हिंदी सिनेमा में धर्म और जाति के विषय को लेकर आजतक कई फिल्मे आयी है- ओह माय गॉड, माय नाम इस खान, पीके जैसी कई फिल्मो में हमने धर्म और जाति के उल्लेख को देखा है। भले ही इन फिल्मो का राजनीती से कहीं पर भी सीधा सम्बन्ध न हो लेकिन ये फिल्मे धर्म के नाम पर राजनितिक हलचल को बढ़ावा देती है। . इस कड़ी में एक और फिल्म दस्तक दे रही है – ” गेम ऑफ़ अयोध्या” वैसे इस फिल्म का राजनीती से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं, लेकिन इसका जो विषय है बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का वो राजनीती पर जरूर सवाल उठा सकता है , “गेम ऑफ़ अयोध्या” जो एक हिन्दू मुस्लिम लव स्टोरी की कहानी है, पिछले दिनों काफी कॉन्ट्रोवर्सी में रही।
भारतीय सेंसर बोर्ड ने फिल्म गेम ऑफ़ अयोध्या को २७ जनवरी को बैन किया था यह कहकर की फिल्म प्रोवोकेटिव है लेकिन 29 सितम्बर को फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्रिब्यूनल ने फिल्म को U/A सर्टिफिकेट प्रमाणपत्र देने का सेंसर को आर्डर दिया है। इस तरह इतने समय बाद आख़िरकार ये फिल्म रिलीज़ हो रही है।
सुनील सिंह के निर्देशन में बानी ये फिल्म में हिन्दू मुस्लिम की कहानी दर्शायी गयी है साथ ही ये वो दौर की कहानी है जब बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद के चलते उस पर काफी दंगे और फसाद हुए थे। सुनील सिंह जिन्होंने इस फिल्म को डायरेक्ट भी किया है और इस फिल्म के निर्माता है सरोज एंटरटेनमेंट। साथ ही फिल्म के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर है भूषण अग्रवाल।