वैभव शर्मा, हिसार.
पहले ड्रोन फिर सेटेलाइट निगरानी के तरीके मजबूत किए मगर किसानों का पराली जलाने का प्रतिशत कम नहीं हो रहा है। प्रदेश में पिछले 72 घंटे में 329 जगहों पर पराली जलाई गई हैं। इसके इतने खतरनाक प्रभाव हो रहे हैं कि हरियाणा के कई शहरों का पीएम लेवल 50 से 60 फीसदी तक बढ़ गया है। इसमें गुड़गांव व फरीदाबाद सर्वोपरि हैं। सिर्फ हरियाणा ही नहीं बल्कि दिल्ली एनसीआर तक इसका असर देखने को मिल रहा है। 17 अक्टूबर के आंकड़ों को देखा जाए तो पराली जलाने के मामलों में कैथल में सर्वाधिक 124 स्थानों पर, कुरुक्षेत्र में 59 व करनाल में 69 स्थानों पर खेतों में आग लगाई गई।
प्रधानमंत्री कार्यालय सेहो रही पूरी मॉनीटरिंग :
दीवाली के कुछ दिन शेष हैं। वहीं दशहरे पर भी कई जगह पटाखे फोड़े गए। इससे पहले ही पराली जलाने से प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ चुका है। इसके बाद पटाखों से प्रदूषण होगा तो एनसीआर सहित हरियाणा के लिए भी कई स्थितियां बिगड़ सकती हैं। वहीं पिछली बार दिल्ली सरकार ने हरियाणा में पराली जलाने से प्रदूषण होने का आरोप लगाया था।
गुड़गांव की हवा खराब :
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार पहुंच गया है। पीएम 10 और पीएम 2.5 भी लगातार बढ़ रहा है। गुरुवार को यह बीते 40 दिन के मुकाबले सबसे ज्यादा दर्ज किया गया। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक सबसे ज्यादा खराब हवा गुड़गांव की रही।
17 अक्टूबर को किस जिले में कितनी जगह जली पराली
कैथल | 124 |
करनाल | 69 |
कुरुक्षेत्र | 59 |
फतेहाबाद | 32 |
पलवल | 13 |
जींद | 9 |
सिरसा | 8 |
इन जिलों में पराली के मामलों पर किया कंट्रोल
भिवानी | 1 |
हिसार | 1 |
झज्जर | 1 |
अम्बाला | 2 |
सोनीपत | 2 |
पंचकूला | 3 |
यमुनानगर | 4 |
एयर क्वालिटी इंडेक्स
गुड़गांव |
300 सेअधिक |
फरीदाबाद | 200 से अधिक |
रोहतक | 100 से कम |
पंचकूला | 100 से अधिक |
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