टैक्स रैवेन्यू में 1527 करोड़, कुल 5139 करोड़ रुपए की कमी दर्ज की गई। हालत यह है कि पंजाब सरकार को कामकाज चलाने व पहले से लिए हुए कर्ज की किस्तें चुकाने को भी बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है। यहां तक कि वित्तमंत्री मनप्रीत बादल कबूल कर चुके हैं कि राज्य सरकार को विरासत में मिला ऋण का बोझ एक प्रमुख चुनौती है।

कौन-कौन से खर्चे बढ़ा रहे हैं सरकार की टेंशन
राज्य सरकार पक्के खर्च में मुलाजिमों का वेतन 1758 करोड़ लगभग प्रतिमाह, पेंशन 793 करोड़ प्रतिमाह व 3731 करोड़ रुपए की सबसिडी सहित कर्जे का ब्याज वगैरह शामिल हैं। इसके लिए राज्य सरकार को चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों के दौरान ही 8335 करोड़ रुपए बाजार से उधार लेने पड़े हैं, ताकि पहली तीन तिमाहियों के दौरान 9280 करोड़ रुपए कर्ज पर ब्याज के रूप में चुकाए जा सकें। अकेले अनाज खरीद से जुड़े 31000 करोड़ रुपए के विवादित कर्ज के ब्याज के रूप में हर महीने 270 करोड़ रुपए केंद्र सरकार को अदा करने पड़ रहे हैं।

बजट से लोगों की उम्मीदें

  • नए वित्त वर्ष का बजट भी घाटे का ही पेश होगा, लेकिन इसमें वित्तमंत्री शिक्षा और सेहत के लिए अधिक पैसे की व्यवस्था कर सकते हैं।
  • सरकारी कर्मचारियों की लंबित मांगों जैसे बकाया डीए और अब तक लंबित वेतन आयोग की सिफारिशों के लिए भी बजट में प्रावधान करने की तैयारी है।
  • वित्त मंत्री नए बजट में पंजाब के लोगों को 100 यूनिट मुफ्त बिजली और एक निश्चित मात्रा में मुफ्त पानी का तोहफा दे सकते हैं।
  • वहीं यह भी संभावना जताई गई है कि राज्य सरकार विभिन्न जनकल्याण योजनाओं में सहायता राशि में इजाफा कर सकती है।

कर्ज का असर नई घोषणाओं पर भी पड़ेगा
चालू वित्त वर्ष के बजट भाषण में भी मनप्रीत बादल ने स्वीकार किया था कि 31 मार्च, 2019 तक राज्य का कुल बकाया ऋण 2,12,276 करोड़ रुपए पहुंच चुका था, वहीं ताजा अनुमान के मुताबिक मार्च 2020 तक कर्ज का बोझ करीब 2,30,000 करोड़ तक पहुंच जाएगा। ऐसे में प्रदेश सरकार की तरफ से 2020-21 के लिए की जाने वाली घोषणाओं पर भी असर पड़ना लाजमी माना जा रहा है। अगर पंजाब की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार केजरीवाल का दिल्ली मॉडल अपनाकर जनता के लिए विभिन्न सुविधाओं का ऐलान करती है तो उसकी मुख्य चिंता पर्याप्त पैसे की व्यवस्था है।

ये विकल्प भी हैं सरकार के पास
राज्य सरकार ने लिए नए वित्त वर्ष में सबसे बड़ी उम्मीद केंद्रीय वित्त कमीशन द्वारा पंजाब के लिए मंजूर किए गए  5 लाख करोड़ रुपए हैं। वहीं केंद्र सरकार की तरफ पेंडिंग 4100 करोड़ रुपए के जीएसटी शेयर के लिए भी राज्य सरकार बार-बार तकादा कर ही रही है। इसके अलावा बाजार से कर्ज लेने की 19500 करोड़ रुपए की मौजूदा क्षमता में से सरकार 9500 करोड़ रुपए बाजार से उठा चुकी है और अब 10,000 करोड़ रुपए और उधार ले सकती है।