- भारत ने करतारपुर कॉरिडोर मामले में बातचीत के लिए पाक के सामने 11 से 14 जुलाई की तारीखों की पेशकश
- इससे पहले दोनों देशों के बीच पहले दौर की बातचीत इसी साल 14 मार्च को अटारी-वाघा सीमा पर हुई थी
- पाकिस्तान ने 50% से ज्यादा काम पूरा कर लिया, भारत की 30 सितंबर तक प्रोजेक्ट पूरा करने की योजना
Dainik Bhaskar
Jun 30, 2019, 08:33 AM IST
नई दिल्ली. भारत ने पाकिस्तान सरकार के सामने करतारपुर कॉरिडोर पर बातचीत के लिए नई तारीखों की पेशकश की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के मुताबिक, यह वार्ता जुलाई के दूसरे हफ्ते में हो सकती है। भारत वीजा के अलावा लंबे समय से लंबित पड़े अन्य मसलों पर भी चर्चा कर सकता है। हाल ही में पाक ने कॉरिडोर को लेकर भारत के प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया था। पाक ने कुछ नियम और शर्तें भी लगाई थीं।
पाक वीजा के नाम पर फीस वसूलना चाह रहा
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इससे पहले दोनों देशों के बीच पहले दौर की बातचीत इसी साल 14 मार्च को अटारी-वाघा सीमा पर हुई थी। 2 अप्रैल को दूसरे दौर की बातचीत होने वाली थी, लेकिन पाकिस्तान सरकार की ओर से गलियारे से जुड़ी एक समिति में खालिस्तान समर्थक नेता गोपाल सिंह चावला की नियुक्ति के बाद वार्ता नहीं हो सकी। सरकारी सूत्रों की मानें तो भारत सरकार ने सभी विवादों को सुलझाने के साथ जल्द कॉरिडोर निर्माण को लेकर पाकिस्तान के सामने 11 से 14 जुलाई की तारीखों की पेशकश की है।
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पाक मीडिया की मानें तो पाकिस्तान ने कॉरिडोर को लेकर 50% से ज्यादा काम पूरा कर लिया है। भारत सरकार की इस प्रोजेक्ट को 30 सितंबर तक पूरा करने की योजना है। समझौते के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से तय समय के अनुसार काम नहीं किया जा रहा। वह इस प्रोजेक्ट को लटकाने की कोशिश कर रहा है।
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पाक सरकार वीजा के नाम पर श्रद्धालुओं से मोटी फीस वसूलने की तैयारी कर रहा है। वह प्रत्येक श्रद्धालु से 20 डॉलर (करीब 3127 रुपए) वसूल सकता है। भारत ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि ऐसी धार्मिक यात्रा के दौरान कोई भी फीस नहीं वसूल की जानी चाहिए। पाक की ओर से रखी गई शर्तों में दर्शन के लिए पासपोर्ट होना भी जरूरी बताया गया है।
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गुरुनानक ने जीवन के आखिरी 18 साल यहां बिताए
पंजाब के गुरदासपुर जिले से सटी पाकिस्तान की सरहद में (नारोवल जिले में) यह जगह बेहद मशहूर है। सिख इतिहास के मुताबिक, गुरु नानक देव जी 1522 में करतारपुर साहिब में आकर रहने लगे थे। इसी जगह उन्होंने अपने जीवन के आखिरी 18 साल बिताए। उनके समाधि ले लिए जाने के बाद इस जगह पर गुरुद्वारा बना दिया गया। देश के विभाजन के दौरान पंजाब का गुरदासपुर जिला दो हिस्सों में बंट गया और गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान के हिस्से में चला गया।
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दूरबीन से इमारत और गुंबद ही देख पाते हैं
जब भी कोई त्योहार आता है तो डेरा बाबा नानक स्थित इस जगह पर अचानक सिखों की संख्या बढ़ जाती है। सरहद और बीच में रावी नदी पड़ने के कारण आस्था मजबूर-सी नजर आने लगी तो बीते कुछ वर्षों पहले भारतीय सेना ने यहां एक दूरबीन लगा दी, जिससे सिख श्रद्धालु गुरुद्वारे के दर्शन कर सकें। हालांकि यहां भी एक दिक्कत है कि श्रद्धालु दूरबीन के जरिए करतारपुर साहिब की इमारत और गुंबद ही देख पाते हैं।
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