विएंतिएन. लाओस के नाम कान नेशनल पार्क में पेड़ों पर 40 मीटर (करीब 130 फीट) की ऊंचाई पर आठट्री हाउस बनाए गए हैं। इन्हेंबनाने का मकसद गिब्बन प्रजाति के बंदरों को बचाना है। ट्री हाउस पर ज्यादा से ज्यादा लोग आएं, इसके लिए सरकार कंजरवेशन प्रोजेक्ट गिब्बन एक्सपीरियंस चला रही है। अवैध शिकार के चलते गिब्बनों की संख्या काफी कम हो रही है।
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गिब्बन एक्सपीरियंस के यान गोरमेलन कहते हैं कि नेशनल पार्क में हमने एक 15 किलोमीटरका एक नेटवर्क बनाया है। ट्री हाउस में आने वालों को जंगल के अंदरूनी हिस्से में आना होगा। तभी लोग गिब्बन और उनकी हरकतों से रूबरू हो पाएंगे।
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बेन हुआक्से शहर से यह नेशनल पार्क2.5 घंटे की दूरी पर है। ट्री हाउस पर जाने के लिए आपको ट्रेकिंग का सामान ले जाना जरूरी है। लोगों को जंगल में तकलीफ न हो, इसलिए दो गाइड भी दिए जाते हैं। ट्री हाउस पर लाइट की भी पर्याप्त व्यवस्था है। मच्छरदानी लगे बेड हैं। हर ट्री हाउस पर ओपन एयर वॉशरूम है। छोटे से बाथरूम में शॉवर की भी व्यवस्था है।
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यहां ठहरने वालों के लिए खाना आसपास के गांवों से आता है। लोगों के पास खानाट्री हाउस स्टाफही पहुंचाता है। पर्यटकों को ताजे फल और स्नैक्स भी दिए जाते हैं, ताकि वे इन्हें गिब्बन को देकर उनके बर्ताव कोसमझ सकें।
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गोरमेलन कहते हैं- ट्री हाउस उसी जगह बनाए गए हैं जहां से लोग गिब्बन के कार्यकलापों को देखसकें। ट्री हाउस की ज्यादा ऊंचाई भी इसीलिए रखी गई है। दोसाल पहले ट्री हाउस की डिजाइन पर काफी काम किया गया। इसे आम पर्यटकों के हिसाब से बनाया गया ताकि लोग ज्यादा वक्त तक यहां रुक सकें।
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नए तरह से ट्री हाउस बनाने के लिए 360 डिग्री में घूमने वाले ड्रोन का इस्तेमाल किया गया ताकि पेड़ की हर एंगल से फोटो ली जा सके। फोटोग्रामेट्री सॉफ्टवेयर की मदद से पेड़ का 3डी मॉडल बनाया गया। इसके बाद पेड़ पर लकड़ी के घर तैयार किए गए। एक घर बनाने में छह महीने का वक्त लगा।
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पहला ट्री हाउस 2004 में खोला गया। एक लाख 36 हजार हेक्टेयर में फैले जंगल को 2008 में लाओस नेशनल असेंबली ने नेशनल पार्क घोषित किया। गिब्बन एक्सपीरियंस प्रोजेक्टमें फिलहाल 120 कर्मचारी हैं।