एंटरटेनमेंट डेस्क. शाहरुख खान 2 नवंबर को 52 साल के हो जाएंगे। उनका जन्म 1965 को दिल्ली में हुआ था। कई सुपरहिट फिल्मों में काम करने वाले शाहरुख ने बॉलीवुड में खुद के दम पर अपनी पहचान बनाई है। बता दें कि राइटर मुश्ताक शेख ने शाहरुख पर एक बुक 'कहानी शाहरुख खान की' लिखी है। इस किताब में उन्होंने शाहरुख की जिंदगी से जुड़ी कई बातों का खुलासा किया है, जिसे शायद कम ही लोग जानते हैं। शाहरुख की जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से …
– मुश्ताक शेख ने किताब में जिक्र करते हुए बताया, शाहरुख की मां लतीफ फातिमा काफी दिनों तक बीमार रही। कई दिनों तक शाहरुख उनके बिस्तर से हटे नहीं, सोना और खाना सब भूल गए थे। मां की देखभाल करते-करते वे बहुत धक गए थे। एक बार तो शाहरुख थकान से पस्त और इतने बदहवास हो गए कि जाकर सो गए। उनकी नींद इतनी गहरी थी कि उन्हें उठाने के लिए दोस्तों को दरवाजा जोर-जोर से खटखटाना पड़ा। देर तक दरवाजा नहीं खुलने पर सभी डर गए थे।
– शाहरुख दिल्ली के गौतम नगर में रहते थे। पिता मीर ताज मोहम्मद का इंतकाल हो चुका था। लतीफ फातिमा अपने दोनों बच्चों यानी शाहरुख और लाला शहनाज की देखभाल करती थी। बात उन दिनों की है जब शाहरुख ने थिएटर ज्वाइन कर लिया था। वे अक्सर घर देर रात आते थे और वो भी अकेले नहीं। साथ में उनके दोस्त बेनी थॉमस, संजय, दिव्या सेठ भी रहते थे। उनका रूम हमेशा दोस्तों और इलेक्ट्रॉनिक गेम्स से भरा रहता था। फातिमा हमेशा शाहरुख के दोस्तों के लिए माहौल को सहज बनाए रखती थीं।
– शाहरुख की दोस्त दिव्या सेठ ने किताब में बताया, शाहरुख की मां बहुत प्यारी थी। वे मजाकिया और शरारती थीं। वे बेहद सहज, हंसती हुई और कड़ी मेहनत करने वाली थी। वे हमेशा काम करती रहती थी। शाहरुख के बचपन के दोस्त विवेक ने फातिमा के बारे में बताया, हमारे लिए वे सबकुछ थी। हमारे घर में मौजूद रहने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती थी। हम उनके साथ घर में मजे के साथ वक्त गुजारते थे, भले ही शाहरुख वहां हो या न हो।
मां ने किसी चीज की कमी नहीं होने दी
किताब में शाहरुख ने बताया, मां ने कई सालों तक अपने पारिवारिक जीवन, रेस्टोरेंट और सामाजिक कार्यों के बीच भाग-दौड़ की। जब पिता को कैंसर होने का पता चला था तो सभी डर गए थे। एक इंजेक्शन की कीमत करीब 5 हजार रुपए होती थी और उन्हें 10 दिन में 13 इंजेक्शन की जरूरत पड़ती थी। यह एक खर्चीला इलाज था और हमारा बिजनेस डूब चुका था। बावजूद इसके मां दिन-रात काम करती और इंजेक्शन के लिए पैसा जुटाती थी। हालांकि, इलाज के बाद भी पिता की मौत हो गई।
– किताब में शाहरुख ने बताया, पिता के जाने के बाद भी मां ने हमें किसी चीज की कमी नहीं होने दी। घर से कॉलेज जाने के लिए उन्होंने मां से कार की मांग की थी। मां ने एक शब्द भी नहीं कहा था, लेकिन अगले दिन वे घर से बाहर निकले तो दरवाजे पर कार उनका इंतजार कर रही थी।
गौरी को वापस लाओ
मुश्ताक ने किताब में गौरी और शाहरुख का जिक्र करते हुए लिखा, एक बार गौरी जो उनकी लवर थी, ने शाहरुख से अलग होने का फैसला किया और वे मुंबई चली गई। जब फातिमा को पता चला तो उन्होंने कुछ भी पूछे बिना शाहरुख के हाथ में 10 हजार रुपए दिए और गौरी को घर लाने को कहा। जब शाहरुख ने मां से कहा मैं गोरी से शादी करना चाहता हूं, तो मां ने एक सच्चे दोस्त की तरह बर्ताव किया। 1990 आते-आते शाहरुख अपने वक्त को मुंबई और दिल्ली के बीच बांट रहे थे। वे एक साथ कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।
– एक दिन पता चला कि मां बीमार है। शाहरुख भागे-भागे घर गए। उनकी मां का इलाज एक मामूली अस्पताल में चल रहा था। ये देखकर वे भौंचके रह गए और उन्होंने मां को तुरंत एक अच्छे अस्पताल में भर्ती करवाया। शाहरुख को अपना काम पूरा करने मुंबई वापस जाना पड़ा। उनके दोस्त, बहन और गौरी मां का ध्यान रखते थे। शाहरुख मुंबई से दवाईयां भिजवाते थे। शाहरुख भी आकर मां की सेवा करते थे। लेकिन एक दिन मां कोमा में चली गई और 1991 में मां का इंतकाल हो गया।
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