चंडीगढ़। दिल्ली के दयाल सिंह कॉलेज का नाम बदलकर वंदेमारतम् महाविद्यालय रखने के प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्री व अकाली नेत्री हरसिमरत कौर बिफर पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग कॉलेज का नाम बदलने के ज्यादा इच्छुक हैं उनका खुद का नाम बदला जाना चाहिए। हरसिमरत ने कहा कि आप किसी और की विरासत को कैसे हटा सकते हैं?
हरसिमरत ने कहा कि कालेज के नाम बदलने का प्रस्ताव अस्वीकार्य और चौकाने वाला है। कॉलेज का नाम बदलना पंजाब के पहले स्वतंत्रता सेनानी सरदार दयाल सिंह मजीठिया की विरासत का अपमान है।
हरसिमरत कौर ने अपने फेसबुक पर भी इस संबंध में लिखा है। उन्होंने लिखा है कि यह निंदनीय है। मैंने इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर इस मामले में दयाल सिंह कालेज प्रशासन को उचित निर्देश देने का अनुरोध किया है। यह कदम आपत्तिजनक है। इतने बड़े समाज सेवक का नाम कालेज से हटाना आपत्तिजनक है।
हरसिमत की फेसबुक पर लिखी टिप्पणी।
गत दिवस श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने दयाल सिंह कालेज का नाम बदले जाने का सख्त नोटिस लेते हुए इसे सिखों की ओर से दी गई कुर्बानियों को मिटाने की साजिश बताया। ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में जितने भी कालेज व अन्य शिक्षण संस्थान सिखों की ओर से स्थापित किए गए हैं वे उन्हीं नामों पर चल रहे है, परंतु हमारे ही देश में सिखों को दूसरे नंबर का शहरी समझ कर भेदभाव किया जा रहा है। यह बात किसी भी कीमत पर बर्दाशत नहीं की जाएगी।
गुरबचन सिंह ने कहा कि प्रबंधकों को कोई नया नाम किसी संस्थान का रखना है तो नई इमारत बनाकर कोई नया नाम दे देते, ना कि पहले से बने संस्थान का नाम बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों के तहत ही कॉलेजों व सड़कों आदि के नाम रखकर संप्रदायिकता फैलाने की नीतियों को बंद करे।