कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कई मंदिरों में जाकर पूजा किए जाने पर मध्य प्रदेश के उज्जैन से भारतीय जनता पार्टी के सांसद चिंतामणि मालवीय ने सोमवार को फेसबुक पर तल्ख टिप्पणी करते हुए लिखा है कि ‘कहीं ये धर्मनिरपेक्षता वैसी ही तो नहीं है, जैसा कि सुनते आए हैं कि एक वेश्या ही सबसे ज्यादा धर्मनिरपेक्ष होती है.’
भाजपा सांसद ने पोस्ट पर बवाल मचने के बाद उसे ‘एडिट’ करते हुए वेश्या की जगह नगरवधू शब्द का प्रयोग किया.
सांसद ने फेसबुक पर आगे लिखा- “यह देखकर बड़ी खुशी हुई कि गुजरात में जाकर राहुल गांधी धार्मिक हो गए हैं. तो क्या अचानक ही राहुल गांधी का हृदय परिवर्तन हो गया? लेकिन तभी ख्याल आया कि वो केवल गुजरात के मंदिरों में ही क्यों जा रहे हैं? कभी कश्मीर, कर्नाटक, केरल के मंदिरों में क्यों नहीं जाते हैं?”
मालवीय ने उससे भी आगे लिखा है, “सवाल उठता है कि ये धार्मिकता सच्ची है या कुछेक दिनों के लिए दिखावा मात्र किया जा रहा है. कहीं ये धर्मनिरपेक्षता वैसी ही तो नहीं है, जैसा कि सुनते आए हैं कि एक नगरवधू ही सबसे ज्यादा धर्मनिरपेक्ष होती है. मन में ये प्रश्न भी आता है कि राहुल गांधी वाली धर्मनिरपेक्षता कहीं उस नगरवधू के जैसी तो नहीं?”
भाजपा सांसद ने और आगे लिखा, “चलो ये भी अच्छा हुआ कि तुम्हारी थोथी ही सही, ओढ़ी ही सही, धर्मनिरपेक्षता के छींटे ही सही, मंदिरों तक तो पहुंचे. अन्यथा अभी तक तो जालीदार टोपी धारण करके रोजा इफ्तारी और दरगाहों पर चादर चढ़ाने के उपक्रम तक ही धर्मनिरपेक्षता सिमटी हुई थी.”
उन्होंने यह भी लिखा, “कुछ पुरानी यादें भी राहुल से जुड़ी हुई हैं. हां, राहुल गांधी! कभी आपने ही तो कहा था कि लोग मंदिरों में लड़कियां छेड़ने जाते हैं. अब बताइए कि जब आप मंदिर-मंदिर भटक रहे हैं तो आप पहले वाले बयान पर ही कायम हैं या उसका खंडन करते हैं? बस, इसलिए पूछा कि आपने उस ओछी सोच के लिए कभी भी माफी मांगने की जेहमत नहीं उठाई.”
मालवीय ने राहुल के मंदिर दर्शन पर अपनी राय भी जाहिर की, “अब यही सत्य सामने आता है कि आपकी मानसिकता केवल गुजरात चुनाव के कारण बदली है. आजकल आप गौशाला भी जा रहे हैं. जाना भी चाहिए. बहुत अच्छी बात है, लेकिन फिर उन कांग्रेसियों पर आप खामोश क्यों हैं जिन्होंने केरल में एक मासूम बछड़े को बीच चौराहे पर काटकर उसके मांस की पार्टी की थी.”
भाजपा सांसद की अगली टिप्पणी- “राहुल जी !!! मुखौटे बदलते-बदलते आप अपने ही बनाए जाल में फंस चुके हो. इस देश का बच्चा-बच्चा जान चुका है, आपकी साजिशों को. कभी जात-पात के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर आप केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ही राजनीति करते हो.”
वह आगे लिखते हैं, “लेकिन अब देश जाग चुका है. जाति के आधार पर देश तोड़ने की साजिश काम नहीं आएगी.”
मालवीय ने राहुल को सलाह भी दी, “एक नेक सलाह देता हूं कि रात-दिन मोदी जी को कोसने से बेहतर है कि आप उनसे राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना सीखिए. राहुल जी, अब ढोंग-ढकोसलों से काम नहीं चलनेवाला. कुछ ठोस, कुछ बेहतर करके देश को दिखाना होगा.”