‘स्वदेशी अपनाओ’ विषय पर ‘तृतीय हरियाणा ई-कवि सम्मेलन’ का आयोजन बच्चों को देश भक्ति और अच्छे संस्कार संदेश दें
चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा ‘स्वदेशी अपनाओ’ विषय पर ‘तृतीय हरियाणा ई-कवि सम्मेलन’ का गूगल मीट के माध्यम से आयोजन किया गया। जागरूकता लाने के उद्देश्य से स्वदेशी अपनाओ विषय पर हरियाणा के दस जाने-माने साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सभी को यही संदेश दिया कि हम जितना ज्यादा हो सके अपने देश में बनी हुई चीजों का ही इस्तेमाल करें और अपने देश को समृद्ध बनाएं।उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के निदेशक प्रोफेसर व सौभाग्य वर्द्धन ने बताया कि महीने के हर दूसरे रविवार को हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकारों के लिए अलग-अलग विषयों पर ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जाता है और इस महीने की काव्य गोष्ठी का विषय ‘स्वदेशी अपनाओ’ था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सरिता मेहता ने की जो कि ना केवल भारत बल्कि विदेशों में अपनी संस्कृति के प्रचार और प्रसार में लगी हुई हैं और इस कार्यक्रम का संचालन श्रीमती नीलम त्रिखा ने किया। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले साहित्यकारों के नाम इस तरह से है श्रीमती गायत्री कौशल, अलका शर्मा बॉस जसविंदर शर्मा, आदिति राणा, शीनू वालिया रेनू अब्बी, अश्विनी कुमार भीम, श्रीमती कृष्णा कुमारी आर्य, नीलम त्रिखा व डॉ सरिता मेहता। वरिष्ठ सेनानी विवेक जी जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान एक जवान ने जब उनकी बाहों में दम तो दिया उस वक्त एक कविता की रचना हुई दरअसल यह उस वीर शहीद के ही शब्द थे जिसका शीर्षक है ‘अंतिम शब्द’ सुनाकर सभी की ऑखे नम कर दी कविता के बोल इस तरह से थे ‘मैं हूं सैनिक युद्ध केवल धर्म मेरा…..’।
देश प्रेम और स्वदेशी अपनाओ का संदेश देते हुए डॉ सरिता मेहता ने अपनी रचना के माध्यम से कुछ इस तरह से कहा ‘मेरा भारत मेरा प्यारा वतन, मेरे मन मंदिर में जो बसता है, खून के हर कतरे कतरे के संग संग, मेरी रगों में हरदम बहता है’। अपने देशवासियों को स्वदेशी अपनाओ का संदेश देते हुए नीलम त्रिखा ने अपनी रचना ‘सीमा पर वीर सैनिकों ने दिया अपना बलिदान है… चीनी सामान का अब हमने करना बहिष्कार है…’, गायत्री कौशल ने ‘छोर विदेशी स्वदेशी अपना लो तुम’, अलका शर्मा बॉस ने ‘एक सपना देखा है मैंने भारत में क्रांति आए’, जसविंदर शर्मा ने ‘माँ तो पूरा छतनार वृक्ष है, शहर आई तो अपनी जड़े वही गांव में छोड़ आई’, अदिति राणा ने ‘आओ मिलजुल कर आजादी का जश्न मनाए’, वही शीनू वालिया ने ‘मुझे गर्व है जो इस माटी में जन्म लिया’, रेनू अब्बी ने ‘मेरे ख्वाबों का हिंदुस्तान’, अश्विनी कुमार भीम ने ‘हां मैं चाहता हूं प्यार मोहब्बत का गांधी बनना’, कृष्णा कुमारी आर्य नारनौल ने ‘हम हरियाणा के वासी अभिलाषी ना आराम के.. मेहनतकश मजदूर क्षेत्र में दिन और रात कमावे….’ हरियाणवी रचना के माध्यम से सब को भावविभोर कर दिया। सभी रचनाकारों की रचनाएं बहुत ही जागरूकता भरा संदेश देने वाली थी ।स्वदेशी चीजों के साथ-साथ अपनी धरोहर अपनी संस्कृति अपने बच्चों में, अच्छे संस्कार लाकर पूरे देश को संदेश दें।