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Posted by Surinder Verma on Wednesday, June 17, 2020

WEF अध्यक्ष बोर्गे ने कहा, ‘भारत के विकास पर है पूरी दुनिया की नजर’

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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की 48वीं सालाना बैठक के उद्घाटन सत्र पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. स्विट्जरलैंड के स्की रिसॉर्ट दावोस में आयोजित बैठक में मंगलवार को उद्घाटन भाषण देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तैयार हैं. इस सालाना बैठक में करीब 3000 विशिष्ट लोग शिरकत कर रहे हैं. इनमें अनेक देशों के शासन प्रमुख, नेता, बिजनेस लीडर्स शामिल हैं.

WEF अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंड के मुताबिक बैठक में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यहां पहुंचने से बहुत खुश हैं. विशेष तौर पर भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और देश में शुरू किए गए अहम सुधारों के मद्देनजर सभी प्रधानमंत्री मोदी के विचारों को सुनना चाहते हैं.

इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ब्रेंड ने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री के भारत और दुनिया को लेकर मिशन के बारे में सुनने के लिए उत्सुक हैं. ये हमारे लिए महत्वपूर्ण दौरा है.’
बीते साल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने WEF की पूर्ण बैठक का उद्घाटन भाषण दिया था, जिसे बहुत अहम माना गया था. इस साल इसके लिए WEF ने मोदी को क्यों चुना? इस सवाल के जवाब में ब्रेंड ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जो तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और जहां बड़ी संख्या में उद्यमी हैं. दुनिया भर से 900 अग्रणी सीईओ ने मोदी को सुनने की इच्छा व्यक्त की. वे पीएम मोदी के साथ भारत में निवेश और वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका के बारे में विचार साझा करना चाहते हैं.’

WEF अध्यक्ष का मानना है कि भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक मंच पर अधिक अहम भूमिका निभाने वाला है. ब्रेंड ने कहा, ‘हम मोदी के दौरे से बहुत खुश हैं.’ ये पूछे जाने पर कि मोदी की आर्थिक नीतियां को फोरम कैसे देखता है, ब्रेंड ने कहा, ‘भारत ने बीते साल WEF की ओर से जारी वैश्विक प्रतिस्पर्धा रिपोर्ट में अपनी रैंकिंग में खासा सुधार किया है. हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था अधिकतर अन्य देशों की तुलना में तेजी से नहीं बढ़ रही है, इसे भी अन्य देशों की तरह समान चुनौतियों का सामना करना है.’
ब्रेंड के मुताबिक भारत की प्रगति अधिक समावेशी होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘प्रगति सतत हो और अधिक रोजगार पैदा करने वाली हो. भारतीय सुधारों को लेकर मुझे कौतूहल है लेकिन साथ ही मुझे इंतजार है कि मोदी कैसे समावेशी प्रगति को लेकर अपने विचार साझा करते हैं.’
मोदी जब भारत की प्रगति गाथा को बेचने और देश को निवेश के लिए माकूल जगह के रूप में प्रमोट करने में पूरा जोर लगा रहे हैं. ऐसे में WEF उनकी इन कोशिशों को कैसे देखता है? इस सवाल के जवाब में ब्रेंड ने दोबारा सतत विकास पर जोर दिया. ब्रेंड ने कहा कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को आकर्षित करने और ठोस अर्थव्यवस्था के लिए सतत विकास बहुत जरूरी है. WEF इस रूप में भी भारत को देखता है कि आने वाले दशक में ये बड़े आर्थिक पद्चिह्न छोड़ेगा, इसने म्यांमार और अफ्रीका में निवेश करना भी शुरू कर दिया है.
WEF के लिए चौथी औद्योगिक क्रांति ऐसा क्षेत्र है, जिस पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है. गांवों में इंटरनेट और मोबाइल टेलीफोनी की वजह से भारत ने कई पीढ़ियों की छलांग लगाई है. चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत क्या भूमिका निभा सकता है? इस सवाल के जवाब में ब्रेंड ने कहा, ‘भारत पहले से ही अहम भूमिका निभा रहा है. भारत रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, क्वालिटी मेडिसिन्स और स्वचालित वाहनों के क्षेत्र में आने वाले वर्षों में अहम योगदान दे सकता है. चौथी औद्योगिक क्रांति की बात करें तो हम WEF और भारत के बीच सहयोग बढ़ा रहे हैं.’
WEF को लेकर और फोरम में भारत की भूमिका को लेकर अपना दृष्टिकोण साफ करते हुए ब्रेंड ने कहा, हमारे भारत में दशकों से कुछ अहम कारोबारी पार्टनर हैं. हम उम्मीद करते हैं कि कारोबार में वैश्विक मंच पर भारत अहम रोल निभाता नजर आएगा. हम भारत और इसकी कंपनियों को रोजगार, पर्यावरण और छद्म टकरावों को टालने के क्षेत्रों में अहम योगदान देने की अपेक्षा रखते हैं.’
देशों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ने और भू-राजनैतिक चुनौतियों के संदर्भ में WEF ने इस साल अपना थीम रखा है- ‘बंटी दुनिया में साझा भविष्य का निर्माण.’ लेकिन WEF भविष्य के निर्माण के लिए काम कैसे कर सकता है, इस सवाल के जवाब में ब्रेंड ने कहा, ‘अग्रणी देशों में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के उभरने और उत्तर कोरिया, सीरिया, यमन जैसी भू-राजनैतिक चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक सहयोग की आवश्यकता है, जो कि अभी देशों और कारोबारी दुनिया में नहीं हो रहा है.’
ब्रेंड ने कहा, ‘ऐसी चुनौतियों को तभी हल किया जा सकता है जब बहु- हितधारक (मल्टी स्टेकहोल्डर) नजरिए से आगे बढ़ा जाए, फोरम पार्टनरशिप को लेकर बहुत ध्यान दे रहा है. हम अपने साथ कंपनियों को लेकर आगे नहीं बढ़ेंगे तो कैसे लाखों रोजगार पैदा कर पाएंगे.’