चंडीगढ़। अपने तेवर से पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गए हैं। अपने इसी तेवर के कारण वह भारतीय जनता पार्टी में भी निशाने पर आ गए थे और अब कांग्रेस के नेताओं की भी आंखों में चुभने लगे हैं। उनका आक्रामक तेवर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को नहीं भा रहा है लेकिन हालात को देखते हुए पार्टी बेबस नजर आ रही है। ऐसे में बताया जाता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी सिद्धू के बारे में फिर से आकलन कर रही है अौर उनको लेकर संजीदा हो गई है।
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद पिछले 10 माह में तीन ऐसे मौके आ चुके हैं जब सिद्धू के कारण सरकार और पार्टी को असहज होना पड़ा है। अमृतसर के मेयर के चयन को लेकर जिस प्रकार से सिद्धू ने आक्रामक तेवर दिखाए और उनके समर्थक 15 पार्षद बैठक से गायब रहे उसे पार्टी ने काफी गंभीरता से लिया है।
कैबिनेट बैठक में पहुंच कर भले ही सिद्धू ने तल्खी कम करने का संदेश दिया हो लेकिन कांग्रेस अब उनको लेकर बेहद संजीदा हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि सिद्धू के तेवरों के कारण सरकार ही नहीं बल्कि पंजाब कांग्र्रेस को भी फजीहत झेलनी पड़ी है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि असल में सिद्धू को लेकर पूरा मामला अैर सरकार व संगठन का रुख हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव में प्रचार के लिए उनका नहीं जाने से भी नहीं जुड़ा है। राहुल गांधी खुद चाहते थे कि सिद्धू चुनाव प्रचार के लिए इन दोनों राज्यों, खासकर गुजरात जाएं।
बताया जाता है कि राहुल गांधी ने खुद उन्हें इसके लिए कहा था, लेकिन सिद्धू नगर निगम व स्थानीय निकाय चुनाव का बहाना बनाकर वहां नहीं गए। अब हालात यह हो गए कि सिद्धू नगर निेगम चुनाव से जुड़े मामलों में अपनी उपेक्षा का रोना राे रहे हैं।