भाेपाल/जयपुर/रायपुर. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में इस बार राज्य के विकास के अलावा राष्ट्रीय मुद्दे छाए हुए हैं। बुधवार को भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गढ़ में रैली की और वहां राफेल का मुद्दा उठाया। इससे पहले मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी वे ऐसा ही कर चुके हैं। हालांकि, तीनों राज्यों में हर बार ऐसा नहीं हुआ। 2003 के चुनाव में तीनों राज्यों में बिजली, पानी, सड़क और किसानों की समस्याओं के मुद्दे पर चुनाव लड़ा गया था। लेकिन 2008 में केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार का प्रदर्शन एक मुद्दा रहा और 2013 में मोदी लहर सबसे बड़ा फैक्टर रहा।
मध्यप्रदेश: भाजपा ने 2008 के मुकाबले 2013 में मोदी लहर में प्रदर्शन सुधारा
- 2003 : भाजपा ने कांग्रेस के 10 साल के शासन के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहर पैदा की। बिजली, सड़क और पानी के मुद्दे पर चुनाव लड़ा।
- मौजूदा स्थिति : 2003 में राज्य में बिजली उत्पादन 2900 मेगावॉट था। 2018 में यह बढ़कर 18 हजार मेगावॉट से ज्यादा हो गया। इस वजह से किसानों को राहत मिली। गांवों में 15 साल पहले जहां तीन से चार घंटे बिजली मिलती थी, अब वहां कम से कम 10 घंटे बिजली मिल रही है। शहरों में 24 घंटे बिजली सप्लाई है।
- पानी की स्थिति मानूसन पर निर्भर है, लेकिन सरकार का दावा है कि उसने सिंचाई का रकबा 2003 में 46 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 2018 में 110 लाख हेक्टेयर कर दिया है।
- सड़कों के मामले में सरकार दावा करती है कि 2003 में प्रदेश में सड़कों का नेटवर्क 44 हजार किलोमीटर था। 2018 में 1 लाख 50 हजार किलोमीटर हो गया। हालांकि, इंदौर और भोपाल को छोड़कर बाकी शहरों में सड़कों की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है।
- 2008 :यूपीए-1 के कार्यकाल की उपलब्धियों को कांग्रेस जनता के बीच लेकर गई। इसका लाभ तो मिला लेकिन कोई चेहरा नहीं होने से चुनौती नहीं बन पाई। उमा भारती की भारतीय जनशक्ति ने भाजपा के बागियों को टिकट बांटे। इससे भाजपा-विरोधी वोट बहुत हद तक बंट गए।
- मौजूदा स्थिति : उमा भारती ने जून 2011 में ही भाजपा में वापसी कर ली थी। वे अब मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। उत्तर प्रदेश से एक बार विधायक बन चुकी हैं। अब वहां से सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री हैं।
- 2013 : भाजपा ने नरेंद्र मोदी को 2014 के लिए पीएम पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया था। उन्होंने भी तूफानी प्रचार किया और मोदी लहर बनी। कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाने में देरी की। इससे कांग्रेस में एकजुटता का अभाव रहा।
- मौजूदा स्थिति : इस बार चुनाव में चेहरा मोदी ही हैं। कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी भी चुनाव समिति के अध्यक्ष हैं।
मध्यप्रदेश केनतीजे
- 2003 : भाजपा ने सबसे ज्यादा 173 सीटें जीतीं, 42.50% वोट शेयर हासिल कर कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया। कांग्रेस को 38 ही सीटें मिलीं।
- 2008 : कांग्रेस की सीटें बढ़कर 71 हुईं, लेकिन 37.64% वोट शेयर के साथ 143 सीटें जीतकर सरकार भाजपा ने ही बनाई।
- 2013 : मोदी लहर के बावजूद भाजपा को 2003 के मुकाबले कुछ कम यानी 165 सीटें मिलीं। कांग्रेस की सीटें फिर घटकर 58 रह गईं।
राजस्थान : राज्य में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मोदी लहर में मिलीं
- 2003 : अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1999 में ओबीसी श्रेणी में जाटों को आरक्षण दिया। 2003 में इसी का भाजपा को फायदा हुआ। भाजपा ने वसुंधरा को बतौर राज्य में पहली महिला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया। इस वजह से गहलोत सरकार को नुकसान हुआ।
- मौजूदा स्थिति : भरतपुर में जाटों ने कुछ माह पहले आंदोलनकी चेतावनी दी थी। साथ ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा का विरोध करने की भी धमकी दी थी। इसके बाद सरकार ने आनन-फानन में केंद्र को पत्र लिखकर धौलपुर और भरतपुर के जाटों को केंद्र की आरक्षण सूची में शामिल करने को लिखा। अब जाट आरक्षण की मांग केंद्र के फैसले पर अटकी है।
- 2008 : गुर्जर आंदोलन में 37 लोगों की मौत के कारण 2008 में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। 2004 से 2008 के बीच शेखावाटी में सरकार को किसानों के उग्र विरोध का सामना भी करना पड़ा।
- मौजूदा स्थिति : आरक्षण को लेकर राजस्थान गुर्जर समाज मे फिलहाल दो फाड़ हो गई है। जहां एक गुट किरोड़ी लाल बैंसला के साथ है, वहीं दूसरा गुट आंदोलन की अगुवाई कर रहे हिम्मत सिंह के साथ है। गुर्जर समाज की मांग है कि दोनों पार्टियां अपने चुनावी घोषणा पत्र में गुर्जर आरक्षण को लेकर अपना रुख साफ करे।
- जहां तक किसानों की बात है तो वसुंधरा सरकार ने 9 हजार किसानों के कुल 250 करोड़ रुपए के कर्जमाफ किए हैं। प्रदेश के 12 लाख से ज्यादा किसानों को कृषि बिजली कनेक्शन पर एक साल में 10 हजार रुपए तक बिजली फ्री देने की घोषणा है।
- भाजपा ने नरेंद्र मोदी को 2014 के लिए पीएम पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया था। उन्होंने राज्य में तूफानी प्रचार किया, इससे मोदी लहर बनी। गहलोत सरकार को राज्य में पांच साल और केंद्र की यूपीए सरकार की 10 साल की एंटी- इनकंबेंसी की वजह से हार का सामना करना पड़ा।
- मौजूदा स्थिति : इस बार भी मोदी ही भाजपा के स्टार कैम्पेनर होंगे। लेकिन गहलोत ने 2013 में जिस एंटी-इनकंबेंसी का सामना किया, वसुंधरा को भी वैसी ही चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
राजस्थान के नतीजे
- 2003 : भाजपा ने 39.20% वोट और 120 सीटें हासिल कर कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया। कांग्रेस को 56 सीटें मिलीं।
- 2008 : कांग्रेस ने 36.82% वोट हासिल लिए और अशोक गहलोत ने दोबारा सरकार बनाई। भाजपा को 78 और कांग्रेस को 96 सीटें मिलीं।
- 2013 : मोदी लहर में भाजपा ने 46.05% वोट और 163 सीटें जीतकर कांग्रेस को 21 सीटों पर समेटा।
छत्तीसगढ़ : कांग्रेस विधायकों के दलबदल ने जोगी को सत्ता से बाहर किया
- 2003 : विद्याचरण शुक्ल कांग्रेस से एनसीपी में गए। 7% वोट लेकर कांग्रेस की हार के प्रमुख कारण बने। उन्होंने 27 सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। 12 कांग्रेसी विधायकों का दलबदल टर्निंग पाइंट बना।
- मौजूदा स्थिति : छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी ने 2016 में ही कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली। लिहाजा, कांग्रेस के सामने इस बार 2003 की तरह वोट कटने का खतरा है।
- 2008 : भाजपा ने किसानों को दिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर 14% से 3% की। यह बड़ा चुनावी मुद्दा बना। 45 लाख बीपीएल परिवारों को 3 रुपए किलो में चावल देने की वजह से भाजपा को बढ़त मिली। रमन सिंह को ‘चाउर वाले बाबा’ कहा जाने लगा। कांग्रेस सीएम का चेहरा तक प्रोजेक्ट नहीं कर पाई।
- 2013 : भाजपा को सबसे बड़ा फायदा मोदी लहर की वजह से हुआ। मोदी लगातार रैलियां कर रहे थे। कांग्रेस के पास उनका जवाब नहीं था। कांग्रेस में विवाद इतना बढ़ा कि किसी विधायक का टिकट नहीं कट सका।
- मौजूदा स्थिति : इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बसपा का गठबंधन भी चुनाव लड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ केनतीजे
- 2003 : भाजपा ने 39.26% वोट के सहारे 50 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की। कांग्रेस को 37 सीटें मिलीं।
- 2008 : इस बार भी सीटों की स्थिति वैसी ही रही। भाजपा को 50 और कांग्रेस को 38सीटें मिलीं।
- 2013 : मोदी लहर में भाजपा का वोट प्रतिशत 2फीसदी बढ़कर 46.05% हुआ। उसे एक सीट का नुकसान हुआ और 49 सीटें मिलीं। कांग्रेस ने लगातार तीसरे चुनाव में अपनी एक सीट बढ़ाई। उसके 39 विधायक जीते। वोटों का अंतर 2.6% था तो भाजपा 13 सीटें ज्यादा लाई थी। जब अंतर 0.7% ही रह गया तब भी वह 10 सीटें आगे रही।
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