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मीटर लगाने के लिए कोई प्रपोजल तैयार नहीं: ईओ
-मनवीर सिंह गिल, ईओ, एमसी जीरकपुर
वाटर टैंकर भी एमसी की लाइनों से ही भर रहे हैं।
सिटी भास्कर । जीरकपुर
इस समय शहर में 85 हजार करीब पानी के कनेक्शन हैं जिनमें से एमसी के पास 25 हजार घरों की ही जानकारी है। बिना मीटर के हर घर में पानी का खूब इस्तेमाल हो रहा है। शहर में घट रहे पानी को बचाने के लिए जरूरी है कि शहर के सभी घरों में पानी के मीटर लगे होने चाहिए। अभी एमसी
ने शहर में पानी के मीटर
लगाने शुरू ही नहीं किए है। इसलिए लोग बेतहाशा पानी की बर्बादी कर रहे हैं।
पानी की बचत भी होगी: पंजाब वाटर सप्लाई एवं सीवरेज बोर्ड को यह काम पहले ही करना चाहिए था। अब यह काम एमसी को सौंपा गया है तो एममसी को चाहिए कि मीटर लगाए। जिन जगहों पर पानी के मीटर नहीं लगे हैं वहां पर पानी की बर्बादी भी ज्यादा होती है। औसत बिल आने की सूरत में लोग ज्यादा पानी का प्रयोग करते हैं। इनमें कई होटल और कमर्शियल संस्थान भी शामिल हैं। एमसी के कई निचले स्तर के कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण भी मीटर लगाना तो दूर, कनेक्शन की जानकारी भी छुपाई जा रही है। इससे पानी की खपत काफी ज्यादा है।
एमसी ध्यान नहीं दे रही इस काम में: जीरकपुर एमसी इस काम में ध्यान नहीं दे रही है, जिसके चलते पानी की बर्बादी करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। एमसी की ओर से कई घरों के चालान तो किए गए लेकिन इसके अलावा भी पानी का मिसयूज रोकने के लिए काम करने की जरूरत है। यहां रोजाना हजारों लीटर पानी का इस्तेमाल गाड़ियों को धोने, सर्विस स्टेशनों और कंस्ट्रक्शन के काम के लिए किया जा रहा है। ऐसा ही चलता रहा तो लोगों को पीने का पानी मुहैया करवाना एमसी के लिए मुश्किल हो जाएगा। यहां पहले से ही कम प्रेशर से पानी सप्लाई हो रहा है। पानी का मिसयूज होने से इसकी मात्रा और कम हो रही है।इसलिए मीटर लगाने की जरूरत है।
पानी का मिसयूज रोकने के लिए मीटर लगाने जरूरी: जीरकपुर में पानी का मिसयूज हो रहा है। एमसी लोगों के हित के लिए हर घर को पानी तो मुहैया करवा रही है, लेकिन कई लोग इसका गलत फायदा उठा रहे हैं। एमसी द्वारा अब तक यहां पानी के कनेक्शनों पर मीटर नहीं लगाए गए हैं। इससे पता नहीं चलता कि किसने कितना पानी इस्तेमाल किया। इस बात का डर न होने की वजह से कई लोग पानी काे खूब बर्बाद कर रहे हैं। इसके बदले में जीरकपुर एमसी को पानी का तो नुकसान हो ही रहा, मीटर न होने की वजह से उपभोक्ताओं से इसकी कीमत भी वसूल नहीं हो रही है।