चंडीगढ़ I बीजेपी की नीतियों पर करारे तंज कसने वाले असंतुष्ट बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और चंडीगढ़ के पूर्व सांसद हरमोहन धवन की तिगड़ी नया सियासी गुल खिलाने के मूड में नजर आ रही है। तीनों नेता 8 दिसंबर को चंडीगढ़ में एक साथ बैठक करेंगे।
बेचैनी फैल गई है। चंडीगढ़ बीजेपी अध्यक्ष संजय टंडन से लेकर चंडीगढ़ पार्टी मामलों के प्रभारी प्रभात झा पूरे हालातों पर नजर रखे हुए हैं।
बीजेपी से नाराज चल रहे यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और हरमोहन धवन में समानता यह है कि तीनों पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज हैं। यह नाराजगी किसी भी मौके पर बाहर आ जाती है।
मिसाल के तौर पर यशवंत सिन्हा ने पिछले महीने गुजरात दौरे पर नोटबंदी और जीएसटी पर मुखर अंदाज दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ मोर्चा खोला था। वहीं शत्रुघ्न सिन्हा गुजरात में पार्टी के प्रचार के तरीकों से नाराज है। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन चंडीगढ़ बीजेपी में अपनी उपेक्षा से नाराज हैं। उनके निशाने पर चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष संजय टंडन हैं।
यह पहला मौका होगा जब बीजेपी की अंदरुनी उठापटक में तीनों नेता एक साथ मिलने जा रहे हैं। यशवंत सिन्हा के धवन के साथ पुराने संबंध हैं। 1981 में जब धवन ने जेल भरो आंदोलन चलाया था तो सिन्हा उनसे मिलने चंडीगढ़ आए थे। उन्हें भी गिरफ्तार कर पटियाला जेल भेज दिया गया था।
इसी तरह शत्रुघ्न सिन्हा भी 1989 के चुनाव में धवन के लिए चुनावी रैली कर चुके हैं। चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे हरमोहन धवन पिछले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्हें उस समय टिकट की पूरी उम्मीद भी थी लेकिन पार्टी ने चंडीगढ़ बीजेपी की अंदरुनी उठापटक के बीच किरण खेर को टिकट दिया था। धवन इससे नाराज तो हुए थे लेकिन उस समय किरण ने न केवल उन्हें मना लिया था बल्कि धवन को साथ लेकर विजय रथ पर सवार हो गई थीं।
चंडीगढ़ की राजनीति में धवन की अपनी पहचान और जगह है। वे कॉलोनियों और गरीब तबके के बीच लोकप्रिय रहे हैं लेकिन हर चुनाव में उनके वोट भी कम होते चले गए थे।