अजायब सिंह बोपाराय, गढ़शंकर.गढ़शंकर बंगा रोड पर स्थित सन स्कैन सेंटर और अस्पताल में अवैध तौर पर लिंग निर्धारण टेस्ट करते अस्पताल के प्रमुख डॉ. जावेद आलम को चंडीगढ़ से आई टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। कार्रवाई में चंडीगढ़ की टीम के साथ होशियारपुर सेहत विभाग की टीम भी थी।
टीम ने गर्भवती महिला को ग्राहक बना भेजकर छापा मारा। डॉ. जावेद आलम ने महिला से 25 हजार मांगे थे लेकिन सौदा 20 हजार में तय हुआ था। डॉक्टर के पास महिला द्वारा दिए गए 20 हजार रुपए (पांच-पांच सौ के नोट) भी बरामद कर लिए हैं। टीम ने स्कैनिंग मशीन सील कर दी।
इसके अलावा लैपटॉप, सीसीटीवी की डीवीआर, ओपीडी, पीएनडीटी व एफ फार्म का रजिस्टर और पेमेंट व रिसेप्शन रजिस्टर कब्जे में ले लिया। कार्रवाई देर शाम तक चली। इसके बाद टीम डॉ. जावेद आलम को अपने साथ चंडीगढ़ ले गई। कुड़ी मार रैकेट का पर्दाफाश चंडीगढ़ की फीड नेटवर्क कंपनी ने किया है।
सरकार ने इस कंपनी के साथ अवैध तौर लिंग निर्धारण टेस्ट करने वाले अस्पतालों की सूचना देने के लिए कांट्रेक्ट किया है। उधर मामले को लेकर देर शाम तक होशियारपुर की सिविल सर्जन रेनू सूद से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल अटैंड नहीं की।
डॉक्टर ने महिला से 25 हजार मांगे, सौदा 20 हजार में तय हुआ था :
फीड नेटवर्क कंपनी के डायरेक्टर रोमेश दत्त ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि सन स्कैन सेंटर व अस्पताल में लंबे समय से अवैध तौर पर लिंग निर्धारण टेस्ट किया जा रहा है। कंपनी पंद्रह दिन से अस्पताल की रेकी कर रही थी। सब कुछ फाइनल होने के बाद डायरेक्टर ने सेहत विभाग के डायरेक्टर और सिविल सर्जन होशियारपुर रेनू सूद से संपर्क किया।
इसके बाद टीम गठित की गई:
डम्मी ग्राहक के तौर पर महिला को डॉ. जावेद आलम के पास भेजा गया। डॉक्टर ने 25 हजार मांगे। सौदा 20 हजार रुपए तय हुआ। बुधवार का टाइम दिया। टीम ने 20 हजार रुपए महिला को देकर भेजा। जैसे ही डॉ. जावेद ने लिंग निर्धारण टेस्ट करना शुरू किया तो टीम ने रंगे हाथ पकड़ लिया।
पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन :
हैरानी ये है कि अस्पताल पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन भी कर रहा था। क्योंकि स्कैनिंग रूम में एक ही दरवाजा होना चाहिए लेकिन यहांं दो दरवाजे थे। ताकि छापा पड़ने पर कस्टमर को दूसरे रास्ते से भगाया जा सके। इससे ये भी पता चलता है कि सेहत विभाग के अधिकारियों ने कभी सेंटर की चैकिंग ही नहीं की या फिर पैसे लेकर मिलीभगत से रैकेट चलता रहा।
महिला की न रजिस्टरों में एंट्री, न ही पेमेंट रसीद दी :
टीम ने जिस महिला को ग्राहक बनाकर भेजा था, उसकी न तो रजिस्टर में एंट्री की गई और न ही एफ फार्म भरवाया गया। आईडी प्रूफ भी नहीं लिया गया। डेली डायरी व रिसेप्शन के रजिस्टर में भी उसका नाम दर्ज नहीं किया गया। ना ही स्कैनिंग के लिए ली गई फीस की रसीद काटी गई।
टीम ने आशा वर्कर और आरएमपी पर ध्यान नहीं दिया, दोनों खिसक गए :
जानकारी के अनुसार रेड के दौरान स्कैनिंग रूम में एक आशा वर्कर व आरएमपी डॉक्टर भी थे। टीम के ध्यान न देने से दोनों खिसक गए। वह दोनों भी किसी महिला को टैस्ट करवाने को लाए थे। सूत्रों की मानें सेंटर में रोज दो से तीन महिलाओं के अवैध टेस्ट होते थे। लड़की होने पर अबॉर्शन के लिए मनमर्जी के पैसे वसूलते थे। जांच हो तो कई राज खुल सकते हैं।
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