पुणे. सेना प्रमुख बिपिन रावत ने हिदायत दी है कि लोग सेना को रोजगार का एक मौका समझते हैं, उन्हें इस सोच से बाहर निकलने की जरूरत है। सेना में शामिल होने के लिए उनको शारीरिक और मानसिक दोनों तौर पर मजबूत होना चाहिए। रावत ने उन सैनिकों के चेतावनी भी दी जो कर्तव्य से बचने या फायदा पाने के लिए बीमारी या शारीरिक लाचारी की आड़ लेते हैं।
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रावत ने यह भी भरोसा दिलाया कि जो पूर्व और वर्तमान सैनिकों ने ड्यूटी के दौरान अपना कोई अंग गंवाया, उनकी पूरी मदद की जाएगी।रावत ने चेतावनी देते हुए कहा- सेना को रोजगार देने वाली संस्था नहीं है। अपने दिमाग से यह गलतफहमी निकाल दें। अगर आप आर्मी ज्वाइन करते हैं तो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त-दुरुस्त होना चाहिए। हमेशा कठिन हालातका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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रावत के मुताबिक- कई लोग मेरे पास आते हैं और सेना में नौकरी लगाने की बात कहते हैं। मैं उनसे कहता हूं कि भारतीय सेना नौकरी का साधन नहीं है। नौकरी लेनी है तो रेलवे में जाएं या अपना बिजनेस खोल लीजिए।
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रावत पुणे के एक समारोह में दक्षिणी, दक्षिणी-पश्चिमी और मध्य कमांड के वर्तमान और सेवानिवृत 600 दिव्यांग सैनिकों के बीच गुरुवार को बोल रहे थे। आर्मी ने 2018 को ‘ड्यूटी के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों का वर्ष’ घोषित किया है।
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रावत ने कहा- मैं कई ऐसे सैनिकों और अफसरों को जानता हूं जो खुद को हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, डाइबिटीज से पीड़ित बताते हैं और चुनौती वाली पोस्टों पर नियुक्ति से राहत चाहते हैं। ये लोग दरअसल शारीरिक-मानसिक रूप से कमजोर होते हैं और तनाव झेल नहीं पाते। अगर वास्तव में अक्षम सैनिक जबर्दस्त प्रदर्शन कर सकता है तो उन्हें शर्म आनी चाहिए।
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रावत के मुताबिक- सैनिक और अफसर जिन मुश्किल हालात में काम करते हैं, इस बात को हम बखूबी जानते हैं। जो डॉक्टर आपको मेडिकल सहायता देते हैं, वे भी यह जानते हैं कि जब वे सही और गलत का निर्णय लेते हैं, तो कुछ लोग अदालत में जाते हैं। अदालत के फैसले के बाद सैनिक गर्व से कहते हैं कि उन्हें अक्षमता पेंशन मिली।
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आर्मी चीफ ने कहा- भारतीय सेना आपकी मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। अगर आपको किसी भी तरह की तकलीफ है तो इसके लिए आप अपनी यूनिट को पत्र लिख सकते हैं। अगर आपको कोई मदद नहीं मिलती तो इसके लिए आर्मी द्वारा नियुक्त अफसर को मैसेज करें। मैं भरोसा दिलाता हूं कि आपको एक महीने में जवाब मिल जाएगा।